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रूस-यूक्रेन तनाव: कच्चा तेल सात साल में पहली बार 90 डॉलर पार, 2014 के बाद बड़ी तेजी

रूस-यूक्रेन तनाव: कच्चा तेल सात साल में पहली बार 90 डॉलर पार, 2014 के बाद बड़ी तेजी

एजेंसी, नई दिल्ली।
Published by: Jeet Kumar
Updated Fri, 28 Jan 2022 04:19 AM IST

सार

कच्चे तेल में तेजी के बावजूद पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के बीच देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें रिकॉर्ड 83 दिन से स्थिर हैं।

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रूस-यूक्रेन में तनाव के बीच अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल सात साल बाद पहली बार 90 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गया। 2014 के बाद पहली बार कच्चा तेल इस स्तर पर पहुंचा है। 

कच्चे तेल में तेजी के बावजूद पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के बीच देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें रिकॉर्ड 83 दिन से स्थिर हैं।

दरअसल, रूस दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक है। आशंका है कि वह यूरोप के लिए ऊर्जा आपूर्ति को बाधित कर सकता है। विश्लेषकों का अनुमान है कि ओमिक्रॉन के कमजोर असर के कारण कच्चे तेल में कीमतों में तेजी बनी रहेगी।

उनका कहना है कि अगर रूस और यूक्रेन में तनाव बना रहा तो कच्चे तेल के दाम आसमान पर पहुंच जाएंगे। ऐसा भी संभव है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत 125 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है। 

देश में इसलिए नहीं बढ़ रहे भाव, कंपनियों का घाटा
देश में पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में सरकार पेट्रोल व डीजल की कीमत बढ़ाकर वोटर को नाराज नहीं करना चाहती है। विधानसभा चुनावों के बाद सरकार ग्राहकों को झटका दे सकती है। उधर, घरेलू कीमतें नहीं बढ़ने से तेल कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।

विस्तार

रूस-यूक्रेन में तनाव के बीच अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल सात साल बाद पहली बार 90 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गया। 2014 के बाद पहली बार कच्चा तेल इस स्तर पर पहुंचा है। 

कच्चे तेल में तेजी के बावजूद पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के बीच देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें रिकॉर्ड 83 दिन से स्थिर हैं।

दरअसल, रूस दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक है। आशंका है कि वह यूरोप के लिए ऊर्जा आपूर्ति को बाधित कर सकता है। विश्लेषकों का अनुमान है कि ओमिक्रॉन के कमजोर असर के कारण कच्चे तेल में कीमतों में तेजी बनी रहेगी।

उनका कहना है कि अगर रूस और यूक्रेन में तनाव बना रहा तो कच्चे तेल के दाम आसमान पर पहुंच जाएंगे। ऐसा भी संभव है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत 125 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है। 

देश में इसलिए नहीं बढ़ रहे भाव, कंपनियों का घाटा

देश में पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में सरकार पेट्रोल व डीजल की कीमत बढ़ाकर वोटर को नाराज नहीं करना चाहती है। विधानसभा चुनावों के बाद सरकार ग्राहकों को झटका दे सकती है। उधर, घरेलू कीमतें नहीं बढ़ने से तेल कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।

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