‘अमर उजाला’ से खास मुलाकात में अल्लू अर्जुन स्वीकार करते हैं कि दक्षिण भारतीय फिल्मों के हिंदी संस्करणों को मिल रही सफलता भारतीय सिनेमा के लिए एक शुभ संकेत हैं और जैसे जैसे देश की हिंदी पट्टी में सिनेमाघरों की संख्या बढ़ती जाएगी, देश में सिनेमा का कारोबार और बढ़ता जाएगा। एक सवाल के जवाब में उन्होंने ये भी कहा, ‘मैं अब हिंदी फिल्में करने के लिए पूरी तरह से तैयार हूं और अच्छे प्रस्ताव लेकर आने वाले मुंबई के निर्माता निर्देशकों के लिए मेरे घर के दरवाजे पूरी तरह खुल चुके हैं।’ अल्लू अर्जुन का इन दिनों अपना पूरा फोकस फिल्म ‘पुष्पा पार्ट 2’ की शूटिंग पर हैं। इसके अलावा शो मैन संजय लीला भंसाली की अगली हिंदी फिल्म में लीड किरदार के लिए भी उनका नाम चर्चा में है। छोटे भाई रामचरण की फिल्म ‘आरआरआर’ हिंदी में भी धमाल कर रही है।
हिंदीभाषी दर्शकों का शुक्रिया
ये एक अलग तरह का अनुभव है। मुझे पता था कि मेरी फिल्मों का आकर्षण है उत्तर भारत में। सैटेलाइट चैनलों और यूट्यूब चैनलों पर मेरी हिंदी में डब फिल्मों को देखने वालों की बड़ी तादाद रही है। जब दो बार ऐसा हुआ कि मेरी हिंदी में डब फिल्म हिंदी सैटेलाइट मूवी चैनलों में सबसे ज्यादा देखी जाने वाली फिल्म बन गई तो मैंने इस बारे में विचार करना शुरू किया और ‘पुष्पा पार्ट 1’ को थिएटरों में हिंदी में रिलीज करने का फैसला इसी की परिणिति है। हमारे देश में भाषाओं की सिनेमाई दीवारें गिर रही हैं। लोग अब अच्छी कहानी पर बना वैश्विक स्तर का सिनेमा देखना चाहते हैं। भाषा अब उनके लिए बाधा नहीं रही। ये नई सोच के नई पीढ़ी के दर्शक हैं और इनकी पसंद अब सितारे नहीं बल्कि कहानी और उसे परदे पर पेश करने का तरीका है।
जरूरी है सिनेमाघरों की संख्या बढ़ना
आबादी के जिस अनुपात में तेलुगू भाषी लोग सिनेमा देखते हैं, अपनी आबादी के हिसाब से उतने प्रतिशत हिंदी भाषी लोग जिस दिन सिनेमा देखना शुरू कर देंगे, दुनिया में सिनेमा का सबसे बड़ा कारोबार भारत में होगा। करीब 30 फीसदी तेलुगू आबादी नियमित सिनेमाघरों तक जाती है। और, तेलुगू फिल्म उद्योग के कारोबार पर, इसकी फिल्मों के बजट पर और इसकी फिल्मों के कलेक्शन पर सीधा असर दिखता है।
अब अखिल भारतीय फिल्मों का समय
अलग अलग भाषाओं के कलाकार लेकर अखिल भारतीय फिल्में बनने का दौर आ चुका है। ऐसी फिल्में आगे भी बनती रहेंगी। मेरे पास अभी तो सिर्फ एक ही फिल्म है ‘पुष्पा पार्ट 2’ जिस पर मुझे अपना पूरा ध्यान लगाकर काम करना है। हां, हिंदी फिल्मों के लिए मैं अब पूरी तरह तैयार हूं। और किसी अच्छे प्रस्ताव के इंतजार में हूं। अच्छी कहानियां और अच्छे प्रस्ताव लेकर आने वाले हिंदी फिल्म जगत के निर्माताओं और निर्देशकों के लिए मेरे घर के दरवाजे अब पूरी तरह खुल चुके हैं।
सिनेमा की कारोबारी समझ
सिनेमा का कारोबार मुझे समझ आता है। इसीलिए मैंने थिएटर में रिलीज होने के लिए अपनी पहली फिल्म के रूप में ‘पुष्पा पार्ट 1’ को ही चुना है। इस फिल्म का विषय ऐसा है जो किसी भी क्षेत्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है। इसके पहले जो मेरी फिल्म रिलीज हुई थी ‘अल्लू वैकुंठपुरमलू’, उसे भी हम पहले हिंदी में रिलीज करना चाहते थे लेकिन मुझे लगा कि उसकी कहानी तेलुगू भावनाओं के ज्यादा करीब है तो हमने इसकी शुरूआत ‘पुष्पा पार्ट 1’ से करने की तैयारी की।