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Inflation: अमेरिका और जापान समेत पूरी दुनिया को सता रहा महंगाई का डर, नए साल में राहत मिलने की उम्मीद नहीं

प्रतीकात्मक तस्वीर

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: दीपक चतुर्वेदी
Updated Sat, 25 Dec 2021 10:08 AM IST

सार

Inflation In India : दुनिया भर में इन दिनों महंगाई को लेकर लोग परेशान हैं। लगभग हर बड़े देश में महंगाई पुराने रिकॉर्ड तोड़कर नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है। हाल ये है कि अमेरिका में 1982 के बाद महंगाई उच्च स्तर पर है तो दूसरी ओर भारत में थोक महंगाई का आंकड़ा 12 साल के हाई पर पहुंच चुका है।
 

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विस्तार

दुनिया भर में इन दिनों महंगाई को लेकर लोग परेशान हैं। लगभग हर बड़े देश में महंगाई पुराने रिकॉर्ड तोड़कर नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है। वहीं दूसरी ओर इसे नियंत्रित करने के तमाम उपाय नाकामयाब होते दिख रहे हैं। यही कारण है कि अमेरिका, चीन, जापान और भारत समेत कई देशों में लोगों को नए साल में महंगाई और बढ़ने का डर सता रहा है। हाल ये है कि अमेरिका में 1982 के बाद महंगाई उच्च स्तर पर है तो दूसरी ओर भारत में थोक महंगाई का आंकड़ा 12 साल के हाई पर पहुंच चुका है। ऐसे में आम लोगों समेत विशेषज्ञों को चिंता है कि नए साल में भी लोगों की जेब पर बोझ कम नहीं होगा। 

कोरोना के नुकसान की भरपाई नहीं

कोरोना महामारी की शुरुआत के बाद से दुनियाभर के देशों में जो हाहाकार मचा और आर्थिक स्तर पर जो बड़ा नुकसान हुआ, उसकी भरपाई अभी तक नहीं हो पाई है। वहीं दूसरी ओर कोरोना के नए-नए रूप लोगों में खौफ पैदा कर रहे हैं। ओमिक्रॉन वैरिएंट के बढ़ते प्रकोप से लोगों को डर है कि कहीं फिर से प्रतिबंधों का सामना न करना पड़े। इस बीच लगातार बढ़ती महंगाई ने लोगों पर दोहरी मार की है। हालात ये हैं कि 50 साल बाद एक बार फिर इसे लेकर विशेषज्ञों और अर्थशास्त्रियों के माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ गई हैं। बड़े -बड़े देशों में लगातार बढ़ती महंगाई को देखकर विशेषज्ञ मान रहे हैं कि नए साल 2022 में भी लोगों को बढ़ती महंगाई से राहत मिलने की कोई उम्मीद नहीं है। 

भारत में महंगाई की दोहरी मार

भारत में महंगाई की बात करें तो थोक और खुदरा दोनों प्रकार की महंगाई में महीने-दर-महीने इजाफा हो रहा है। कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (सीपीआई) पर आधारित खुदरा महंगाई नवंबर में 4.9 फीसदी के स्तर पर पहुंच चुकी है। हालांकि, यह आंकड़ा भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के निर्धारित दायरे में हैं, इसलिए इसे बहुत अधिक कहना बेमानी होगी। मगर आम लोगों के लिए ये इजाफा परेशान करने वाला है। वहीं दूसरी ओर व्होलसेल प्राइस इंडेक्स (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित थोक महंगाई को देखें तो यह पिछले 12 साल के उच्च स्तर पर पहुंच चुकी है। इसका स्तर डराने वाला है। जी हां, फिलहाल देश में थोक महंगाई 14.23 फीसदी के स्तर पर है। बता दें कि इससे पहले साल 1992 में थोक महंगाई का आंकड़ा 13.8 फीसदी के स्तर पर था। 

8 महीने से दोहरे अंकों में थोक महंगाई  

2021 को देखें तो भारत में अप्रैल से शुरू होकर लगातार आठ महीने से थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति दहाई अंक में बनी हुई है। इस साल अक्तूबर में महंगाई दर 12.54 फीसदी थी, जो बढ़कर नवंबर में 14.23 के स्तर पर पहुंच गई यानी इसमें 1.69 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने महंगाई में इजाफे के लिए मुख्य रूप से पिछले वर्ष के इसी महीने की तुलना में खनिज तेलों, मूल धातुओं, कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, रसायन और रासायनिक उत्पादों, खाद्य उत्पादों आदि की कीमतों में वृद्धि को कारण बताया है। आंकड़ों के मुताबिक, नवंबर में ईंधन और बिजली की मुद्रास्फीति बढ़कर 39.81 प्रतिशत हो गई, जबकि अक्तूबर में यह 37.18 प्रतिशत थी। खाद्य सूचकांक पिछले महीने के 3.06 प्रतिशत की तुलना में दोगुने से अधिक बढ़कर 6.70 प्रतिशत हो गया। समीक्षाधीन महीने में कच्चे पेट्रोलियम की मुद्रास्फीति 91.74 प्रतिशत रही, जबकि अक्तूबर में यह 80.57 प्रतिशत थी। हालांकि, विनिर्मित वस्तुओं में कमी दर्ज की गई है। यह अक्तूबर में 12.04 प्रतिशत की तुलना में 11.92 प्रतिशत दर्ज की गई।

सर्वे में ये बड़ी बात आई सामने

भारत में खाने-पीने की चीजों से लेकर इलेक्ट्रिक उपकरणों और कपड़ों तक पर महंगाई की मार पड़ी है। आने वाले समय में भी इस महंगाई से लोगों को राहत मिलती नहीं दिख रही है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के हालिया सर्वे में भी यह बात सामने आई है कि देश की जनता को महंगाई और बढ़ने का डर सता रहा है। आरबीआई  द्वारा अक्तूबर के अंत और नवंबर की शुरुआत में किए गए एक सर्वे से पता चलता है कि भारतीय परिवार निकट और मध्यम अवधि में मुद्रास्फीति के और सख्त होने की उम्मीद कर रहे हैं। यह सर्वे 25 अक्तूबर से 3 नवंबर के बीच 18 प्रमुख शहरों में आयोजित किया गया था। इस दौरान इन शहरों में रहने वाले लगभग 5,910 परिवारों की प्रतिक्रियाएं ली गईं। इनमें अहमदाबाद, बेंगलुरु, भोपाल, चेन्नई, दिल्ली, गुवाहाटी, हैदराबाद, जयपुर, कोलकाता, लखनऊ, मुंबई, पटना और तिरुवनंतपुरम में निवासरत परिवार शामिल हैं। 

तीन माह में महंगाई और बढ़ने आ अनुमान

सर्वेक्षण से पता चलता है कि उत्तरदाताओं का अनुपात जो अगले तीन महीनों में और आने वाले वर्ष में उच्च मुद्रास्फीति की उम्मीद कर रहे हैं, नवंबर महीने में और भी बढ़ गया है। परिवारों की ये राय ऐसे समय में है जबकि पेट्रोल और डीजल और अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल पर घरेलू उत्पाद शुल्क में कटौती की जा चुकी है, इसके बावजूद भी परिवारों की भावनाओं में मंहगाई को लेकर धारणाओं में बदलाव नहीं दिखा है। हाल ही में आरबीआई की मीटिंग में गर्वनर शक्तिकांत दास ने कहा था कि सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति के 2021-22 में 5.3 प्रतिशत रहने की संभावना है।

अर्थशास्त्रियों की बढ़ी चिंता

महंगाई की मार से भारत ही नहीं बल्कि सारी दुनिया परेशान है। अर्थशास्त्री ये समझने में लगे हैं कि आखिर पूरी दुनिया के सामने ये चुनौती कैसे खड़ी हो गई। अमेरिका में महंगाई दर 1982 के सबसे ऊंचे स्तर को भी पार कर गई। चीन से लेकर यूरोप तक इस समस्या का सामना कर रहे हैं। ब्रिटेन में भी महंगाई से आम जनता परेशान है। कोरोना और महंगाई की दोहरी मार से लोगों को निकलने का रास्ता नहीं मिल पा रहा है। इससे आम उपभोक्ता, उद्योगपति, बैंकर और राजनेता सभी परेशान हैं।

दुनियाभर के देशों में हाल बेहाल

अभी हाल ही में अमेरिका एवं अन्य यूरोपीयन देशों में मुद्रास्फीति की दर के आंकड़े जारी किये गए हैं। अमेरिका में नवम्बर 2021 माह में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति की दर 6.8 प्रतिशत तक पहुंच गई है जो जून 1982 से लेकर आज तक सबसे अधिक मुद्रास्फीति की दर है। अक्टोबर 2021 माह में भी मुद्रास्फीति की दर 6.2 प्रतिशत थी एवं सितम्बर 2021 में यह 5.4 प्रतिशत थी। अमेरिका में पिछले लगातार 9 माह से मुद्रास्फीति की दर सह्यता स्तर अर्थात 2 प्रतिशत से अधिक बनी हुई है। लगभग यही स्थिति यूरोप के अन्य देशों की भी है। अमेरिका की पीईडब्ल्यू नामक अनुसंधान केंद्र ने विश्व के 46 देशों में मुद्रा स्फीति की दर पर एक सर्वेक्षण किया है एवं इसमें पाया है कि 39 देशों में वर्ष 2021 की तीसरी तिमाही में मुद्रा स्फीति की दर, कोरोना महामारी के पूर्व, वर्ष 2019 की तीसरी तिमाही में मुद्रास्फीति की दर की तुलना में बहुत अधिक है।

जापान में महंगाई 40 साल के हाई पर 

दुनियाभर की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ती महंगाई ने चौंका दिया है। फिर चाहे बात अमेरिका और जर्मनी की हो या फिर चीन और जापान की, ये सभी देश इस वक्त महंगाई से बुरी तरह परेशान हैं। जापान की अगर बात करें तो यहां प्रोडक्शन प्राइज इडेक्शन 40 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच चुका है। वहीं ब्रिटेन के राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय ने बताया कि उपभोक्ता कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति अक्तूबर में 4.2 फीसदी हो गई, जो एक महीने पहले यानी सितंबर में 3.1 फीसदी पर थी। यह वृद्धि अनुमान से अधिक है, जिसके चलते ब्रिटेन में महंगाई नवंबर 2011 के बाद उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। 

समाज का हर वर्ग प्रभावित

मुद्रास्फीति का तेजी से बढ़ना, समाज के हर वर्ग, विशेष रूप से समाज के गरीब एवं निचले तबके तथा मध्यम वर्ग के लोगों को आर्थिक दृष्टि से अत्यधिक विपरीत रूप में प्रभावित करता है। क्योंकि, इस वर्ग की आय, जोकि एक निश्चित सीमा में ही रहती है, का एक बहुत बड़ा भाग उनके खाने-पीने पर ही खर्च हो जाता है और यदि मुद्रास्फीति की बढ़ती दर तेज बनी रहे तो इस वर्ग के खान-पान पर भी विपरीत प्रभाव पड़ने लगता है। इसलिए, मुद्रास्फीति की दर को काबू में रखना किसी भी देश की सरकार का प्रमुख कर्तव्य है। मुद्रास्फीति की तेज बढ़ती दर, दीर्घकाल में देश के आर्थिक विकास की दर को भी धीमा कर देती है।

 

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