एजेंसी, नई दिल्ली।
Published by: देव कश्यप
Updated Wed, 16 Mar 2022 04:45 AM IST
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श्रम पर संसद की स्थायी समिति ने अनुदान मांग 2022-23 पर संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में कहा कि आठ साल पहले तय की गई 1,000 रुपये की मासिक पेंशन अब काफी कम है। इसकी कई वजहें हैं। आठ साल में महंगाई लगातार बढ़ी है, जिसके मुताबिक मासिक पेंशन में भी इजाफा होना चाहिए। इससे पहले समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह सिफारिश भी की थी कि सदस्यों/विधवा/विधवा पेंशनभोगियों के लिए न्यूनतम मासिक पेंशन बढ़ाकर 2,000 रुपये की जाए। इसके लिए जरूरी सालाना बजटीय प्रावधान किए जाएं। हालांकि, वित्त मंत्रालय न्यूनतम मासिक पेंशन को 1,000 रुपये से बढ़ाने पर सहमत नहीं हुआ था।
मामले को आगे बढ़ाए श्रम मंत्रालय
संसदीय समिति ने कहा कि श्रम और रोजगार मंत्रालय के लिए जरूरी है कि वह उच्च-अधिकार प्राप्त निगरानी समिति की सिफारिश के अनुसार वित्त मंत्रालय से पर्याप्त बजटीय समर्थन को लेकर मामला आगे बढ़ाए। श्रम मंत्रालय ने कर्मचारी पेंशन योजना-1995 के मूल्यांकन और समीक्षा के लिए 2018 में उच्च-अधिकार प्राप्त निगरानी समिति का गठन किया था।
योजनाओं का मूल्यांकन कराए ईपीएफओ
रिपोर्ट में कहा गया है कि ईपीएफओ को अपनी सभी पेंशन योजनाओं का विशेषज्ञों के जरिये मूल्यांकन कराना चाहिए ताकि मासिक सदस्य पेंशन को उचित सीमा तक बढ़ाया जा सके। इस संबंध में कई समितियों ने विस्तार से चर्चा की है। यही निष्कर्ष निकलता है कि जब तक ईपीएफओ की पेंशन योजना के अधिशेष/घाटे का पूरा आकलन नहीं कराया जाता, तब तक मासिक पेंशन की समीक्षा नहीं हो सकती।
ई-नॉमिनेशन और ओटीसीपी की समस्याएं दूर करना जरूरी
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ईपीएफओ सदस्यों और खासकर 2015 से पहले सेवानिवृत्त होने वालों को ‘ई-नॉमिनेशन’ के लिए कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। ‘ऑनलाइन ट्रांसफर क्लेम पोर्टल’ (ओटीसीपी) के कामकाज में भी मुश्किलें आ रही हैं। संसदीय समिति ने डिजिटल इंडिया पहल के साथ सूचना प्रौद्योगिकी साधनों के अधिक उपयोग को लेकर ईपीएफओ के प्रयासों की सराहना की। सुझाव दिया कि ईपीएफओ को इलेक्ट्रॉनिक रूप से ‘नॉमिनेशन’ को लेकर होने वाली समस्याओं को दूर करने के लिए सुधार के और प्रयास करने चाहिए।
