सार
ऑटो रिक्शा चालकों को ऑफलाइन तरीके से दी जाने वाली यात्री परिवहन सेवाओं पर छूट मिलती रहेगी। हालांकि, जब ये सेवाएं किसी ई-कॉमर्स मंच से दी जाएंगी तो इन पर पांच फीसदी की दर से जीएसटी का भुगतान करना पड़ेगा।
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विस्तार
दरअसल, जीएसटी प्रणाली में कर दर और प्रक्रिया से संबंधित बदलावों का सीधा असर आम लोगों पर पड़ेगा। इन बदलावों के तहत ई-कॉमर्स सेवा प्रदाताओं पर परिवहन और रेस्टोरेंट्स क्षेत्र में दी जाने वाली सेवाओं पर कर का भुगतान करना होगा।
यह बदलाव कपड़ा और फुटवियर क्षेत्र के शुल्क ढांचों पर भी लागू होगा। इसके तहत सभी प्रकार के फुटवियर पर 12 फीसदी जीएसटी का भुगतान करना होगा। अब इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि फुटवियर की कीमत कितनी है। यानी अब 100 रुपये के जूते खरीदने पर भी 12 फीसदी टैक्स देना होगा। पहले 1,000 रुपये से कम के फुटवियर पर 5 फीसदी टैक्स लगता था।
वहीं, खादी को छोड़कर सभी कपड़ा उत्पादों पर भी 5 फीसदी के बजाय 12 फीसदी जीएसटी लगेगा। जीएसटी परिषद ने सिलाई में इस्तेमाल होने वाले धारों के कई प्रकार पर भी कर बढ़ाने का फैसला किया है। इससे बने-बनाए (रेडीमेड) कपड़ों के साथ सिलाकर कपड़े पहनना महंगा हो जाएगा।
उधर, ऑटो रिक्शा चालकों को ऑफलाइन तरीके से दी जाने वाली यात्री परिवहन सेवाओं पर छूट मिलती रहेगी। हालांकि, जब ये सेवाएं किसी ई-कॉमर्स मंच से दी जाएंगी तो इन पर पांच फीसदी की दर से जीएसटी का भुगतान करना पड़ेगा।
ऑनलाइन खाना मंगाने पर 5 फीसदी टैक्स
प्रक्रियागत बदलावों के तहत स्विगी और जोमेटो जैसी ई-कॉमर्स कंपनियां भी अपनी सेवाओं पर जीएसटी वसूल करेंगी। कंपनियों को इन सेवाओं के बदले जीएसटी वसूलकर सरकार के पास जमा कराना होगा। इसके लिए उन्हें सेवाओं का बिल जारी करना होगा। इससे उपभोक्ताओं पर कोई अतिरिक्त भार नहीं आएगा क्योंकि रेस्टोरेंट्स पहले से ही जीएसटी वसूल रहे हैं।
- बदलाव सिर्फ इतना है कि टैक्स जमा करवाना और बिल जारी करने की जिम्मेदारी अब फूड डिलीवरी मंचों पर आ गई है।
- यह कदम इसलिए उठाया गया क्योंकि सरकार का ऐसा अनुमान है कि फूड डिलीवरी मंचों की ओर से कथित तौर पर पूरी जानकारी नहीं देने से बीते दो वर्ष में सरकारी खजाने को करीब 2,000 रुपये की चपत लगी है।
- इन मंचों को जीएसटी जमा करवाने के लिए उत्तरदायी बनाने से कर चोरी पर रोक लगेगी।
कर चोरी रोकने के लिए सरकार ने जीएसटी रिफंड का दावा करने वाले करदाताओं के लिए आधार सत्यापन अनिवार्य कर दिया है। 1 जनवरी, 2022 से जिन कारोबारियों का पैन-आधार लिंक नहीं होगा, उनका जीएसटी रिफंड रोक दिया जाएगा। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के मुताबिक, फर्जी रिफंड के दावों पर लगाम कसने के लिए आधार सत्यापन जरूरी किया गया है। अब जीएसटी रिफंड सिर्फ बैंक खाते में भेजा जाएगा, जो पैन से जुड़ा होना चाहिए।
-जो कारोबारी रिटर्न का विवरण भरने में डिफॉल्ट करेंगे या हर महीने जीएसटी का भुगतान नहीं करेंगे, उन्हें जीएसटीआर-1 बिक्री रिटर्न नहीं भरने दिया जाएगा।
-इसका मतलब है कि जीएसटीआर-3बी नहीं भरने वाले को जीएसटीआर-1 भरने पर भी रोक लगा दी जाएगी।
-अगर किसी कारोबारी का पैन लिंक नहीं होने से जीएसटी पंजीकरण निरस्त किया जाता है, तो वह पंजीकरण बहाली के लिए आवेदन भी नहीं कर सकेगा।
फैसले के खिलाफ अपील के लिए भरना होगा 25 फीसदी जुर्माना
नए नियम के तहत अगर कोई कारोबारी अपने खिलाफ टैक्स अधिकारी के किसी फैसले को चुनौती देना चाहता है, तो उसे पहले लगाए गए जुर्माने की 25 फीसदी राशि भरनी होगी। मसलन, गलत भंडारण या परिवहन नियमों का पालन नहीं करने पर कोई उत्पाद सीज किया जाता है और कर अधिकारी उस पर जुर्माना लगाता है तो इस फैसले के खिलाफ अपील करने से पहले संबंधित कारोबारी को जुर्माने की 25 फीसदी राशि का भुगतान करना होगा। इसका मकसद, बेवजह मुकदमेबाजी के कारण जीएसटी वसूली या जुर्माने को अटकाने वाली गतिविधियों पर रोक लगाना है।
साझेदार के सदस्य को किए भुगतान पर भी जीएसटी लागू
नए साल से अगर कोई व्यक्ति अपने साझेदार के बजाए उससे जुड़े किसी सदस्य या संस्था को भी नकद, अतिरिक्त भुगतान या अन्य कीमती वस्तु देता है तो यह कर योग्य आपूर्ति मानी जाएगी। इसी तरह का भुगतान किसी कंपनी को किया जाता है, तो भी वह कर के दायरे में आएगा। इसका मतलब हुआ कि सभी संबंधित सदस्य या संस्था के साथ किया जाने वाला लेनदेन जीएसटी के तहत आएगा।