वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, टोक्यो
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Fri, 07 Jan 2022 12:30 PM IST
सार
इलेक्ट्रिक कारों और ऐसी दूसरी सामग्रियों के बढ़ते इस्तेमाल ने लिथियम को एक कीमती खनिज बना दिया है। एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक लिथियम की खनन करने वाली कंपनियां मांग के मुताबिक सप्लाई बढ़ाने में नाकाम हो रही हैं। 2021 के आखिर में लिथियम कार्बोनेट का मूल्य रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। ऐसी बैटरियों का सबसे ज्यादा उत्पादन चीन में होता है…
इलेक्ट्रिक कारों में इस्तेमाल होने वाली बैटरी के दाम में इस साल तेज बढ़ोतरी होने की संभावना है। इसकी वजह इन बैटरियों की मांग में हो रही तेज वृद्धि है। जबकि इस बैटरी को बनाने में इस्तेमाल होने वाले लिथियम और दूसरे कच्चे माल की सप्लाई नहीं बढ़ पा रही है।
इलेक्ट्रिक कारों और ऐसी दूसरी सामग्रियों के बढ़ते इस्तेमाल ने लिथियम को एक कीमती खनिज बना दिया है। एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक लिथियम की खनन करने वाली कंपनियां मांग के मुताबिक सप्लाई बढ़ाने में नाकाम हो रही हैं। 2021 के आखिर में लिथियम कार्बोनेट का मूल्य रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। ऐसी बैटरियों का सबसे ज्यादा उत्पादन चीन में होता है। वहां बीते दिसंबर के आखिर में लिथियम कार्बोनेट की कीमत 41,060 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गई थी। ये कीमत जनवरी 2021 की तुलना में पांच गुना ज्यादा थी।
कोबाल्ट-निकल हुआ महंगा
वेबसाइट निक्कईएशिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक कैथोड (बैटरी) में इस्तेमाल होने वाली दूसरी सामग्रियों के दाम भी तेजी से चढ़े हैं। कोबाल्ट का भाव बीते एक साल में दो गुना हो चुका है। अब ये अंतरराष्ट्रीय बाजार में 70 हजार डॉलर प्रति टन से अधिक के भाव पर मिल रहा है। इसी तरह निकल की कीमत भी चढ़ी है। उसके भाव में एक साल में 15 फीसदी की वृद्धि हुई है और अब यह 20 हजार डॉलर प्रति से ऊपर हो गया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इन सामग्रियों की कीमत में बढ़ोतरी का प्रमुख कारण इलेक्ट्रिक कारों का चलन बढ़ना है। अमेरिकी वेबसाइट ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में दुनिया भर में अनुमानतः 56 लाख इलेक्ट्रिक कारें बिकीं। इनकी सबसे ज्यादा बिक्री चीन में हुई। 2022 में इलेक्ट्रिक कारों की मांग में और भी ज्यादा इजाफे का अनुमान है। इसकी वजह से लिथियम और दूसरे खनिज पदार्थों की मांग बढ़ गई है।
मार्केट एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस के मुताबिक 2021 में चार लाख 97 हजार टन से अधिक लिथियम की खपत हुई। 2022 में ये खपत साढ़ छह लाख टन तक पहुंच सकती है। कंपनी वूड मेकेंजी में बैटरी संबंधी रिसर्च डायरेक्टर गेविन मोंटगोमरी ने वेबसाइट निक्कई एशिया से कहा- लिथियम की कीमत के लिहाज से हम एक नए युग में प्रवेश कर रहे हैं। अगले कुछ वर्षों तक ये वृद्धि जारी रहेगी।
ऑस्ट्रेलिया ने बंद की दो खदानें
बाजार के जानकारों का कहना है कि लिथियम की सप्लाई में जल्द बढ़ोतरी होने की संभावना नहीं है। उनके मुताबिक 2020 में जब इस खनिज की कीमत में भारी गिरावट आई, तब ऑस्ट्रेलिया ने इसकी दो खदानों को बंद कर दिया था। ऑस्ट्रेलिया लिथियम के सबसे बड़े उत्पादक देशों में एक है। अब ऑस्ट्रेलिया खदानों को फिर से चालू करने की कोशिश में है। लेकिन कोरोना महामारी और कर्मचारियों की कमी के कारण इसमें दिक्कत आ रही है।
उधर खनिज लिथियम से लिथियम कार्बोनेट बनाने वाले चीनी कारखानों में बीते साल बिजली की कमी के कारण उत्पादन कम हुआ। अब बिजली की कमी दूर हो गई है, लेकिन अभी तक पहले जितना लिथियम कार्बोनेट का उत्पादन वहां शुरू नहीं हो सका है।
विस्तार
इलेक्ट्रिक कारों में इस्तेमाल होने वाली बैटरी के दाम में इस साल तेज बढ़ोतरी होने की संभावना है। इसकी वजह इन बैटरियों की मांग में हो रही तेज वृद्धि है। जबकि इस बैटरी को बनाने में इस्तेमाल होने वाले लिथियम और दूसरे कच्चे माल की सप्लाई नहीं बढ़ पा रही है।
इलेक्ट्रिक कारों और ऐसी दूसरी सामग्रियों के बढ़ते इस्तेमाल ने लिथियम को एक कीमती खनिज बना दिया है। एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक लिथियम की खनन करने वाली कंपनियां मांग के मुताबिक सप्लाई बढ़ाने में नाकाम हो रही हैं। 2021 के आखिर में लिथियम कार्बोनेट का मूल्य रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। ऐसी बैटरियों का सबसे ज्यादा उत्पादन चीन में होता है। वहां बीते दिसंबर के आखिर में लिथियम कार्बोनेट की कीमत 41,060 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गई थी। ये कीमत जनवरी 2021 की तुलना में पांच गुना ज्यादा थी।
कोबाल्ट-निकल हुआ महंगा
वेबसाइट निक्कईएशिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक कैथोड (बैटरी) में इस्तेमाल होने वाली दूसरी सामग्रियों के दाम भी तेजी से चढ़े हैं। कोबाल्ट का भाव बीते एक साल में दो गुना हो चुका है। अब ये अंतरराष्ट्रीय बाजार में 70 हजार डॉलर प्रति टन से अधिक के भाव पर मिल रहा है। इसी तरह निकल की कीमत भी चढ़ी है। उसके भाव में एक साल में 15 फीसदी की वृद्धि हुई है और अब यह 20 हजार डॉलर प्रति से ऊपर हो गया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इन सामग्रियों की कीमत में बढ़ोतरी का प्रमुख कारण इलेक्ट्रिक कारों का चलन बढ़ना है। अमेरिकी वेबसाइट ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में दुनिया भर में अनुमानतः 56 लाख इलेक्ट्रिक कारें बिकीं। इनकी सबसे ज्यादा बिक्री चीन में हुई। 2022 में इलेक्ट्रिक कारों की मांग में और भी ज्यादा इजाफे का अनुमान है। इसकी वजह से लिथियम और दूसरे खनिज पदार्थों की मांग बढ़ गई है।
मार्केट एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस के मुताबिक 2021 में चार लाख 97 हजार टन से अधिक लिथियम की खपत हुई। 2022 में ये खपत साढ़ छह लाख टन तक पहुंच सकती है। कंपनी वूड मेकेंजी में बैटरी संबंधी रिसर्च डायरेक्टर गेविन मोंटगोमरी ने वेबसाइट निक्कई एशिया से कहा- लिथियम की कीमत के लिहाज से हम एक नए युग में प्रवेश कर रहे हैं। अगले कुछ वर्षों तक ये वृद्धि जारी रहेगी।
ऑस्ट्रेलिया ने बंद की दो खदानें
बाजार के जानकारों का कहना है कि लिथियम की सप्लाई में जल्द बढ़ोतरी होने की संभावना नहीं है। उनके मुताबिक 2020 में जब इस खनिज की कीमत में भारी गिरावट आई, तब ऑस्ट्रेलिया ने इसकी दो खदानों को बंद कर दिया था। ऑस्ट्रेलिया लिथियम के सबसे बड़े उत्पादक देशों में एक है। अब ऑस्ट्रेलिया खदानों को फिर से चालू करने की कोशिश में है। लेकिन कोरोना महामारी और कर्मचारियों की कमी के कारण इसमें दिक्कत आ रही है।
उधर खनिज लिथियम से लिथियम कार्बोनेट बनाने वाले चीनी कारखानों में बीते साल बिजली की कमी के कारण उत्पादन कम हुआ। अब बिजली की कमी दूर हो गई है, लेकिन अभी तक पहले जितना लिथियम कार्बोनेट का उत्पादन वहां शुरू नहीं हो सका है।
Source link
Share this:
-
Click to share on Facebook (Opens in new window)
-
Like this:
Like Loading...
china lithium mines, china lithium reserves, cobalt lithium ion battery, cobalt nickel, Electric cars lithium batteries, ev lithium ion battery, ev lithium ion battery manufacturers, lithium carbonate, lithium mines in australia, lithium production in china, World Hindi News, World News in Hindi