सार
यूक्रेन को युद्ध में झोंकने, प्रतिबंधों का दबाव महसूस होने और असहमति की आवाजों को दबाने से चिंतित कई लोग रूस से भाग रहे हैं।
रूस-यूक्रेन के बीच जंग का आज 20वां दिन है। इस युद्ध को समाप्त करने को लेकर अब तक दोनों देशों के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन अब तक आम सहमति नहीं बन पा रही है। लंबी खिचती जंग के बीच रूस के सैन्य उपकरण और गोला-बारूद तेजी से खत्म हो रहे हैं। पूर्व अमेरिकी सैन्य अधिकारी ने दावा किया है कि रूस के पास सिर्फ दस दिन का ही गोला-बारूद बचा है।
हालांकि इस बीच रूस की ओर से दावा किया गया है कि उसने यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर खरसन को पूरी तरह से अपने कब्जे में ले लिया है। लेकिन रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के यूक्रेन पर हमला करने को लेकर रूस में कई लोग इसका विरोध कर रहे हैं। इस वजह से लोगों का पलायन सिर्फ यूक्रेन में ही नहीं हो रहा बल्कि रूस में भी कई लोगों ने अपना देश छोड़ना शुरू कर दिया है। कई रूसी नागरिक भी दूसरे देश जाने को मजबूर हुए हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लाखों की संख्या में लोग रूस छोड़कर दूसरे देशों की ओर शरण ले रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक युद्ध शुरू होने के बाद से अब तक तकरीबन 2 लाख लोग देश छोड़कर चले गए हैं।
रूसी देश क्यों छोड़ रहे?
अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रूस छोड़ने वाले ज्यादतर लोगों ने आर्थिक और राजनीतिक परिणामों के डर से युद्ध छिड़ते ही अपना देश छोड़ने का निर्णय लिया। वहीं कुछ लोगों ने रूस में युद्ध पर दुष्प्रचार फैलाने को लेकर नया कानून बनने के बाद यह कदम उठाया।
यह कानून क्या है?
रूसी संसद ने चार मार्च को एक कानून पारित किया, जिसके तहत यूक्रेन में युद्ध के बारे में ‘दुष्प्रचार’ फैलाने के आरोपियों को 15 साल तक की जेल हो सकती है। यूक्रेन का समर्थन करने वाले लोगों में डर है कि हो सकता है कि वे इस कानून के निशाने पर आ जाएं।
यूक्रेन पर हमले के अगले दिन रूस में इस हमले के विरोध में हुए कई प्रदर्शन हुए थे, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों को गिरफ्तार किया गया था। स्वतंत्र निगरानी साइट ओवीडी-इन्फो के अनुसार, देश भर में युद्ध विरोधी प्रदर्शनों में मार्च के पहले सप्ताह में 7,500 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया है। देश के कई स्वतंत्र समाचार आउटलेट को भी बंद करने के लिए मजबूर किया गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के कारण मॉस्को से ऐप्पल और नाइके समेत कई पश्चिमी कंपनियों के कर्मचारियों का सामूहिक पलायन हुआ है। रूस छोड़ने वालों मे ज्यादातर तकनीकी जानकार और इस क्षेत्र में काम करने वाले लोग हैं।
कार्नेगी एंडोमेंट के एक सीनियर फेलो आंद्रेई कोलेनिकोव के एक बयान के मुताबिक ‘देश से गुणवत्तापूर्ण कार्यबल का पलायन हो सकता है जिन्हें महसूस हो रहा है कि रूस में उनके लिए कोई भविष्य नहीं है।’
लोग रूस छोड़कर कहां जा रहे हैं?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ज्यादतर लोग जॉर्जिया जा रहे हैं। यूरोपियन यूनियन, ब्रिटेन और अमेरिका ने रूस के लिए अपना एयर स्पेस बंद कर दिया है, इसलिए लोग तुर्की, मध्य एशिया और दक्षिण कराकस जैसी उन जगहों पर जा रहे हैं, जहां के लिए उड़ानें अभी बंद नहीं हुई हैं। इनमें ज्यादातर लोग ऐसे हैं जिनके पास वीजा नहीं है।
वहीं कुछ लोग सीमा पार के लातविया, एस्टोनिया और लिथुआनिया भी पहुंच रहे हैं। पत्रकार बोरिस ग्रोजोवस्की ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा है ‘हाल के दिनों में कई रूसी जॉर्जिया पहुंचे हैं। ’
विस्तार
रूस-यूक्रेन के बीच जंग का आज 20वां दिन है। इस युद्ध को समाप्त करने को लेकर अब तक दोनों देशों के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन अब तक आम सहमति नहीं बन पा रही है। लंबी खिचती जंग के बीच रूस के सैन्य उपकरण और गोला-बारूद तेजी से खत्म हो रहे हैं। पूर्व अमेरिकी सैन्य अधिकारी ने दावा किया है कि रूस के पास सिर्फ दस दिन का ही गोला-बारूद बचा है।
हालांकि इस बीच रूस की ओर से दावा किया गया है कि उसने यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर खरसन को पूरी तरह से अपने कब्जे में ले लिया है। लेकिन रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के यूक्रेन पर हमला करने को लेकर रूस में कई लोग इसका विरोध कर रहे हैं। इस वजह से लोगों का पलायन सिर्फ यूक्रेन में ही नहीं हो रहा बल्कि रूस में भी कई लोगों ने अपना देश छोड़ना शुरू कर दिया है। कई रूसी नागरिक भी दूसरे देश जाने को मजबूर हुए हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लाखों की संख्या में लोग रूस छोड़कर दूसरे देशों की ओर शरण ले रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक युद्ध शुरू होने के बाद से अब तक तकरीबन 2 लाख लोग देश छोड़कर चले गए हैं।
रूसी देश क्यों छोड़ रहे?
अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रूस छोड़ने वाले ज्यादतर लोगों ने आर्थिक और राजनीतिक परिणामों के डर से युद्ध छिड़ते ही अपना देश छोड़ने का निर्णय लिया। वहीं कुछ लोगों ने रूस में युद्ध पर दुष्प्रचार फैलाने को लेकर नया कानून बनने के बाद यह कदम उठाया।
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