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लखीमपुर हिंसा: सभी गवाहों को सुरक्षा दे यूपी सरकार, आशीष की जमानत के खिलाफ सुनवाई में बोला सुप्रीम कोर्ट

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: संजीव कुमार झा
Updated Wed, 16 Mar 2022 11:22 AM IST

सार

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया जिसमें राज्य सरकार से लखीमपुर खीरी हिंसा के आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने की मांग करने वाली याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा गया है।

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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया जिसमें राज्य सरकार से लखीमपुर खीरी हिंसा के आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने की मांग करने वाली याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा गया है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने 10 मार्च को एक गवाह पर हमला होने की जानकारी पर कहा कि राज्य सरकार सभी गवाहों को सुरक्षा दे। होली की छुट्टी के बाद मामला सुनवाई के लिए लगाने का निर्देश दिया गया है।

पीड़ित परिवारों की ओर से दायर की गई थी याचिका 
आशीष मिश्रा को दी गई जमानत के खिलाफ पीड़ित परिवारों की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि हाईकोर्ट ने उन्हें जमानत देते समय शीर्ष अदालत के दिशा-निर्देशों की अवहेलना की। गत वर्ष 3 अक्तूबर को उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की लखीमपुर खीरी जिले की यात्रा के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे चार किसान एक एसयूवी द्वारा कुचले जाने के बाद मारे गए थे। यह एसयूवी कथित तौर पर केंद्रीय गृहराज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा के काफिले का हिस्सा थी।

बीते दिनों मिली थी जमानत
आरोपी आशीष मिश्रा को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने बीते दिनों जमानत दी थी। जमानत मंजूर होने के बाद ही मृत किसानों के परिजनों ने फैसले का विरोध किया था और इस आदेश को चुनौती देने की बात कही थी। गत वर्ष 3 अक्तूबर को लखीमपुर में तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों पर भाजपा नेताओं के काफिले की एक कार चढ़ गई थी। इस मामले में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा का नाम आया था। इसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।

एसआईटी ने दाखिल की थी 5000 पन्नों की चार्जशीट
तीन अक्तूबर को लखीमपुर खीरी के तिकुनिया गांव में हुई हिंसा मामले में एसआईटी ने तीन महीने के अंदर सीजेएम अदालत में तीन जनवरी को 5000 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी। इसमें आशीष मिश्र को मुख्य आरोपी बनाते हुए 13 आरोपियों को मुल्जिम बताया था। इन सभी के खिलाफ सोची समझी साजिश के तहत हत्या, हत्या का प्रयास, अंग भंग की धाराओं समेत आर्म्स एक्ट के तहत कार्रवाई की थी। 

10 फरवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए आशीष मिश्र मोनू की जमानत अर्जी सशर्त मंजूर कर ली थी। लेकिन जमानत आदेश में धारा 302 और 120 बी का जिक्र नहीं था। लिहाजा 11 फरवरी को आशीष मिश्र के वकील ने जमानत आदेश में सुधार की अदालत में अर्जी लगाई थी, जिसके बाद 14 फरवरी को हाईकोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए जमानत आदेश में हत्या व साजिश की धाराएं जोड़ने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट के आदेश के बाद आशीष मिश्र को जमानत का आदेश 14 फरवरी को जिला जज अदालत में पेश हुआ था। इसके बाद जेल प्रशासन ने आशीष मिश्र मोनू को रिहा कर दिया था। 

विस्तार

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया जिसमें राज्य सरकार से लखीमपुर खीरी हिंसा के आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने की मांग करने वाली याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा गया है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने 10 मार्च को एक गवाह पर हमला होने की जानकारी पर कहा कि राज्य सरकार सभी गवाहों को सुरक्षा दे। होली की छुट्टी के बाद मामला सुनवाई के लिए लगाने का निर्देश दिया गया है।

पीड़ित परिवारों की ओर से दायर की गई थी याचिका 

आशीष मिश्रा को दी गई जमानत के खिलाफ पीड़ित परिवारों की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि हाईकोर्ट ने उन्हें जमानत देते समय शीर्ष अदालत के दिशा-निर्देशों की अवहेलना की। गत वर्ष 3 अक्तूबर को उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की लखीमपुर खीरी जिले की यात्रा के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे चार किसान एक एसयूवी द्वारा कुचले जाने के बाद मारे गए थे। यह एसयूवी कथित तौर पर केंद्रीय गृहराज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा के काफिले का हिस्सा थी।

बीते दिनों मिली थी जमानत

आरोपी आशीष मिश्रा को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने बीते दिनों जमानत दी थी। जमानत मंजूर होने के बाद ही मृत किसानों के परिजनों ने फैसले का विरोध किया था और इस आदेश को चुनौती देने की बात कही थी। गत वर्ष 3 अक्तूबर को लखीमपुर में तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों पर भाजपा नेताओं के काफिले की एक कार चढ़ गई थी। इस मामले में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा का नाम आया था। इसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।

एसआईटी ने दाखिल की थी 5000 पन्नों की चार्जशीट

तीन अक्तूबर को लखीमपुर खीरी के तिकुनिया गांव में हुई हिंसा मामले में एसआईटी ने तीन महीने के अंदर सीजेएम अदालत में तीन जनवरी को 5000 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी। इसमें आशीष मिश्र को मुख्य आरोपी बनाते हुए 13 आरोपियों को मुल्जिम बताया था। इन सभी के खिलाफ सोची समझी साजिश के तहत हत्या, हत्या का प्रयास, अंग भंग की धाराओं समेत आर्म्स एक्ट के तहत कार्रवाई की थी। 

10 फरवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए आशीष मिश्र मोनू की जमानत अर्जी सशर्त मंजूर कर ली थी। लेकिन जमानत आदेश में धारा 302 और 120 बी का जिक्र नहीं था। लिहाजा 11 फरवरी को आशीष मिश्र के वकील ने जमानत आदेश में सुधार की अदालत में अर्जी लगाई थी, जिसके बाद 14 फरवरी को हाईकोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए जमानत आदेश में हत्या व साजिश की धाराएं जोड़ने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट के आदेश के बाद आशीष मिश्र को जमानत का आदेश 14 फरवरी को जिला जज अदालत में पेश हुआ था। इसके बाद जेल प्रशासन ने आशीष मिश्र मोनू को रिहा कर दिया था। 

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