वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, काठमांडो
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Fri, 07 Jan 2022 06:13 PM IST
सार
पर्यवेक्षकों का कहना है कि कोइराला और उनके समर्थकों की नाराजगी की खास वजह यह है कि पार्टी संगठन में कोइराला का दर्जा गिरा दिया गया है। अब पार्टी क्रम में उनका स्थान 20वां हैं। देउबा विरोधी नेताओं का कहना है कि नेपाली कांग्रेस की परंपरा अध्यक्ष पद के चुनाव में हारे नेता को सम्मानजनक पद देने की रही है…
शेर बहादुर देउबा, पीएम नेपाल
– फोटो : Agency (File Photo)
नेपाल की सत्ताधारी पार्टी नेपाली कांग्रेस में दरार पड़ती दिख रही है। उससे प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता शेखर कोइराला ने देउबा के खिलाफ विरोध की कमान संभाल ली है। हाल में हुए नेपाली कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन के दौरान कोइराला ने देउबा के खिलाफ पार्टी अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा था। तब वे हार गए थे। लेकिन अब उन्होंने पार्टी के भीतर देउबा पर हमला बोलने का संकेत दिया है।
पर्यवेक्षकों के मुताबिक अब तक नेपाली कांग्रेस के भीतर देउबा विरोधी खेमे का नेतृत्व रामचंद्र पौडेल कर रहे थे। लेकिन इस खेमे का नेतृत्व कोइराला ने संभाल लिया है। नेपाली मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक बीते बुधवार को कोइराला ने देउबा विरोधी नेताओँ की बैठक बुलाई। राष्ट्रीय अधिवेशन के बाद पहली बार पार्टी के अंदर इस तरह की बैठक हुई। सूत्रों के मुताबिक बैठक का प्रमुख एजेंडा यह था कि देउबा पर अब लगाम कैसे लगाई जाए। राष्ट्रीय अधिवेशन के दौरान देउबा लगभग 80 फीसदी पार्टी पदों पर अपने लोगों को चुनवाने में सफल रहे। पार्टी की केंद्रीय कार्यसमिति में भी उनका भारी बहुमत है।
सदस्यों की नियुक्ति के तरीकों पर सवाल उठाए
कोइराला की तरफ से बुलाई गई बैठक में कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए। खबरों के मुताबिक बैठक में ये शिकायत जताई गई कि देउबा जिस तरह से पार्टी को चला रहे हैं, वह पार्टी के हित में नहीं हैं। इसलिए इस बात पर चर्चा हुई कि देउबा को गलत फैसले लेने से कैसे रोका जाए। इस दौरान कोइराला ने केंद्रीय कार्यसमिति के सदस्यों की नियुक्ति के तरीके पर सवाल उठाया। ये नियुक्तियां देउबा ने की हैं।
देउबा ने पिछले शनिवार को 13 नेताओं को कार्यसमिति में मनोनीत किया था। उनमें ज्यादातर ऐसे नेता थे, जो राष्ट्रीय अधिवेशन में हुए चुनाव में हार गए थे। बीते रविवार को उन्होंने दो और नेताओं को इसमें मनोनीत कर दिया। बताया जाता है कि ये फैसला करते वक्त देउबा ने कोइराला या विरोधी खेमे के किसी दूसरे नेता से राय-मशविरा नहीं किया।
बैठक में कोइराला ने कहा- ‘जो लोग मनोनीत किए गए हैं, वे काबिल हैं। लेकिन हम जानना चाहते हैं कि उनकी नामजदगी का आधार क्या है।’ कोइराला ने कहा कि अगर पार्टी पदाधिकारियों का चुनाव व्यक्तिगत पसंद या नापसंदगी के आधार पर किया जाएगा, तो पार्टी दुर्घटना का शिकार हो जाएगी।
कोइराला का दर्जा गिरा
पर्यवेक्षकों का कहना है कि कोइराला और उनके समर्थकों की नाराजगी की खास वजह यह है कि पार्टी संगठन में कोइराला का दर्जा गिरा दिया गया है। अब पार्टी क्रम में उनका स्थान 20वां हैं। देउबा विरोधी नेताओं का कहना है कि नेपाली कांग्रेस की परंपरा अध्यक्ष पद के चुनाव में हारे नेता को सम्मानजनक पद देने की रही है। लेकिन देउबा ने कोइराला को हाशिये पर डाल दिया है।
इस बैठक से पहले कोइराला ने एक चार सूत्री दस्तावेज जारी किया था। उससे संकेत मिला कि कोइराला खेमा अगले चुनावों में दूसरे दलों के साथ किसी प्रकार का गठबंधन करने का विरोध करेगा। देउबा अभी पांच दलों वाले गठबंधन की सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं। संभावना है कि वे इन दलों से चुनावी गठबंधन की भी कोशिश करेंगे।
विस्तार
नेपाल की सत्ताधारी पार्टी नेपाली कांग्रेस में दरार पड़ती दिख रही है। उससे प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता शेखर कोइराला ने देउबा के खिलाफ विरोध की कमान संभाल ली है। हाल में हुए नेपाली कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन के दौरान कोइराला ने देउबा के खिलाफ पार्टी अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा था। तब वे हार गए थे। लेकिन अब उन्होंने पार्टी के भीतर देउबा पर हमला बोलने का संकेत दिया है।
पर्यवेक्षकों के मुताबिक अब तक नेपाली कांग्रेस के भीतर देउबा विरोधी खेमे का नेतृत्व रामचंद्र पौडेल कर रहे थे। लेकिन इस खेमे का नेतृत्व कोइराला ने संभाल लिया है। नेपाली मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक बीते बुधवार को कोइराला ने देउबा विरोधी नेताओँ की बैठक बुलाई। राष्ट्रीय अधिवेशन के बाद पहली बार पार्टी के अंदर इस तरह की बैठक हुई। सूत्रों के मुताबिक बैठक का प्रमुख एजेंडा यह था कि देउबा पर अब लगाम कैसे लगाई जाए। राष्ट्रीय अधिवेशन के दौरान देउबा लगभग 80 फीसदी पार्टी पदों पर अपने लोगों को चुनवाने में सफल रहे। पार्टी की केंद्रीय कार्यसमिति में भी उनका भारी बहुमत है।
सदस्यों की नियुक्ति के तरीकों पर सवाल उठाए
कोइराला की तरफ से बुलाई गई बैठक में कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए। खबरों के मुताबिक बैठक में ये शिकायत जताई गई कि देउबा जिस तरह से पार्टी को चला रहे हैं, वह पार्टी के हित में नहीं हैं। इसलिए इस बात पर चर्चा हुई कि देउबा को गलत फैसले लेने से कैसे रोका जाए। इस दौरान कोइराला ने केंद्रीय कार्यसमिति के सदस्यों की नियुक्ति के तरीके पर सवाल उठाया। ये नियुक्तियां देउबा ने की हैं।
देउबा ने पिछले शनिवार को 13 नेताओं को कार्यसमिति में मनोनीत किया था। उनमें ज्यादातर ऐसे नेता थे, जो राष्ट्रीय अधिवेशन में हुए चुनाव में हार गए थे। बीते रविवार को उन्होंने दो और नेताओं को इसमें मनोनीत कर दिया। बताया जाता है कि ये फैसला करते वक्त देउबा ने कोइराला या विरोधी खेमे के किसी दूसरे नेता से राय-मशविरा नहीं किया।
बैठक में कोइराला ने कहा- ‘जो लोग मनोनीत किए गए हैं, वे काबिल हैं। लेकिन हम जानना चाहते हैं कि उनकी नामजदगी का आधार क्या है।’ कोइराला ने कहा कि अगर पार्टी पदाधिकारियों का चुनाव व्यक्तिगत पसंद या नापसंदगी के आधार पर किया जाएगा, तो पार्टी दुर्घटना का शिकार हो जाएगी।
कोइराला का दर्जा गिरा
पर्यवेक्षकों का कहना है कि कोइराला और उनके समर्थकों की नाराजगी की खास वजह यह है कि पार्टी संगठन में कोइराला का दर्जा गिरा दिया गया है। अब पार्टी क्रम में उनका स्थान 20वां हैं। देउबा विरोधी नेताओं का कहना है कि नेपाली कांग्रेस की परंपरा अध्यक्ष पद के चुनाव में हारे नेता को सम्मानजनक पद देने की रही है। लेकिन देउबा ने कोइराला को हाशिये पर डाल दिया है।
इस बैठक से पहले कोइराला ने एक चार सूत्री दस्तावेज जारी किया था। उससे संकेत मिला कि कोइराला खेमा अगले चुनावों में दूसरे दलों के साथ किसी प्रकार का गठबंधन करने का विरोध करेगा। देउबा अभी पांच दलों वाले गठबंधन की सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं। संभावना है कि वे इन दलों से चुनावी गठबंधन की भी कोशिश करेंगे।
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