एजेंसी, मुंबई
Published by: देव कश्यप
Updated Fri, 28 Jan 2022 05:32 AM IST
सार
मालेगांव विस्फोट की जांच शुरू में एटीएस ने की थी। बाद में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने इसे ले लिया था। हाल के दिनों में कई गवाहों ने एटीएस की जांच पर सवाल उठाए हैं। एक गवाह ने धमाके में योगी आदित्यनाथ और आरएसएस नेताओं के नाम लेने के लिए प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था।
मालेगांव ब्लास्ट केस में स्पेशल कोर्ट में सुनवाई।
– फोटो : सोशल मीडिया
मालेगांव में साल 2008 में हुए बम विस्फोट की सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) के दो अधिकारी भी विशेष अदालत में उपस्थित हुए। लेकिन बचाव पक्ष की आपत्ति के बाद उन्हें कक्ष से बाहर निकलना पड़ा। अभियोजन के कई गवाहों के पलट जाने पर गृह मंत्री वलसे पाटिल के निर्देश पर एटीएस अधिकारियों को कोर्ट में भेजा गया था।
मालेगांव विस्फोट की जांच शुरू में एटीएस ने की थी। बाद में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने इसे ले लिया था। हाल के दिनों में कई गवाहों ने एटीएस की जांच पर सवाल उठाए हैं। एक गवाह ने धमाके में योगी आदित्यनाथ और आरएसएस नेताओं के नाम लेने के लिए प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था। कोर्ट में एटीएस अफसरों की मौजूदगी पर सवाल उठाते हुए एनआईए के वकील ने कहा कि उनका मामले से कोई लेना-देना नहीं है।
बचाव पक्ष के वकील जेपी मिश्रा ने कहा कि इन अधिकारियों को सुनवाई में शामिल होने का अधिकार नहीं है। कानून के अनुसार एनआईए जांच के दौरान अन्य एजेंसियों की मदद ले सकता है, लेकिन सुनवाई के दौरान नहीं।
विशेष न्यायाधीश पीआर सित्रे ने जब अधिकारियों से उनकी मौजूदगी पर सवाल किया तो उन्होंने कहा कि गृहमंत्री के निर्देश पर एटीएस प्रमुख विनीत अग्रवाल ने उन्हें भेजा है। हालांकि उन्हें मौखिक निर्देश मिला है। बचाव पक्ष के वकीलों ने कह दिया कि एटीएस अधिकारी मौजूद रहे तो वे सुनवाई नहीं बढ़ाएंगे। इसके बाद दोनों अधिकारी कक्ष से बाहर चले गए। इससे पूर्व, उन्होंने कहा कि अगली सुनवाई में शामिल होने की अनुमति के लिए वे अर्जी देंगे।
विस्तार
मालेगांव में साल 2008 में हुए बम विस्फोट की सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) के दो अधिकारी भी विशेष अदालत में उपस्थित हुए। लेकिन बचाव पक्ष की आपत्ति के बाद उन्हें कक्ष से बाहर निकलना पड़ा। अभियोजन के कई गवाहों के पलट जाने पर गृह मंत्री वलसे पाटिल के निर्देश पर एटीएस अधिकारियों को कोर्ट में भेजा गया था।
मालेगांव विस्फोट की जांच शुरू में एटीएस ने की थी। बाद में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने इसे ले लिया था। हाल के दिनों में कई गवाहों ने एटीएस की जांच पर सवाल उठाए हैं। एक गवाह ने धमाके में योगी आदित्यनाथ और आरएसएस नेताओं के नाम लेने के लिए प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था। कोर्ट में एटीएस अफसरों की मौजूदगी पर सवाल उठाते हुए एनआईए के वकील ने कहा कि उनका मामले से कोई लेना-देना नहीं है।
बचाव पक्ष के वकील जेपी मिश्रा ने कहा कि इन अधिकारियों को सुनवाई में शामिल होने का अधिकार नहीं है। कानून के अनुसार एनआईए जांच के दौरान अन्य एजेंसियों की मदद ले सकता है, लेकिन सुनवाई के दौरान नहीं।
विशेष न्यायाधीश पीआर सित्रे ने जब अधिकारियों से उनकी मौजूदगी पर सवाल किया तो उन्होंने कहा कि गृहमंत्री के निर्देश पर एटीएस प्रमुख विनीत अग्रवाल ने उन्हें भेजा है। हालांकि उन्हें मौखिक निर्देश मिला है। बचाव पक्ष के वकीलों ने कह दिया कि एटीएस अधिकारी मौजूद रहे तो वे सुनवाई नहीं बढ़ाएंगे। इसके बाद दोनों अधिकारी कक्ष से बाहर चले गए। इससे पूर्व, उन्होंने कहा कि अगली सुनवाई में शामिल होने की अनुमति के लिए वे अर्जी देंगे।
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