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श्रीलंका: अब बर्दाश्त के बाहर आर्थिक मुश्किलें, सड़कों पर दिखने लगा असंतोष

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, कोलंबो
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Tue, 15 Mar 2022 02:50 PM IST

सार

विदेशी मुद्रा भंडार के लगातार घटते जाने के कारण हाल में श्रीलंका के वित्त मंत्रालय ने 367 ऐसी वस्तुओं की सूची जारी की, जिनके आयात को सीमित कर दिया गया है। इन वस्तुओं में खाने-पीने की चीजें, कपड़े और कॉस्मेटिक उत्पाद शामिल हैं…

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श्रीलंका में बढ़ती आर्थिक मुसीबतों से नाराज लोग अब जगह-जगह सड़कों पर उतर कर अपना असंतोष जता रहे हैं। कई जगह ग्रामीण इलाकों में भी मंत्रियों के पुतले जलाए गए हैं। खबरों के मुताबिक ऐसे विरोध प्रदर्शनों में किसानों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया है। राष्ट्रपति गोतबया राजपक्षे सरकार की ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने की नीति का कृषक समुदाय पर बहुत बुरा असर पड़ा है।

पूरे देश में असंतोष

पिछले हफ्ते देश के उत्तर-मध्य में स्थित जिले अनुराधापुर में किसानों ने जबरदस्त प्रदर्शन किया। उसके कुछ ही दिन पहले राजधानी कोलंबो में एक गैस स्टेशन पर लगी लंबी कतार से नाराज लोग तोड़फोड़ पर उतर आए। मीडिया रिपोर्टों में बताया गया है कि पूरे देश में जन असंतोष के लक्षण देखने को मिल रहे हैं। विदेशी मुद्रा की कमी के कारण जरूरी निर्यात न हो पाने से रोजमर्रा की जरूरत वाली वस्तुओं की किल्लत हो गई है। इससे बनी हालत अब लोगों के बर्दाश्त की हद से बाहर जा रही है।

कोलंबो यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र विभाग की प्रमुख फरजाना हनीफा ने वेबसाइट निक्कईएशिया.कॉम से कहा- ‘संकट से निपटने में सरकार की अक्षमता को लेकर लोगों में असंतोष है। लोग बहुत बर्दाश्त कर चुके हैं। जिनके हाथ में सत्ता है, उनकी अकुशलता जग-जाहिर हो चुकी है।’

इस महीने में चीजों की किल्लत और महंगाई दोनों में बढ़ोतरी हुई है। रसोई गैस की कमी के कारण बड़ी संख्या में बेकरी बंद हो गए हैं। दुग्ध उत्पादों की कीमतें तेजी से बढ़ी हैं। दवाओं की भी भारी कमी है। इसके अलावा रोज काफी समय तक बिजली की लोडशेडिंग होती है, जिससे देश के कई इलाके अंधेरे में डूबे रहते हैं।

सोशल मीडिया पर नाराजगी

इससे परेशान लोगों की नाराजगी सोशल मीडिया पर भी देखने को मिल रही है। इन दिनों सरकार की आलोचना करने वाले या उसका मखौल उड़ाने वाले सोशल मीडिया पोस्ट की भरमार है। कोलंबो स्थित थिंक टैंक के एक हालिया सर्वे से सामने आया कि राष्ट्रपति राजपक्षे की अप्रूवल रेटिंग (उनके कामकाज से संतुष्ट लोगों की संख्या) सिर्फ 10 फीसदी रह गई है।

विदेशी मुद्रा भंडार के लगातार घटते जाने के कारण हाल में श्रीलंका के वित्त मंत्रालय ने 367 ऐसी वस्तुओं की सूची जारी की, जिनके आयात को सीमित कर दिया गया है। इन वस्तुओं में खाने-पीने की चीजें, कपड़े और कॉस्मेटिक उत्पाद शामिल हैं। इसके पहले पिछले साल सितंबर में वित्त मंत्रालय ने 623 वस्तुओं के बारे में ऐसा ही आदेश जारी किया था। वह प्रतिबंध अभी तक लागू है।

इस बीच अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) यह चेतावनी दे चुका है कि श्रीलंका में हालात और बिगड़ सकते हैं। श्रीलंका सरकार ने अब तक आईएमएफ से कर्ज लेने से बचने की कोशिश की है। उसके बदले उसने भारत और चीन से मदद लेने में दिलचस्पी दिखाई है। लेकिन अब विशेषज्ञों का कहना है कि श्रीलंका को आईएमएफ के पास हाथ फैलाना पड़ सकता है। देश के व्यापार संघों ने यह मांग करनी शुरू कर दी है कि सरकार आईएमएफ की मदद ले। पिछले 56 वर्षों में श्रीलंका 16 बार आईएमएफ से कर्ज ले चुका है।

विस्तार

श्रीलंका में बढ़ती आर्थिक मुसीबतों से नाराज लोग अब जगह-जगह सड़कों पर उतर कर अपना असंतोष जता रहे हैं। कई जगह ग्रामीण इलाकों में भी मंत्रियों के पुतले जलाए गए हैं। खबरों के मुताबिक ऐसे विरोध प्रदर्शनों में किसानों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया है। राष्ट्रपति गोतबया राजपक्षे सरकार की ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने की नीति का कृषक समुदाय पर बहुत बुरा असर पड़ा है।

पूरे देश में असंतोष

पिछले हफ्ते देश के उत्तर-मध्य में स्थित जिले अनुराधापुर में किसानों ने जबरदस्त प्रदर्शन किया। उसके कुछ ही दिन पहले राजधानी कोलंबो में एक गैस स्टेशन पर लगी लंबी कतार से नाराज लोग तोड़फोड़ पर उतर आए। मीडिया रिपोर्टों में बताया गया है कि पूरे देश में जन असंतोष के लक्षण देखने को मिल रहे हैं। विदेशी मुद्रा की कमी के कारण जरूरी निर्यात न हो पाने से रोजमर्रा की जरूरत वाली वस्तुओं की किल्लत हो गई है। इससे बनी हालत अब लोगों के बर्दाश्त की हद से बाहर जा रही है।

कोलंबो यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र विभाग की प्रमुख फरजाना हनीफा ने वेबसाइट निक्कईएशिया.कॉम से कहा- ‘संकट से निपटने में सरकार की अक्षमता को लेकर लोगों में असंतोष है। लोग बहुत बर्दाश्त कर चुके हैं। जिनके हाथ में सत्ता है, उनकी अकुशलता जग-जाहिर हो चुकी है।’

इस महीने में चीजों की किल्लत और महंगाई दोनों में बढ़ोतरी हुई है। रसोई गैस की कमी के कारण बड़ी संख्या में बेकरी बंद हो गए हैं। दुग्ध उत्पादों की कीमतें तेजी से बढ़ी हैं। दवाओं की भी भारी कमी है। इसके अलावा रोज काफी समय तक बिजली की लोडशेडिंग होती है, जिससे देश के कई इलाके अंधेरे में डूबे रहते हैं।

सोशल मीडिया पर नाराजगी

इससे परेशान लोगों की नाराजगी सोशल मीडिया पर भी देखने को मिल रही है। इन दिनों सरकार की आलोचना करने वाले या उसका मखौल उड़ाने वाले सोशल मीडिया पोस्ट की भरमार है। कोलंबो स्थित थिंक टैंक के एक हालिया सर्वे से सामने आया कि राष्ट्रपति राजपक्षे की अप्रूवल रेटिंग (उनके कामकाज से संतुष्ट लोगों की संख्या) सिर्फ 10 फीसदी रह गई है।

विदेशी मुद्रा भंडार के लगातार घटते जाने के कारण हाल में श्रीलंका के वित्त मंत्रालय ने 367 ऐसी वस्तुओं की सूची जारी की, जिनके आयात को सीमित कर दिया गया है। इन वस्तुओं में खाने-पीने की चीजें, कपड़े और कॉस्मेटिक उत्पाद शामिल हैं। इसके पहले पिछले साल सितंबर में वित्त मंत्रालय ने 623 वस्तुओं के बारे में ऐसा ही आदेश जारी किया था। वह प्रतिबंध अभी तक लागू है।

इस बीच अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) यह चेतावनी दे चुका है कि श्रीलंका में हालात और बिगड़ सकते हैं। श्रीलंका सरकार ने अब तक आईएमएफ से कर्ज लेने से बचने की कोशिश की है। उसके बदले उसने भारत और चीन से मदद लेने में दिलचस्पी दिखाई है। लेकिन अब विशेषज्ञों का कहना है कि श्रीलंका को आईएमएफ के पास हाथ फैलाना पड़ सकता है। देश के व्यापार संघों ने यह मांग करनी शुरू कर दी है कि सरकार आईएमएफ की मदद ले। पिछले 56 वर्षों में श्रीलंका 16 बार आईएमएफ से कर्ज ले चुका है।

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