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पाकिस्तान: अभी सियासी अस्थिरता से निजात मिलने की संभावना नहीं, इमरान बना रहे हैं यह रणनीति

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, इस्लामाबाद
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Fri, 08 Apr 2022 05:06 PM IST

सार

ये कयास भी हैं कि नए चुनाव के लिए दबाव बनाने के लिए इमरान खान समर्थक सभी 142 सांसद सामूहिक इस्तीफा दे देँगे। हालांकि पार्टी के अंदर ऐसे कदम के लाभ-हानि पर गंभीरता से विचार चल रहा है। एक राय यह है कि सभी सांसदों के इस्तीफा दे देने से अगली सरकार के लिए संसद में कोई भी कानून बनाने या संविधान संशोधन करने का रास्ता साफ हो जाएगा। इससे अगले आम चुनाव में पीटीआई के लिए मुश्किल हालात बन सकते हैं…

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पाकिस्तान में गुरुवार रात आए सुप्रीम कोर्ट के ‘एतिहासिक’ फैसले से संवैधानिक मुद्दे जरूर हल हो गए हैं, लेकिन इससे सियासी अस्थिरता और बढ़ जाने की आशंका है। प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने साफ संकेत दिया है कि आम चुनाव के पहले वह सामान्य राजनीतिक प्रक्रिया बहाल नहीं होने देगी।

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के खिलाफ पेश अविश्वास प्रस्ताव को रद्द करने नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर के फैसले को असंवैधानिक करार दिया। साथ ही पांच जजों की बेंच ने सर्व सम्मति से दिए अपने फैसले में नेशनल असेंबली को भंग करने के राष्ट्रपति के निर्णय को रद्द कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक शनिवार को अविश्वास प्रस्ताव पर सदन में मतदान होगा।

पुनर्विचार याचिका दायर करने का अधिकार

इस फैसले से पीटीआई को झटका लगा है। लेकिन वह बचाव की मुद्रा में नहीं है। बल्कि निर्णय आने के तुरंत बाद पार्टी ने अपने विकल्पों पर विचार शुरू कर दिया है। पाकिस्तान में चुनाव और संसदीय मामलों की निगरानी करने वाली गैर सरकारी संस्था पीएलडीएटी के प्रमुख बिलाल महबूब ने मीडिया से बातचीत में कहा कि सरकार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने का अधिकार है। लेकिन पीटीआई सरकार सचमुच ऐसा करेगी या नहीं, इसके तुरंत संकेत नहीं मिले। बल्कि संकेत इस बात के हैं कि इमरान खान इस लड़ाई को सियासी मोर्चे पर लड़ने के मूड में है।

पीटीआई की तैयारी जन आंदोलन शुरू करने की है। इसके जरिए वे नई बनने वाली सरकार को अपने मुद्दों पर उलझा कर रखने की कोशिश करेंगे। पीटीआई इस मांग को लेकर आंदोलन छेड़ेगी कि नई बनी सरकार अनैतिक है, इसलिए इसे उसे बर्खास्त कर तुरंत नए चुनाव कराए जाएं। अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक शनिवार को अपनी सरकार गिरने के बाद कुछ दिनों के अंदर ही इमरान ये आंदोलन छेड़ देंगे।

इस बीच ये कयास भी है कि नए चुनाव के लिए दबाव बनाने के लिए इमरान खान समर्थक सभी 142 सांसद सामूहिक इस्तीफा दे देँगे। हालांकि पार्टी के अंदर ऐसे कदम के लाभ-हानि पर गंभीरता से विचार चल रहा है। एक राय यह है कि सभी सांसदों के इस्तीफा दे देने से अगली सरकार के लिए संसद में कोई भी कानून बनाने या संविधान संशोधन करने का रास्ता साफ हो जाएगा। इससे अगले आम चुनाव में पीटीआई के लिए मुश्किल हालात बन सकते हैं।

नहीं दबने देंगे ‘विदेशी साजिश’ का मुद्दा

पर्यवेक्षको में इस बात पर सहमति है कि इमरान खान उनकी सरकार गिराने के लिए रची गई ‘विदेशी साजिश’ का मुद्दा नहीं दबने देंगे। संभवना है कि पीटीआई इस आरोप की जांच एक न्यायिक आयोग से कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका देगी। इसके अलावा जनसभाओं और राजनीतिक अभियान में पार्टी का यह एक प्रमुख मुद्दा बना रहेगा। पीटीआई पहले ही पाला बदलने वाले सांसदों के चुनाव क्षेत्रों में सभाएं करने का कार्यक्रम घोषित कर चुकी है। अब अगली सरकार में शामिल होने वाले तमाम दलों के सांसदों के निर्वाचन क्षेत्र में ऐसी मुहिम चलाने का एलान किया जा सकता है।

पर्यवेक्षकों में इस बात भी सहमति है कि अविश्वास प्रस्ताव के बाद बनने वाली सरकार पूरे रुतबे के साथ काम नहीं कर पाएगी। इस तरह अस्थिरता का माहौल बना रहेगा। ज्यादा संभावना यही है कि राजनीतिक स्थिरता के लिए पाकिस्तान को अगले आम चुनाव तक इंतजार करना होगा।

विस्तार

पाकिस्तान में गुरुवार रात आए सुप्रीम कोर्ट के ‘एतिहासिक’ फैसले से संवैधानिक मुद्दे जरूर हल हो गए हैं, लेकिन इससे सियासी अस्थिरता और बढ़ जाने की आशंका है। प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने साफ संकेत दिया है कि आम चुनाव के पहले वह सामान्य राजनीतिक प्रक्रिया बहाल नहीं होने देगी।

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के खिलाफ पेश अविश्वास प्रस्ताव को रद्द करने नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर के फैसले को असंवैधानिक करार दिया। साथ ही पांच जजों की बेंच ने सर्व सम्मति से दिए अपने फैसले में नेशनल असेंबली को भंग करने के राष्ट्रपति के निर्णय को रद्द कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक शनिवार को अविश्वास प्रस्ताव पर सदन में मतदान होगा।

पुनर्विचार याचिका दायर करने का अधिकार

इस फैसले से पीटीआई को झटका लगा है। लेकिन वह बचाव की मुद्रा में नहीं है। बल्कि निर्णय आने के तुरंत बाद पार्टी ने अपने विकल्पों पर विचार शुरू कर दिया है। पाकिस्तान में चुनाव और संसदीय मामलों की निगरानी करने वाली गैर सरकारी संस्था पीएलडीएटी के प्रमुख बिलाल महबूब ने मीडिया से बातचीत में कहा कि सरकार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने का अधिकार है। लेकिन पीटीआई सरकार सचमुच ऐसा करेगी या नहीं, इसके तुरंत संकेत नहीं मिले। बल्कि संकेत इस बात के हैं कि इमरान खान इस लड़ाई को सियासी मोर्चे पर लड़ने के मूड में है।

पीटीआई की तैयारी जन आंदोलन शुरू करने की है। इसके जरिए वे नई बनने वाली सरकार को अपने मुद्दों पर उलझा कर रखने की कोशिश करेंगे। पीटीआई इस मांग को लेकर आंदोलन छेड़ेगी कि नई बनी सरकार अनैतिक है, इसलिए इसे उसे बर्खास्त कर तुरंत नए चुनाव कराए जाएं। अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक शनिवार को अपनी सरकार गिरने के बाद कुछ दिनों के अंदर ही इमरान ये आंदोलन छेड़ देंगे।

इस बीच ये कयास भी है कि नए चुनाव के लिए दबाव बनाने के लिए इमरान खान समर्थक सभी 142 सांसद सामूहिक इस्तीफा दे देँगे। हालांकि पार्टी के अंदर ऐसे कदम के लाभ-हानि पर गंभीरता से विचार चल रहा है। एक राय यह है कि सभी सांसदों के इस्तीफा दे देने से अगली सरकार के लिए संसद में कोई भी कानून बनाने या संविधान संशोधन करने का रास्ता साफ हो जाएगा। इससे अगले आम चुनाव में पीटीआई के लिए मुश्किल हालात बन सकते हैं।

नहीं दबने देंगे ‘विदेशी साजिश’ का मुद्दा

पर्यवेक्षको में इस बात पर सहमति है कि इमरान खान उनकी सरकार गिराने के लिए रची गई ‘विदेशी साजिश’ का मुद्दा नहीं दबने देंगे। संभवना है कि पीटीआई इस आरोप की जांच एक न्यायिक आयोग से कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका देगी। इसके अलावा जनसभाओं और राजनीतिक अभियान में पार्टी का यह एक प्रमुख मुद्दा बना रहेगा। पीटीआई पहले ही पाला बदलने वाले सांसदों के चुनाव क्षेत्रों में सभाएं करने का कार्यक्रम घोषित कर चुकी है। अब अगली सरकार में शामिल होने वाले तमाम दलों के सांसदों के निर्वाचन क्षेत्र में ऐसी मुहिम चलाने का एलान किया जा सकता है।

पर्यवेक्षकों में इस बात भी सहमति है कि अविश्वास प्रस्ताव के बाद बनने वाली सरकार पूरे रुतबे के साथ काम नहीं कर पाएगी। इस तरह अस्थिरता का माहौल बना रहेगा। ज्यादा संभावना यही है कि राजनीतिक स्थिरता के लिए पाकिस्तान को अगले आम चुनाव तक इंतजार करना होगा।

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