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Russia Ukraine War: क्या यूक्रेन युद्ध लोकतंत्र समर्थक ताइवान में नई ऊर्जा भर रहा, चीन को किस बात पर है आपत्ति?

सार

ताइवान में यूक्रेन युद्ध पर बारीकी से नजर रखी जा रही है और वहां व्यापक रूप से इस पर चर्चा की जा रही है।

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जनवरी महीने में जब रूस ने यूक्रेन की सीमा के चारों तरफ अपने सैनिकों की घेराबंदी कर दी थी तब  28 जनवरी को ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ने यूक्रेन संकट और ताइवान पर इसके संभावित प्रभाव पर चर्चा करने के लिए ‘राष्ट्रीय सुरक्षा पर उच्च स्तरीय बैठक’ की अध्यक्षता की थी। उन्होंने इसी दौरान यूक्रेन की स्थिति का जायजा लेने के लिए एक टीम का गठन किया।
ताइवान ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए यूक्रेन पर रूसी हमले की निंदा करने के लिए अमेरिका और अन्य पश्चिमी शक्तियों के साथ शामिल हो गया और मास्को के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध जारी किए। तब से  ताइवान यूक्रेन के साथ सहानुभूति रखने लगा है। इसके बाद से सोशल मीडिया पर ‘यूक्रेन आज, ताइवान कल’ जैसे पोस्ट की बाढ़ आ गई है।

अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यूक्रेन में युद्ध शुरू होने के बाद से ताइवान की चिंता बढ़ गई है। उसे यूक्रेन की तर्ज पर चीन के सैन्य कार्रवाई शुरू होने की आशंका सताने लगी है। ताइवान की राष्ट्रपति ने पिछले सप्ताह कहा था कि सेना को अपनी निगरानी बढ़ानी चाहिए।

यूक्रेन की गूंज ताइवान में सुनाई देगी
ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने पिछले हफ्ते कहा था कि यूक्रेन में जो होगा, उसकी गूंज ताइवान में भी सुनाई देगी। इसलिए ताइवान अलर्ट मोड पर है, लेकिन उसने अभी तक चीन की किसी असामान्य सैन्य गतिविधि को महसूस नहीं किया है।

ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में इतिहास के प्रोफेसर हैं और चाइनाज गुड वॉर के लेखक हैं राणा मित्तर ने एक वेबसाइट पर अपने एक लेख में लिखा है कि ताइवान और यूक्रेन के बीच समानता के बारे में चीनी सोशल मीडिया पर बहुत कुछ लिखा जा रहा है। ताइवान मुद्दे को लेकर माहौल बहुत अधिक सैन्यवादी हो गया है, खासकर युवा चीनी के बीच।

मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि चीनी टिप्पणीकार ताइवान की सरकार और उसके लोगों को उनके चीन विरोधी रुख के लिए गंभीर परिणाम की चेतावनी देने के लिए यूक्रेन संकट को एक नकारात्मक उदाहरण के तौर पर बता रहे हैं।
ताइवान में उम्मीद की किरण जग रही
हालांकि रूस के युद्ध के खिलाफ यूक्रेन जिस तरह से मुकाबला कर रहा है, वह लोकतंत्र समर्थक ताइवान में उम्मीद की किरण जगा रहा है। ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू ने सोमवार को कहा,  यूक्रेनियों ने ताइवान के लोगों को प्रेरित किया है। 

वू ने एक संवादताता सम्मेलन में कहा ‘ यूक्रेन की सरकार और वहां के लोग बड़ी प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद जबरदस्त साहस और दृढ़ संकल्प के साथ लड़ रहे हैं। इससे ताइवान में कई लोगों के मन में यूक्रेन के लोगों के प्रति सहानुभूति उमड़ रही है।’ 

ताइवानी राष्ट्रपति त्साई ईंग वेन ने कहा यूक्रेनियों की प्रतिबद्धता ने पूरी दुनिया को प्रेरित किया है, ताइवानी भी वैसा ही महसूस कर रहे हैं। उन्होंने यह कहकर लोगों में एकजुटता पैदा करने की कोशिश की ‘यूक्रेन पर रूस के युद्ध से पता चलता है कि अगर द्वीप पर हमला किया गया तो उसे अपनी रक्षा के लिए सभी नागरिकों की एकता की आवश्यकता होगी।’

ताइवान के राष्ट्रपति के इस बयान को लेकर अमेरिका के द क्रिश्चियन साइंस मॉनिटर ने लिखा है कि यूक्रेन के लोग जिस तरह से अपने लोकतंत्र का बचाव कर रहे हैं, इस उदाहरण से अन्य लोकतंत्रों को अपनी व्यवस्था बनाए रखने में मदद मिलेगी। 

 
ताइवान में लोकतंत्र की भावना मजबूत हो रही
मीडिया रिपोर्ट्स में यह कहा जा रहा है कि यह यूक्रेन युद्ध एक तरफ ताइवान में लोकंतत्र की भावना को मजबूत कर रहा है। दूसरी तरफ चीन के ‘सैन्य खतरे’ का प्रचार करने में भी उसे मदद मिल रही है ताकि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की सहानुभूति जीत सके और ताइवान के मुद्दे का ‘अंतरराष्ट्रीयकरण’ करके द्वीप के भीतर ‘चीन विरोधी’ भावना को भी उभारा जा सके। 

कहा जा रहा है कि ताइवान की सेना और नागरिक चीनी आक्रमण को रोकने की तैयार में जुटे हुए हैं। यूक्रेन की सेना में रिजर्व बल की सफलता को देखते हुए ताइवान भी सेना में रिजर्व बल को बढ़ाए जाने की आवश्यकता पर जोर दे रहा है। कुछ ऐसे भी सुझाव आए हैं कि रिजर्व बल में महिलाओं की सेवा लेने की भी अनुमति मिलनी चाहिए।
 
नागरिक संगठन लोगों में लोकतंत्र की भावना को मजबूत करने के लिए रूस के आक्रमण के बाद से ही यूक्रेन के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए ताइपे और ताइवान के अन्य हिस्सों जैसे दक्षिणी बंदरगाह शहर काऊशुंग में अब तक कई रैलियां निकाल चुके हैं। 
चीन को आपत्ति क्या?
ताइवान ने यूक्रेनी शरणार्थियों के लिए लाखों डॉलर की सहायता की घोषणा की है। ताइवान के राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन और उपराष्ट्रपति विलियम लाई ने यूक्रेन में मानवीय राहत पहुंचाने के लिए अपने एक  महीने का वेतन देने की घोषणा भी की है।

चीन को युद्धग्रस्त यूक्रेन को मानवीय सहायता देने पर आपत्ति है और उसने इसके लिए ताइवान पर निशाना साधा है। चीन के ताइवान मामलों के कार्यालय के प्रवक्ता झू फेंग्लियन ने ताइवान पर यूक्रेन युद्ध का इस्तेमाल अपने उद्देश्यों के लिए करने और दूसरों की मुश्किलों का लाभ उठाने का आरोप लगाया।

लोकतांत्रिक, स्व-शासित ताइवान पर चीन अपना दावा करता है और उसे वापस अपने नियंत्रण में लेना चाहता है। यूक्रेन पर आक्रमण के बाद ताइवान की हमदर्दी उससे बढ़ गई है क्योंकि उसे लगता है कि चीन भी इसी तरह उस पर कब्जा जमाने की कोशिश कर सकता है।

यूक्रेन और ताइवान की तुलना
हालांकि चीन ने यूक्रेन और ताइवान की तुलना को खारिज करते हुए कहा कि ताइवान हमेशा चीन का हिस्सा रहा है। बीते सप्ताह चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि ताइवान का मुद्दा यूक्रेन के मुद्दे से अलग है और इन दोनों की तुलना नहीं की जा सकती है। 

वांग ने दोनों में सबसे बड़ा अंतर यह है कि ताइवान चीन के क्षेत्र का एक अविभाज्य हिस्सा है और ताइवान का मुद्दा पूरी तरह से चीन का आंतरिक मामला है, जबकि यूक्रेन का मुद्दा दो देशों रूस और यूक्रेन के बीच विवाद से उत्पन्न हुआ है।

विस्तार

जनवरी महीने में जब रूस ने यूक्रेन की सीमा के चारों तरफ अपने सैनिकों की घेराबंदी कर दी थी तब  28 जनवरी को ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ने यूक्रेन संकट और ताइवान पर इसके संभावित प्रभाव पर चर्चा करने के लिए ‘राष्ट्रीय सुरक्षा पर उच्च स्तरीय बैठक’ की अध्यक्षता की थी। उन्होंने इसी दौरान यूक्रेन की स्थिति का जायजा लेने के लिए एक टीम का गठन किया।

ताइवान ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए यूक्रेन पर रूसी हमले की निंदा करने के लिए अमेरिका और अन्य पश्चिमी शक्तियों के साथ शामिल हो गया और मास्को के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध जारी किए। तब से  ताइवान यूक्रेन के साथ सहानुभूति रखने लगा है। इसके बाद से सोशल मीडिया पर ‘यूक्रेन आज, ताइवान कल’ जैसे पोस्ट की बाढ़ आ गई है।

अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यूक्रेन में युद्ध शुरू होने के बाद से ताइवान की चिंता बढ़ गई है। उसे यूक्रेन की तर्ज पर चीन के सैन्य कार्रवाई शुरू होने की आशंका सताने लगी है। ताइवान की राष्ट्रपति ने पिछले सप्ताह कहा था कि सेना को अपनी निगरानी बढ़ानी चाहिए।

यूक्रेन की गूंज ताइवान में सुनाई देगी

ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने पिछले हफ्ते कहा था कि यूक्रेन में जो होगा, उसकी गूंज ताइवान में भी सुनाई देगी। इसलिए ताइवान अलर्ट मोड पर है, लेकिन उसने अभी तक चीन की किसी असामान्य सैन्य गतिविधि को महसूस नहीं किया है।

ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में इतिहास के प्रोफेसर हैं और चाइनाज गुड वॉर के लेखक हैं राणा मित्तर ने एक वेबसाइट पर अपने एक लेख में लिखा है कि ताइवान और यूक्रेन के बीच समानता के बारे में चीनी सोशल मीडिया पर बहुत कुछ लिखा जा रहा है। ताइवान मुद्दे को लेकर माहौल बहुत अधिक सैन्यवादी हो गया है, खासकर युवा चीनी के बीच।

मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि चीनी टिप्पणीकार ताइवान की सरकार और उसके लोगों को उनके चीन विरोधी रुख के लिए गंभीर परिणाम की चेतावनी देने के लिए यूक्रेन संकट को एक नकारात्मक उदाहरण के तौर पर बता रहे हैं।

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