सार
फ्रांसीसी नेशनल असेंबली ने तीखी बहस के बाद नए ‘वैक्सीन पास’ विधेयक को मंजूरी दी। जिसके बाद देश का स्वास्थ्य पास एक सख्त ‘वैक्सीन पास’में बदल गया है।
कोरोना महामारी के दुनिया भर में बढ़ते खतरे के बीच सभी देश तेजी से टीकाकरण पर भी काम कर रहे हैं। टीका लगाने के लिए लोगों को तरह-तरह के प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं और इसके लिए कई दफ्तर अपने कर्मचारियों को छुट्टियां तक दे रहे हैं। भारत के लिए टीकाकरण के क्षेत्र में आज ऐतिहासिक दिन है, क्योंकि देश की 90 फीसदी से अधिक आबादी को कम से कम कोरोना वैक्सीन की पहली खुराक लग गई है। लेकिन टीकाकरण की खबरों के बीच फ्रांस की संसद से पारित एक विवादास्पद विधेयक की दुनिया भर में चर्चा हो रही है।
अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक फ्रांसीसी संसद ने गुरुवार को विवादों से घिरे ‘वैक्सीन पास’ विधेयक को मंजूरी दी है, जिसके बाद लोगों को सामाजिक समारोहों, खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों का हिस्सा बनने के लिए पूरी तरह से टीकाकरण कराने का सबूत पेश करना होगा।
विधेयक पर संसद में तीन दिनों तक चली बहस
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की विवादास्पद टिप्पणियों के कारण इस विधेयक पर लगातार तीन दिनों तक संसद में बहस चली। मैक्रों सरकार चाहती है कि नए उपाय 15 जनवरी से प्रभावी हों, लेकिन संसद में लंबी बहस होने के बाद कार्यान्वयन में देरी होने की संभावना है। विधेयक में नकली वैक्सीन पास रखने वालों पर भारी जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया है। ऐसा करने वालों को पांच साल तक की जेल की सजा दी जा सकती है या 75,000 यूरो का जुर्माना लगाया जा सकता है।
विधेयक में क्या है?
विधेयक में कहा गया है कि 12 साल से अधिक के उम्र के लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं और सेवाओं को छोड़कर सिनेमा हॉल, थिएटर, संग्रहालय, रेस्तरां, बार और अन्य सार्वजनिक स्थानों के साथ-साथ मेलों, सेमिनारों, व्यापार शो में जाने और अंतरराज्यीय परिवहन का इस्तेमाल करने के लिए पूरी तरह से टीकाकरण कराने का सबूत देना अनिवार्य होगा।
पहले सार्वजनिक स्थानों पर जाने के लिए कोरोना नेगेटिव लोगों को स्वास्थ्य पास दिखाने की आवश्यकता थी, लेकिन इस विधेयक के पारित होने के साथ ही स्वास्थ्य पास अब टीकाकरण पास में तब्दील हो गया है। फ्रांस में स्वास्थ्य पास की शुरुआत जून 2001 में हुई थी ताकि संक्रमण के जोखिम को कम करते हुए फ्रांसीसी लोगों को सामान्य जीवन में लौटने में मदद मिल सके।
बिना टीकाकरण वाले लोगों के लिए मुफ्त कोविड परीक्षण बंद किया
फ्रांस में अभी केवल स्वास्थ्य कर्मियों के लिए टीकाकरण अनिवार्य था लेकिन अब सार्वजनिक क्षेत्र में सभी के लिए आवश्यक हो गया है। फ्रांस सरकार ने टीकाकरण को बढ़ावा देने के मकसद से अक्टूबर 2021 से बिना टीकाकरण वाले लोगों के लिए मुफ्त कोविड परीक्षण करना बंद कर दिया था। मौजूदा सरकार टीकाकरण कार्यक्रम को भी तेजी से चला रही है।
फ्रांस में औसतन प्रतिदिन दो लाख से अधिक नए कोरोना के मामले आ रहे हैं। यूरोप में सबसे अधिक टीकाकरण करने वाले देशों में फ्रांस आगे है। फ्रांस ने 12 वर्ष से अधिक आयु के अपने 90 प्रतिशत नागरिकों का टीकाकरण कर लिया है।
विधेयक को लेकर विवाद क्या था?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस विधेयक को लेकर टीकाकरण विरोधी कार्यकर्ता नाराज थे। कुछ लोग यह भी कह रहे थे कि उन्हें हिंसक धमकियों और बर्बरता सहित कई तरह की आक्रामकता का सामना करना पड़ा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक इस विधेयक का विरोध करने पर कई राजनेताओं को मौत की धमकियां भी दी गईं। कई विपक्षी पार्टियों ने संसद में इस विधेयक का विरोध किया। विपक्षी दलों का कहना था कि इस विधेयक की वजह से न केवल पुलिस बल्कि अन्य नागरिक भी हर जगह दूसरों की आईडी की जांच करने लगेंगे।
राष्ट्रपति की विवादित टिप्पणी क्या थी
टीकाकरण विरोधी कार्यकर्ता और कुछ विपक्षी दलों के विरोध के बीच राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने बिना टीकाकरण वाले लोगों पर एक ऐसी टिप्पणी कर दी जिससे वे और नाराज हो गए। एक अखबार को दिए इंटरव्यू में राष्ट्रपति ने बिना टीकाकरण वाले लोगों को लेकर एक अभद्र टिप्पणी की थी। अगले राष्ट्रपति चुनाव से कुछ महीने पहले मैक्रों की इस टिप्पणी पर उनकी फ्रांस में खूब आलोचना हो रही है।
विस्तार
कोरोना महामारी के दुनिया भर में बढ़ते खतरे के बीच सभी देश तेजी से टीकाकरण पर भी काम कर रहे हैं। टीका लगाने के लिए लोगों को तरह-तरह के प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं और इसके लिए कई दफ्तर अपने कर्मचारियों को छुट्टियां तक दे रहे हैं। भारत के लिए टीकाकरण के क्षेत्र में आज ऐतिहासिक दिन है, क्योंकि देश की 90 फीसदी से अधिक आबादी को कम से कम कोरोना वैक्सीन की पहली खुराक लग गई है। लेकिन टीकाकरण की खबरों के बीच फ्रांस की संसद से पारित एक विवादास्पद विधेयक की दुनिया भर में चर्चा हो रही है।
अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक फ्रांसीसी संसद ने गुरुवार को विवादों से घिरे ‘वैक्सीन पास’ विधेयक को मंजूरी दी है, जिसके बाद लोगों को सामाजिक समारोहों, खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों का हिस्सा बनने के लिए पूरी तरह से टीकाकरण कराने का सबूत पेश करना होगा।
विधेयक पर संसद में तीन दिनों तक चली बहस
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की विवादास्पद टिप्पणियों के कारण इस विधेयक पर लगातार तीन दिनों तक संसद में बहस चली। मैक्रों सरकार चाहती है कि नए उपाय 15 जनवरी से प्रभावी हों, लेकिन संसद में लंबी बहस होने के बाद कार्यान्वयन में देरी होने की संभावना है। विधेयक में नकली वैक्सीन पास रखने वालों पर भारी जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया है। ऐसा करने वालों को पांच साल तक की जेल की सजा दी जा सकती है या 75,000 यूरो का जुर्माना लगाया जा सकता है।
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