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LIC IPO Update: एलआईसी आईपीओ की सफलता के लिए सरकार की बड़ी तैयारी, एफडीआई पॉलिसी में बदलाव संभव

LIC IPO Update: एलआईसी आईपीओ की सफलता के लिए सरकार की बड़ी तैयारी, एफडीआई पॉलिसी में बदलाव संभव

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: दीपक चतुर्वेदी
Updated Fri, 07 Jan 2022 12:24 PM IST

सार

FDI Policy For Insurance Sector May Change: देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के आईपीओ का निवेशक बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। इस बीच बड़ी खबर ये है कि एलआईसी आईपीओ की सफलता के लिए सरकार एफडीआई पॉलिसी में बदलाव कर सकती है। 
 

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देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के आईपीओ का निवेशक बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, इसकी प्रक्रिया इस माह के तीसरे हफ्ते में शुरू होने की उम्मीद है। इसकी लिस्टिंग मार्च से पहले हो सकती है। इस बीच बड़ी खबर ये है कि एलआईसी आईपीओ की सफलता के लिए सरकार एफडीआई पॉलिसी में बदलाव कर सकती है। 

सरकार कर रही बदलाव की तैयारी
इस संबंध में जारी एक रिपोर्ट में शीर्ष सरकारी अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि सरकार एफडीआई पॉलिसी में बदलाव करने की तैयारी कर रही है। डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (डीपीआईआईटी) के सेक्रेटरी अनुराग जैन ने कहा कि बीमा क्षेत्र से जुड़ी मौजूदा एफडीआई पॉलिसी एलआईसी की विनिवेश प्रक्रिया को आसान नहीं बनाएगी। इसलिए इसमें संशोधन की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हम दरअसल, एफडीआई पॉलिसी को और आसान बनाने पर काम कर रहे हैं। इस बदलाव की तुरंत जरुरत है क्योंकि हमें एलआईसी का विनिवेश करना है। 

इस संबंध में हो चुकी हैं दो बैठकें
जैन ने बताया कि इस संबंध में डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल सर्विसेस (डीएफएस) और डिपार्टमेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट (दीपम) के साथ चर्चा की जा रही है। उन्होंने कहा कि हमारे स्तर पर अभी तक दो दौर की चर्चा हो चुकी है और तीनों विभागों में इसको लेकर अपनी सहमति व्यक्त की है। हम एफडीआई पॉलिसी में जरूरी बदलावों का मसौदा तैयार करने की प्रक्रिया में हैं। उन्होंने कहा कि इसे मंजूरी के लिए मंत्रिमंडल के पास भेजा जाएगा। 

इसलिए पड़ी बदलाव की जरूरत
एलआईसी में एफडीआई की मंजूरी से ग्लोबल फंड्स इसके आईपीओ में हिस्सा ले सकेंगे। बता दें कि मौजूदा एफडीआई पॉलिसी के मुताबिक, बीमा क्षेत्र में ऑटोमेटिक रूट से 74 फीसदी तक विदेशी निवेश की अनुमति है। हालांकि, यह नियम एलआईसी पर लागू नहीं होते हैं क्योंकि इसकी स्थापना संसद में एक एक्ट पास करके की गई थी। गौरतलब है कि कैबिनेट ने पिछले साल जुलाई में एलआईसी के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) को लाने की मंजूरी दी थी। 

31 मार्च से पहले पेश हो सकता है आईपीओ
एलआईसी आईपीओ को 31 मार्च 2022 से पहले लाने की योजना है। सरकार एलआईसी के आईपीओ की कीमत कुछ विश्लेषकों के अनुमान से ज्यादा कंजर्वेटिव रख सकती है। सरकार की एलआईसी में 100 फीसदी हिस्सेदारी है। प्रस्तावित आईपीओ से पहले सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी ने मार्च 2021 को समाप्त वित्तीय वर्ष के लिए अपनी एसेट क्वालिटी में सुधार किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, 31 मार्च 2021 तक 4,51,303.30 करोड़ रुपये के कुल पोर्टफोलियो में से नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) 35,129.89 करोड़ रुपये हैं। सब-स्टैंडर्ड एसेट्स 254.37 करोड़, जबकि डाउटफुल एसेट्स 20,369.17 करोड़ रुपये और लॉस एसेट्स 14,506.35 करोड़ रुपये हैं।

65 वर्षों से सेवाएं दे रहा एलआईसी
गौरतलब है कि एलआईसी 65 से अधिक वर्षों से भारत में जीवन बीमा प्रदान कर रहा है। आकलन के मुताबिक, भारीतय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) की कुल संपत्ति देश के दूसरे सबसे बड़े निजी बीमाकर्ता, एसबीआई लाइफ की संपत्ति से 16.3 गुना ज्यादा है। इस संबंध में जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक, एलआईसी 36.7 खरब एयूएम के साथ भारत में सबसे बड़ा परिसंपत्ति प्रबंधक है। इसका एयूएम स्टैंडअलोन आधार पर वित्त वर्ष 2011 के लिए भारत की जीडीपी के 18 फीसदी के बराबर था। 

विस्तार

देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के आईपीओ का निवेशक बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, इसकी प्रक्रिया इस माह के तीसरे हफ्ते में शुरू होने की उम्मीद है। इसकी लिस्टिंग मार्च से पहले हो सकती है। इस बीच बड़ी खबर ये है कि एलआईसी आईपीओ की सफलता के लिए सरकार एफडीआई पॉलिसी में बदलाव कर सकती है। 

सरकार कर रही बदलाव की तैयारी

इस संबंध में जारी एक रिपोर्ट में शीर्ष सरकारी अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि सरकार एफडीआई पॉलिसी में बदलाव करने की तैयारी कर रही है। डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (डीपीआईआईटी) के सेक्रेटरी अनुराग जैन ने कहा कि बीमा क्षेत्र से जुड़ी मौजूदा एफडीआई पॉलिसी एलआईसी की विनिवेश प्रक्रिया को आसान नहीं बनाएगी। इसलिए इसमें संशोधन की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हम दरअसल, एफडीआई पॉलिसी को और आसान बनाने पर काम कर रहे हैं। इस बदलाव की तुरंत जरुरत है क्योंकि हमें एलआईसी का विनिवेश करना है। 

इस संबंध में हो चुकी हैं दो बैठकें

जैन ने बताया कि इस संबंध में डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल सर्विसेस (डीएफएस) और डिपार्टमेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट (दीपम) के साथ चर्चा की जा रही है। उन्होंने कहा कि हमारे स्तर पर अभी तक दो दौर की चर्चा हो चुकी है और तीनों विभागों में इसको लेकर अपनी सहमति व्यक्त की है। हम एफडीआई पॉलिसी में जरूरी बदलावों का मसौदा तैयार करने की प्रक्रिया में हैं। उन्होंने कहा कि इसे मंजूरी के लिए मंत्रिमंडल के पास भेजा जाएगा। 

इसलिए पड़ी बदलाव की जरूरत

एलआईसी में एफडीआई की मंजूरी से ग्लोबल फंड्स इसके आईपीओ में हिस्सा ले सकेंगे। बता दें कि मौजूदा एफडीआई पॉलिसी के मुताबिक, बीमा क्षेत्र में ऑटोमेटिक रूट से 74 फीसदी तक विदेशी निवेश की अनुमति है। हालांकि, यह नियम एलआईसी पर लागू नहीं होते हैं क्योंकि इसकी स्थापना संसद में एक एक्ट पास करके की गई थी। गौरतलब है कि कैबिनेट ने पिछले साल जुलाई में एलआईसी के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) को लाने की मंजूरी दी थी। 

31 मार्च से पहले पेश हो सकता है आईपीओ

एलआईसी आईपीओ को 31 मार्च 2022 से पहले लाने की योजना है। सरकार एलआईसी के आईपीओ की कीमत कुछ विश्लेषकों के अनुमान से ज्यादा कंजर्वेटिव रख सकती है। सरकार की एलआईसी में 100 फीसदी हिस्सेदारी है। प्रस्तावित आईपीओ से पहले सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी ने मार्च 2021 को समाप्त वित्तीय वर्ष के लिए अपनी एसेट क्वालिटी में सुधार किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, 31 मार्च 2021 तक 4,51,303.30 करोड़ रुपये के कुल पोर्टफोलियो में से नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) 35,129.89 करोड़ रुपये हैं। सब-स्टैंडर्ड एसेट्स 254.37 करोड़, जबकि डाउटफुल एसेट्स 20,369.17 करोड़ रुपये और लॉस एसेट्स 14,506.35 करोड़ रुपये हैं।

65 वर्षों से सेवाएं दे रहा एलआईसी

गौरतलब है कि एलआईसी 65 से अधिक वर्षों से भारत में जीवन बीमा प्रदान कर रहा है। आकलन के मुताबिक, भारीतय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) की कुल संपत्ति देश के दूसरे सबसे बड़े निजी बीमाकर्ता, एसबीआई लाइफ की संपत्ति से 16.3 गुना ज्यादा है। इस संबंध में जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक, एलआईसी 36.7 खरब एयूएम के साथ भारत में सबसे बड़ा परिसंपत्ति प्रबंधक है। इसका एयूएम स्टैंडअलोन आधार पर वित्त वर्ष 2011 के लिए भारत की जीडीपी के 18 फीसदी के बराबर था। 

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