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पाकिस्तान में अविश्वास प्रस्ताव: सहयोगियों के अनिश्चय से उड़ी है इमरान खान की नींद, 27 मार्च को होगा मतदान

डिजिटल ब्यूरो, अमर उजाला, इस्लामाबाद
Published by: शिव शरण शुक्ला
Updated Tue, 15 Mar 2022 09:58 PM IST

सार

पाकिस्तान में इमरान खान सरकार बचेगी या नहीं, इसको लेकर अनिश्चय गहराता जा रहा है। इस बीच सत्ताधारी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के एक सीनेटर यह जानकारी सार्वजनिक कर दी है कि विपक्ष की तरफ से पेश किए गए अविश्वास पर संसद में 27 मार्च को मतदान होगा। 

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पाकिस्तान में इमरान खान सरकार बचेगी या नहीं, इसको लेकर अनिश्चय गहराता जा रहा है। इस बीच सत्ताधारी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के एक सीनेटर यह जानकारी सार्वजनिक कर दी है कि विपक्ष की तरफ से पेश किए गए अविश्वास पर संसद में 27 मार्च को मतदान होगा। उस रोज पीटीआई ने इस्लामाबाद में दस लाख लोगों की रैली करने का एलान किया है। पीटीआई के सीनेटर फैसल जावेद खान ने सोमवार को एक ट्वीट में कहा- ‘अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान 27 मार्च को होगा। उसमें विपक्ष की संपूर्ण पराजय होगी। प्रधानमंत्री इमरान खान के प्रति विश्वास में और इजाफा होगा।’ 

वहीं, पाकिस्तान के अखबारों में छपी रिपोर्टों के मुताबिक, पीटीआई के सहयोगी दलों के अपना पत्ता ना खोलने के कारण पीटीआई की नींद उड़ी हुई है। बताया जाता है कि इन सहयोगी दलों के नेता विपक्षी नेताओं के साथ सौदेबाजी में जुटे हुए हैं। अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले मुख्य विपक्षी दलों- पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज), पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी), और जमीयत-उलेमा-ए-इस्लाम- फजलुर (जेयूआईएफ) के सूत्रों ने भरोसा जताया है कि इमरान खान सरकार गिर जाएगी। बताया जाता है कि उसके बाद क्या व्यवस्था होगी, इसका खाका भी इन तीन दलों ने तैयार कर लिया है।

अखबार द न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सत्ताधारी दल की सहयोगी पार्टियां अविश्वास प्रस्ताव पर अपने रुख का एलान इस्लामाबाद में ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कॉन्फ्रेंस (ओआईसी) के होने वाले सम्मेलन के बाद करेंगी। ओआईसी का सम्मेलन 21 से 23 मार्च तक होने वाला है।

इस बीच खबर है कि पाकिस्तान मुस्लिम लीग (क्यू), मुत्तहिदा कौमी मूवमेंट, और बलूचिस्तान अवामी पार्टी के बीच यह सहमति बन गई है कि वे साझा रुख तय करेंगे। ये तीनों पीटीआई की सहयोगी पार्टियां हैँ। इन तीन दलों के नेताओं की हाल में बैठक हुई। उसी में एकजुट बने रहने का फैसला हुआ।

पीएमएल-क्यू के नेताओं चौधरी शुजात हुसैन और चौधरी परवेज इलाही के बारे में खबर है कि वे सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के साथ लगातार संपर्क में हैं। प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी समर्थन जुटाने की मुहिम में खुद को झोंक रखा है। सोमवार को वे खुद जाकर ग्रैंड डेमोक्रटिक एलायंस (जीडीए) और बलूचिस्तान अवामी पार्टी के नेताओं से मिले और उनका समर्थन मांगा। इसके बाद जीडीए के नेता गौस बख्श मेहर ने एक बयान में कहा कि उनकी पार्टी ने प्रधानमंत्री को अपना समर्थन देने का वचन दिया है।

इस बीच पीटीआई की 27 मार्च को इस्लामाबाद में बड़ी रैली करने की योजना के जवाब में विपक्ष भी अपनी योजना बना रहा है। संकेत हैं कि विपक्षी दल भी उस रोज राजधानी में जन सभा करेंगे। पीएमएल-नवाज की पंजाब शाखा ने पार्टी कार्यकर्ताओं को इस्लामाबाद के डी-चौक पर पहुंचने के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया है। कार्यकर्ताओं को कहा गया है कि अगर पार्टी नेतृत्व ने आह्वान किया, तो उन्हें तुरंत इस्लामाबाद पहुंचना होगा।

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि अविश्वास प्रस्ताव पर जैसा तनावपूर्ण माहौल बन रहा है, उसे देखते हुए 27 मार्च को राजधानी में दोनों पक्षों की तरफ से भीड़ जुटाना एक जोखिम भरी रणनीति है। इससे हिंसा भड़कने के हालात बन सकते हैं

विस्तार

पाकिस्तान में इमरान खान सरकार बचेगी या नहीं, इसको लेकर अनिश्चय गहराता जा रहा है। इस बीच सत्ताधारी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के एक सीनेटर यह जानकारी सार्वजनिक कर दी है कि विपक्ष की तरफ से पेश किए गए अविश्वास पर संसद में 27 मार्च को मतदान होगा। उस रोज पीटीआई ने इस्लामाबाद में दस लाख लोगों की रैली करने का एलान किया है। पीटीआई के सीनेटर फैसल जावेद खान ने सोमवार को एक ट्वीट में कहा- ‘अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान 27 मार्च को होगा। उसमें विपक्ष की संपूर्ण पराजय होगी। प्रधानमंत्री इमरान खान के प्रति विश्वास में और इजाफा होगा।’ 

वहीं, पाकिस्तान के अखबारों में छपी रिपोर्टों के मुताबिक, पीटीआई के सहयोगी दलों के अपना पत्ता ना खोलने के कारण पीटीआई की नींद उड़ी हुई है। बताया जाता है कि इन सहयोगी दलों के नेता विपक्षी नेताओं के साथ सौदेबाजी में जुटे हुए हैं। अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले मुख्य विपक्षी दलों- पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज), पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी), और जमीयत-उलेमा-ए-इस्लाम- फजलुर (जेयूआईएफ) के सूत्रों ने भरोसा जताया है कि इमरान खान सरकार गिर जाएगी। बताया जाता है कि उसके बाद क्या व्यवस्था होगी, इसका खाका भी इन तीन दलों ने तैयार कर लिया है।

अखबार द न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सत्ताधारी दल की सहयोगी पार्टियां अविश्वास प्रस्ताव पर अपने रुख का एलान इस्लामाबाद में ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कॉन्फ्रेंस (ओआईसी) के होने वाले सम्मेलन के बाद करेंगी। ओआईसी का सम्मेलन 21 से 23 मार्च तक होने वाला है।

इस बीच खबर है कि पाकिस्तान मुस्लिम लीग (क्यू), मुत्तहिदा कौमी मूवमेंट, और बलूचिस्तान अवामी पार्टी के बीच यह सहमति बन गई है कि वे साझा रुख तय करेंगे। ये तीनों पीटीआई की सहयोगी पार्टियां हैँ। इन तीन दलों के नेताओं की हाल में बैठक हुई। उसी में एकजुट बने रहने का फैसला हुआ।

पीएमएल-क्यू के नेताओं चौधरी शुजात हुसैन और चौधरी परवेज इलाही के बारे में खबर है कि वे सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के साथ लगातार संपर्क में हैं। प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी समर्थन जुटाने की मुहिम में खुद को झोंक रखा है। सोमवार को वे खुद जाकर ग्रैंड डेमोक्रटिक एलायंस (जीडीए) और बलूचिस्तान अवामी पार्टी के नेताओं से मिले और उनका समर्थन मांगा। इसके बाद जीडीए के नेता गौस बख्श मेहर ने एक बयान में कहा कि उनकी पार्टी ने प्रधानमंत्री को अपना समर्थन देने का वचन दिया है।

इस बीच पीटीआई की 27 मार्च को इस्लामाबाद में बड़ी रैली करने की योजना के जवाब में विपक्ष भी अपनी योजना बना रहा है। संकेत हैं कि विपक्षी दल भी उस रोज राजधानी में जन सभा करेंगे। पीएमएल-नवाज की पंजाब शाखा ने पार्टी कार्यकर्ताओं को इस्लामाबाद के डी-चौक पर पहुंचने के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया है। कार्यकर्ताओं को कहा गया है कि अगर पार्टी नेतृत्व ने आह्वान किया, तो उन्हें तुरंत इस्लामाबाद पहुंचना होगा।

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि अविश्वास प्रस्ताव पर जैसा तनावपूर्ण माहौल बन रहा है, उसे देखते हुए 27 मार्च को राजधानी में दोनों पक्षों की तरफ से भीड़ जुटाना एक जोखिम भरी रणनीति है। इससे हिंसा भड़कने के हालात बन सकते हैं

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