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रुस-यूक्रेन युद्ध का असर: एसबीआई ने घटाया भारत का जीडीपी ग्रोथ अनुमान, डॉलर के मुकाबले अभी और टूटेगा रुपया

रुस-यूक्रेन युद्ध का असर: एसबीआई ने घटाया भारत का जीडीपी ग्रोथ अनुमान, डॉलर के मुकाबले अभी और टूटेगा रुपया

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: दीपक चतुर्वेदी
Updated Tue, 15 Mar 2022 11:27 AM IST

सार

India’s GDP Growth Rate Dips To 7.1 Percent: भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने अपनी रिपोर्ट में अनुमान जताया है कि 19 दिनों से जारी रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध अगर और आगे बढ़ा तो भारतीय मुद्रा डॉलर के मुकाबले टूटकर 77.5 तक आ सकता है। इसके साथ ही एसबीआई के अर्थशास्त्रियों ने युद्ध के असर के चलते भारत का जीडीपी ग्रोथ अनुमान भी घटा दिया है। 

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रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध को 19 दिन बीत चुके हैं और संघर्ष अभी थमने का नाम नहीं ले रहा है। दोनों देशों को इस युद्ध से भारी नुकसान हो रहा है और इसका असर दुनिया के दूसरे देशों पर भी साफ दिख रहा है। इस बीच भारत के सबसे बड़े ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने यूक्रेन संकट के कारण भारत के जीडीपी ग्रोथ अनुमान को घटाकर 7.8 फीसदी कर दिया है। इससे पहले एसबीआई ने आठ फीसदी जीडीपी ग्रोथ का अनुमान जताया था। 

77.5 तक फिसल सकता है रुपया 
गौरतलब है कि रूस-यूक्रेन युद्ध भारत के लिए भी कई बड़ी चुनौतियों का सबब बनता जा रहा है। देश में सोमवार को जारी किए गए महंगाई के आंकड़ों को देखें तो थोक और खुदरा दोनों महंगाई फरवरी में बढ़ गई हैं। इसी प्रमुख वजह रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से कच्चे तेल में आई तेजी है। कच्चे तेल में तेजी की वजह से ही भारतीय मुद्रा रुपये पर भी दबाव बढ़ रहा है। एसबीआई के अर्थशास्त्रियों का कहना है कि अगर दोनों देशों के बीच युद्ध और आगे बढ़ता है तो डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट और बढ़ जाएगी। एसबीआई की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि जून 2022 तक रुपया डॉलर के मुकाबले 77.5 के स्तर तक फिसल सकता है। 

कच्चे तेल की कीमतों का असर
हाल ही में कच्चे तेल की कीमतों का असर रुपये पर देखने को भी मिला था, जब ब्रेंट क्रूड के दाम में उछाल के चलते रुपया डॉलर के मुकाबले 77 के स्तर तक पहुंच गया था। बता दें कि बीते कारोबारी सत्र सोमवार को डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा 10 पैसे की गिरावट के साथ 76.54 के स्तर पर बंद हुई थी। एसबीआई के अर्थशास्त्रियों का अनुमान ये भी है कि अगर कच्चे तेल का भाव 130 डॉलर प्रति बैरल पर रहता है तो देश का करंट अकाउंट डेफिसिट जीडीपी के 3.5 फीसदी तक पहुंच जाएगा। 

विदेशी निवेशक निकाल रहे पैसा
रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के चलते निवेशकों की धारणाओं पर नकारात्मक असर हुआ है। क्योंकि रूस का ग्लोबल ऑयल सप्लाई में 14 फीसदी और नैचुरल गैस सप्लाई में 17 फीसदी योगदान देता है और इस युद्ध के चलते सप्लाई चेन पर विपरीत प्रभाव का अंदेशा गहरा गया है। ऐसे में शॉर्ट टर्म में रुपये पर दबाव दिखाई दे रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, एफपीआई ने अक्तूबर-दिसंबर तिमाही में जबरदस्त दो लाख करोड़ रुपये की निकासी की है। इसके चलते भारतीय बाजारों में एफपीआई की हिस्सेदार दो फीसदी कम होकर 654 अरब डॉलर हो गई है, जो कि इससे पिछली तिमाही में 667 अरब डॉलर थी। पैसे निकालने का ये सिलसिला लगातार जारी है। 

महंगाई 5.7% तक रहने की उम्मीद
एसबीआई के चीफ इकोनॉमिस्ट सौम्यकांत घोष ने कहा कि अगर कच्चा तेल 130 डॉलर के औसत भाव पर रहता है तो करंट अकाउंट डेफिसिट जीडीपी का 3.5 फीसदी तक रह सकता है। इस सूरत में अगले वित्त वर्ष औसत महंगाई 5.7 फीसदी तक रह सकती है। बता दें कि सोमवार को सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, देश में फरवरी महीने में थोक महंगाई जनवरी की तुलना में बढ़कर 13.11 प्रतिशत पर पहुंच गई है और यह लगातार 11वें महीने दोहरे अंकों में बनी हुई है। इसके साथ ही भारत में खुदरा महंगाई का आंकड़ा भी जनवरी के तुलना में बढ़कर 6.07 फीसदी पर पहुंच चुका है। 

विस्तार

रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध को 19 दिन बीत चुके हैं और संघर्ष अभी थमने का नाम नहीं ले रहा है। दोनों देशों को इस युद्ध से भारी नुकसान हो रहा है और इसका असर दुनिया के दूसरे देशों पर भी साफ दिख रहा है। इस बीच भारत के सबसे बड़े ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने यूक्रेन संकट के कारण भारत के जीडीपी ग्रोथ अनुमान को घटाकर 7.8 फीसदी कर दिया है। इससे पहले एसबीआई ने आठ फीसदी जीडीपी ग्रोथ का अनुमान जताया था। 

77.5 तक फिसल सकता है रुपया 

गौरतलब है कि रूस-यूक्रेन युद्ध भारत के लिए भी कई बड़ी चुनौतियों का सबब बनता जा रहा है। देश में सोमवार को जारी किए गए महंगाई के आंकड़ों को देखें तो थोक और खुदरा दोनों महंगाई फरवरी में बढ़ गई हैं। इसी प्रमुख वजह रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से कच्चे तेल में आई तेजी है। कच्चे तेल में तेजी की वजह से ही भारतीय मुद्रा रुपये पर भी दबाव बढ़ रहा है। एसबीआई के अर्थशास्त्रियों का कहना है कि अगर दोनों देशों के बीच युद्ध और आगे बढ़ता है तो डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट और बढ़ जाएगी। एसबीआई की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि जून 2022 तक रुपया डॉलर के मुकाबले 77.5 के स्तर तक फिसल सकता है। 

कच्चे तेल की कीमतों का असर

हाल ही में कच्चे तेल की कीमतों का असर रुपये पर देखने को भी मिला था, जब ब्रेंट क्रूड के दाम में उछाल के चलते रुपया डॉलर के मुकाबले 77 के स्तर तक पहुंच गया था। बता दें कि बीते कारोबारी सत्र सोमवार को डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा 10 पैसे की गिरावट के साथ 76.54 के स्तर पर बंद हुई थी। एसबीआई के अर्थशास्त्रियों का अनुमान ये भी है कि अगर कच्चे तेल का भाव 130 डॉलर प्रति बैरल पर रहता है तो देश का करंट अकाउंट डेफिसिट जीडीपी के 3.5 फीसदी तक पहुंच जाएगा। 

विदेशी निवेशक निकाल रहे पैसा

रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के चलते निवेशकों की धारणाओं पर नकारात्मक असर हुआ है। क्योंकि रूस का ग्लोबल ऑयल सप्लाई में 14 फीसदी और नैचुरल गैस सप्लाई में 17 फीसदी योगदान देता है और इस युद्ध के चलते सप्लाई चेन पर विपरीत प्रभाव का अंदेशा गहरा गया है। ऐसे में शॉर्ट टर्म में रुपये पर दबाव दिखाई दे रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, एफपीआई ने अक्तूबर-दिसंबर तिमाही में जबरदस्त दो लाख करोड़ रुपये की निकासी की है। इसके चलते भारतीय बाजारों में एफपीआई की हिस्सेदार दो फीसदी कम होकर 654 अरब डॉलर हो गई है, जो कि इससे पिछली तिमाही में 667 अरब डॉलर थी। पैसे निकालने का ये सिलसिला लगातार जारी है। 

महंगाई 5.7% तक रहने की उम्मीद

एसबीआई के चीफ इकोनॉमिस्ट सौम्यकांत घोष ने कहा कि अगर कच्चा तेल 130 डॉलर के औसत भाव पर रहता है तो करंट अकाउंट डेफिसिट जीडीपी का 3.5 फीसदी तक रह सकता है। इस सूरत में अगले वित्त वर्ष औसत महंगाई 5.7 फीसदी तक रह सकती है। बता दें कि सोमवार को सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, देश में फरवरी महीने में थोक महंगाई जनवरी की तुलना में बढ़कर 13.11 प्रतिशत पर पहुंच गई है और यह लगातार 11वें महीने दोहरे अंकों में बनी हुई है। इसके साथ ही भारत में खुदरा महंगाई का आंकड़ा भी जनवरी के तुलना में बढ़कर 6.07 फीसदी पर पहुंच चुका है। 

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