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यूनियन परिषद चुनावों में झड़पें: अब हिंसा की शक्ल लेने लगा है बांग्लादेश में बढ़ता राजनीतिक टकराव

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, ढाका
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Fri, 07 Jan 2022 02:11 PM IST

सार

बांग्लादेश के अखबारों में छपी खबर के मुताबिक कई जगहों पर मीडियाकर्मी भी हिंसा का निशाना बने। कमलगंज में माधवपुर यूनियन के लिए हो रहे मतदान के दौरान एटीएन न्यूज के कैमरापर्सन पर एक उम्मीदवार के समर्थकों ने हमला बोल दिया। चटगांव में एक वाहन पर हुए हमले में एक पत्रकार घायल हो गया…

बांग्लादेश यूनियन परिषद चुनाव में हिंसा
– फोटो : Agency

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बांग्लादेश में बढ़ते राजनीतिक टकराव ने अब हिंसक मोड़ ले लिया है। बुधवार को एक तरह जहां यूनियन परिषद चुनावों के सिलसिले में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई, वहीं विपक्षी बांग्लादेश नेशनल पार्टी (बीएनपी) के विरोध प्रदर्शनों के दौरान भी जगह-जगह सुरक्षा बलों और विपक्षी कार्यकर्ताओं के बीच झड़पें हुईँ।

यूनियन परिषद चुनाव के पांचवें चरण के मतदान के दौरान कई जगह पर हुई हिंसा में कम से कम दस लोगों की मौत हो गई। उनमें दो महिलाएं भी हैं। दर्जनों लोग घायल हुए हैं। हिंसा और धांधली के आरोपों की वजह से कई यूनियनों ने मतदान का बहिष्कार कर दिया। पर्यवेक्षकों का कहना है कि बुधवार को जो नजारा देखने को मिला, वह देश में बिगड़ रहे राजनीतिक माहौल का नतीजा है। देश में विभिन्न मुद्दों पर राजनीतिक टकराव बढ़ता जा रहा है।

हिंसा के लिए आयोग जिम्मेदार नहीं

बड़े पैमाने पर हिंसा के बावजूद निर्वाचन आयोग ने दावा किया कि चुनाव शांतिपूर्ण रहा। आयोग के सचिव हुमायूं कबीर खांडकर ने यह दावा भी किया कि कुछ छिटपुट घटनाएं ही हुई हैं। जब पत्रकारों ने उनसे हिंसा में मारे गए लोगों के बारे में सवाल पूछा, तो उन्होंने कहा- ऐसी मौतों और चुनावी हिंसा के लिए आयोग जिम्मेदार नहीं है। खांडकर ने बताया कि बुधवार को 70 फीसदी मतदाताओं ने वोट डाले।

बांग्लादेश के अखबारों में छपी खबर के मुताबिक कई जगहों पर मीडियाकर्मी भी हिंसा का निशाना बने। कमलगंज में माधवपुर यूनियन के लिए हो रहे मतदान के दौरान एटीएन न्यूज के कैमरापर्सन पर एक उम्मीदवार के समर्थकों ने हमला बोल दिया। चटगांव में एक वाहन पर हुए हमले में एक पत्रकार घायल हो गया। आरोप है कि ज्यादातर हिंसा सत्ताधारी अवामी लीग से जुड़े लोगों की तरफ से की गई।

खालिदा जिया को विदेश भेजना नहीं चाहती सरकार

उधर बीएनपी ने बुधवार को ‘लोकतंत्र हत्या’ दिवस के रूप में मनाया। पार्टी 2014 से इस दिन को इस रूप में मनाती है। 5 जनवरी 2013 को शेख हसीना वाजेद की सरकार दोबारा सत्ता में लौटी थी। लेकिन बीएनपी का आरोप है कि शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी ने बड़े पैमाने पर धांधली करके वो चुनाव जीता था। बीएनपी ने बुधवार को जगह-जगह प्रदर्शन कर इस मुद्दे को फिर से उठाया। इस दौरान बीएनपी की नेता और पूर्व प्रधानमंत्री बेगम खालिदा जिया को इलाज के लिए विदेश जाने की इजाजत देने का मुद्दा भी उठाया गया।

बीएनपी ने कहा है कि सही इलाज न मिलने की वजह से अगर बेगम जिया को कुछ हुआ, तो अवामी लीग पर हत्या का मुकदमा दर्ज कराया जाएगा। 76 वर्षीया बेगम जिया बीमार हैं। बीएनपी उन्हें इलाज के लिए विदेश ले जाना चाहती है। लेकिन शेख हसीना सरकार का कहना है कि चूंकि बेगम जिया को आपराधिक मामले में सजा हो चुकी है, इसलिए उन्हें विदेश जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

बीएनपी के प्रदर्शन के दौरान चटगांव में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच तीखी झड़प हुई। बांग्लादेश के अखबार न्यू एज की एक रिपोर्ट के मुताबिक उस झड़प में बीएनपी के कम से कम दस कार्यकर्ता जख्मी हुए। उधर पुलिस ने बीएनपी के 44 समर्थकों को गिरफ्तार भी कर लिया।

विस्तार

बांग्लादेश में बढ़ते राजनीतिक टकराव ने अब हिंसक मोड़ ले लिया है। बुधवार को एक तरह जहां यूनियन परिषद चुनावों के सिलसिले में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई, वहीं विपक्षी बांग्लादेश नेशनल पार्टी (बीएनपी) के विरोध प्रदर्शनों के दौरान भी जगह-जगह सुरक्षा बलों और विपक्षी कार्यकर्ताओं के बीच झड़पें हुईँ।

यूनियन परिषद चुनाव के पांचवें चरण के मतदान के दौरान कई जगह पर हुई हिंसा में कम से कम दस लोगों की मौत हो गई। उनमें दो महिलाएं भी हैं। दर्जनों लोग घायल हुए हैं। हिंसा और धांधली के आरोपों की वजह से कई यूनियनों ने मतदान का बहिष्कार कर दिया। पर्यवेक्षकों का कहना है कि बुधवार को जो नजारा देखने को मिला, वह देश में बिगड़ रहे राजनीतिक माहौल का नतीजा है। देश में विभिन्न मुद्दों पर राजनीतिक टकराव बढ़ता जा रहा है।

हिंसा के लिए आयोग जिम्मेदार नहीं

बड़े पैमाने पर हिंसा के बावजूद निर्वाचन आयोग ने दावा किया कि चुनाव शांतिपूर्ण रहा। आयोग के सचिव हुमायूं कबीर खांडकर ने यह दावा भी किया कि कुछ छिटपुट घटनाएं ही हुई हैं। जब पत्रकारों ने उनसे हिंसा में मारे गए लोगों के बारे में सवाल पूछा, तो उन्होंने कहा- ऐसी मौतों और चुनावी हिंसा के लिए आयोग जिम्मेदार नहीं है। खांडकर ने बताया कि बुधवार को 70 फीसदी मतदाताओं ने वोट डाले।

बांग्लादेश के अखबारों में छपी खबर के मुताबिक कई जगहों पर मीडियाकर्मी भी हिंसा का निशाना बने। कमलगंज में माधवपुर यूनियन के लिए हो रहे मतदान के दौरान एटीएन न्यूज के कैमरापर्सन पर एक उम्मीदवार के समर्थकों ने हमला बोल दिया। चटगांव में एक वाहन पर हुए हमले में एक पत्रकार घायल हो गया। आरोप है कि ज्यादातर हिंसा सत्ताधारी अवामी लीग से जुड़े लोगों की तरफ से की गई।

खालिदा जिया को विदेश भेजना नहीं चाहती सरकार

उधर बीएनपी ने बुधवार को ‘लोकतंत्र हत्या’ दिवस के रूप में मनाया। पार्टी 2014 से इस दिन को इस रूप में मनाती है। 5 जनवरी 2013 को शेख हसीना वाजेद की सरकार दोबारा सत्ता में लौटी थी। लेकिन बीएनपी का आरोप है कि शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी ने बड़े पैमाने पर धांधली करके वो चुनाव जीता था। बीएनपी ने बुधवार को जगह-जगह प्रदर्शन कर इस मुद्दे को फिर से उठाया। इस दौरान बीएनपी की नेता और पूर्व प्रधानमंत्री बेगम खालिदा जिया को इलाज के लिए विदेश जाने की इजाजत देने का मुद्दा भी उठाया गया।

बीएनपी ने कहा है कि सही इलाज न मिलने की वजह से अगर बेगम जिया को कुछ हुआ, तो अवामी लीग पर हत्या का मुकदमा दर्ज कराया जाएगा। 76 वर्षीया बेगम जिया बीमार हैं। बीएनपी उन्हें इलाज के लिए विदेश ले जाना चाहती है। लेकिन शेख हसीना सरकार का कहना है कि चूंकि बेगम जिया को आपराधिक मामले में सजा हो चुकी है, इसलिए उन्हें विदेश जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

बीएनपी के प्रदर्शन के दौरान चटगांव में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच तीखी झड़प हुई। बांग्लादेश के अखबार न्यू एज की एक रिपोर्ट के मुताबिक उस झड़प में बीएनपी के कम से कम दस कार्यकर्ता जख्मी हुए। उधर पुलिस ने बीएनपी के 44 समर्थकों को गिरफ्तार भी कर लिया।

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