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युद्ध से रूस में भी आम जीवन बेहाल : महंगाई चरम पर, जमाखोरी बढ़ी, मध्यमवर्ग के सामने खड़ा हुआ खरीदी का संकट

सार

रूसी वित्त मंत्रालय के मुताबिक, 25 फरवरी को वार्षिक ग्राहक महंगाई दर जहां 9.05 प्रतिशत थी वह 4 मार्च को 10.42 फीसदी हो गई। प्रति सप्ताह महंगाई भी 0.45 फीसदी से 2.22 फीसदी पर पहुंच गई है। यहां के प्रोमस्वयाज बैंक (पीएसबी) के मुताबिक लोगों ने मार्च माह के पहले हफ्ते में खाने व कपड़े पर ज्यादा खर्च किया।

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रूस-यूक्रेन युद्ध के 20वें दिन भी जहां यूक्रेन पर रूसी सेना की बमबारी जारी है वहीं रूस पर प्रतिबंधों का दौर भी रुक नहीं रहा। इस दौरान यूक्रेनी शहरों से बड़ी संख्या में पलायन के कारण शरणार्थी संकट बढ़ रहा है वहीं रूसी शहरों में भी आम जीवन बेहाल है। रूस में बढ़ते प्रतिबंधों व आर्थिक दंडों के चलते महंगाई चरम पर है और जमाखोरी बढ़ने लगी है। रूबल की कीमत भी गिर चुकी है।

रूस में जमीनी हालात यह हैं कि आम मध्यमवर्ग के सामने खरीदी का संकट खड़ा हो गया है। खाद्य तेल, चीनी और और दूसरी जरूरी चीजों के दाम प्रतिबंधों के बाद से ही बढ़ चुके हैं। पिछले 20 दिन में चीनी के दाम 20 फीसदी तक बढ़ गए हैं। मॉस्को और दूसरे शहरों में दवाईयों की बिक्री को भी सीमित किया जा रहा है। मॉस्को, बेलग्रेड, सेंट पीटर्सबर्ग और नोवेसिबर्स्क में जमाखोरी की खबरें हैं। 

उधर, रूसी मुद्रा रूबर का यूक्रेन पर हमला शुरू होने के बाद से ही गिरना जारी है। 20 फरवरी को जहां ग्रॉसरी का जो सामान 5,500 रूबल में आता था, उसके लिए अब 8,500 रूबल चुकाने पड़ रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय पाबंदियों के चलते रूस में स्मार्टफोन और लैपटॉप की आपूर्ति रुकने से इनके दाम 10 फीसदी तक  बढ़ गए हैं। जबकि कई कंपनियों का सामान बिकना ही बंद हो चुका है। इन हालात का पूरा असर आम जिंदगी पर पड़ रहा है।

भुगतान लेने-देने का संकट
पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के बाद से रूस विदेशी मुद्रा में डॉलर और यूरो रिजर्व का उपयोग नहीं कर पा रहा है। इसके उपाय के तौर पर रूस विदेश मुद्रा के तौर पर चीनी मुद्रा युआन का प्रयोग करेगा। लेकिन अभी उसके सामने समस्या है। रूस के वित्तीय संस्थान अंतरराष्ट्रीय स्विफ्ट भुगतान प्रणाली से हटा लिए गए हैं। इससे रूस में पेमेंट करना और रूस के बाहर पैसा पहुंचाना मुश्किल हो गया है। एप्पल, गूगल पे, मास्टरकार्ड, वीजा ने रूस में अपनी सेवाएं सीमित की हैं। इस कारण लोगों के सामने भुगतान लेने-देने का भी संकट खड़ा हो गया है।

हर सप्ताह महंगाई बढ़ने से दैनिक खर्च प्रभावित
रूसी वित्त मंत्रालय के मुताबिक, 25 फरवरी को वार्षिक ग्राहक महंगाई दर जहां 9.05 प्रतिशत थी वह 4 मार्च को 10.42 फीसदी हो गई। प्रति सप्ताह महंगाई भी 0.45 फीसदी से 2.22 फीसदी पर पहुंच गई है। यहां के प्रोमस्वयाज बैंक (पीएसबी) के मुताबिक लोगों ने मार्च माह के पहले हफ्ते में खाने व कपड़े पर ज्यादा खर्च किया। एक आम रूसी ने फरवरी में किए गए कुल औसत खर्चे की तुलना में मार्च के पहले हफ्ते में 21 फीसदी अधिक खर्च किया। 

यूक्रेन संकट के बीच ब्रिटिश वीजा प्राथमिकता सेवाएं निलंबित
मौजूदा यूक्रेन संकट के बीच ब्रिटिश वीजा और आव्रजन विभाग (यूकेवीआई) ने देश के बाहर से किए जा रहे सभी आवेदनों के लिए प्राथमिकता और अति-प्राथमिकता वीजा सेवाओं को निलंबित करने का फैसला किया है। नए अपडेट के मुताबिक, अब अध्ययन, कार्य और पारिवारिक वीजा के लिए आवेदनों पर कार्रवाई होने में ज्यादा समय लग सकता है।

भारत में ब्रिटिश दूतावास ने ट्वीट किया, यूकेवीआई यूक्रेन पर हमले के कारण पैदा हुए मानवीय संकट के जवाब में यूक्रेन परिवार योजना के आवेदनों को प्राथमिकता दे रहा है, और इसलिए अध्ययन, कार्य तथा पारिवारिक वीजा के लिए आवेदनों को संसाधित होने में अधिक समय लग सकता है। यूकेवीआई निजी मामलों पर अपडेट देने में असमर्थ है और कृपया वीएसी में तब तक शामिल न हों जब तक आपको ऐसा करने के लिए आमंत्रित नहीं किया जाता है।

आपात स्थिति में सहायता के लिए कृपया http://gov.uk/contact-ukvi-inside-outside-uk से संपर्क करें। सोमवार को, ब्रिटिश सेक्रेटरी ऑफ लेवलिंग अप, हाउसिंग एंड कम्युनिटीज, माइकल गोव ने प्रायोजकों के लिए एक वेबपेज लॉन्च किया, जिसमें आवेदनों के लिए योजना के पहले चरण से पहले अपनी रुचि दर्ज की गई।

विस्तार

रूस-यूक्रेन युद्ध के 20वें दिन भी जहां यूक्रेन पर रूसी सेना की बमबारी जारी है वहीं रूस पर प्रतिबंधों का दौर भी रुक नहीं रहा। इस दौरान यूक्रेनी शहरों से बड़ी संख्या में पलायन के कारण शरणार्थी संकट बढ़ रहा है वहीं रूसी शहरों में भी आम जीवन बेहाल है। रूस में बढ़ते प्रतिबंधों व आर्थिक दंडों के चलते महंगाई चरम पर है और जमाखोरी बढ़ने लगी है। रूबल की कीमत भी गिर चुकी है।

रूस में जमीनी हालात यह हैं कि आम मध्यमवर्ग के सामने खरीदी का संकट खड़ा हो गया है। खाद्य तेल, चीनी और और दूसरी जरूरी चीजों के दाम प्रतिबंधों के बाद से ही बढ़ चुके हैं। पिछले 20 दिन में चीनी के दाम 20 फीसदी तक बढ़ गए हैं। मॉस्को और दूसरे शहरों में दवाईयों की बिक्री को भी सीमित किया जा रहा है। मॉस्को, बेलग्रेड, सेंट पीटर्सबर्ग और नोवेसिबर्स्क में जमाखोरी की खबरें हैं। 

उधर, रूसी मुद्रा रूबर का यूक्रेन पर हमला शुरू होने के बाद से ही गिरना जारी है। 20 फरवरी को जहां ग्रॉसरी का जो सामान 5,500 रूबल में आता था, उसके लिए अब 8,500 रूबल चुकाने पड़ रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय पाबंदियों के चलते रूस में स्मार्टफोन और लैपटॉप की आपूर्ति रुकने से इनके दाम 10 फीसदी तक  बढ़ गए हैं। जबकि कई कंपनियों का सामान बिकना ही बंद हो चुका है। इन हालात का पूरा असर आम जिंदगी पर पड़ रहा है।

भुगतान लेने-देने का संकट

पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के बाद से रूस विदेशी मुद्रा में डॉलर और यूरो रिजर्व का उपयोग नहीं कर पा रहा है। इसके उपाय के तौर पर रूस विदेश मुद्रा के तौर पर चीनी मुद्रा युआन का प्रयोग करेगा। लेकिन अभी उसके सामने समस्या है। रूस के वित्तीय संस्थान अंतरराष्ट्रीय स्विफ्ट भुगतान प्रणाली से हटा लिए गए हैं। इससे रूस में पेमेंट करना और रूस के बाहर पैसा पहुंचाना मुश्किल हो गया है। एप्पल, गूगल पे, मास्टरकार्ड, वीजा ने रूस में अपनी सेवाएं सीमित की हैं। इस कारण लोगों के सामने भुगतान लेने-देने का भी संकट खड़ा हो गया है।

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