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कार्रवाई: गुजरात के दो कारोबारियों की एक करोड़ से ज्यादा की संपत्ति कुर्क, नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचने का मामला

कार्रवाई: गुजरात के दो कारोबारियों की एक करोड़ से ज्यादा की संपत्ति कुर्क, नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचने का मामला

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: दीपक चतुर्वेदी
Updated Tue, 15 Mar 2022 07:53 PM IST

सार

प्रवर्तन निदेशालय ने मंगलवार को जानकारी देते हुए बताया कि गुजरात के दो कारोबारियों पर कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचने के मामले में कार्रवाई की गई। इसके तहत दोनों कारोबारियों की 1.04 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की गई है। 

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प्रवर्तन निदेशालय ने गुजरात के दो बड़े कारोबारियों पर कार्रवाई करते हुए उनकी 1.04 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्तियों को कुर्क करने की कार्रवाई की। ये कार्रवाई धन शोधन रोधी कानून के तहत की गई है। ईडी ने मंगलवार को जानकारी देते हुए कहा कि इन कारोबारियों ने कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान पिछले साल रेमडेसिविर के कथित रूप से नकली इंजेक्शन बेचे थे। 

मध्य प्रदेश समेत अन्य राज्यों में बेचा 
प्रवर्तन निदेशालय ने बताया कि कौशल महेंद्र भाई वोरा और पुनीत गुणवंतलाल शाह ने सूरत स्थित एक निर्माण इकाई में वायरस रोधी दवा के नकली इंजेक्शन बनाए और उन्हें मध्य प्रदेश समेत कुछ अन्य राज्यों में बेचा। ईडी के अनुसार, आरोपियों ने नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन विभिन्न विक्रेताओं को बेचे, जिन्होंने इन्हें जरूरतमंद खुदरा ग्राहकों को बहुत अधिक दाम पर बेचा। कुछ मामलों में इन इंजेक्शन को ऐसे खुदरा ग्राहकों को सीधे बेचा गया, जिन्हें कोविड-19 की दूसरी लहर के चरम के दौरान सोशल मीडिया मंचों के जरिए आरोपियों ने चिह्नित किया था।

मानव जीवन को खतरे में डाला
ईडी ने अपने बयान में कहा कि इसके अलावा नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन चिकित्सकीय दवाओं की आपूर्ति करने वाले विक्रेताओं और कोरोना वायरस का उपचार कर रहे अस्पतालों को भी बेचे गए। प्रवर्तन निदेशालय की जांच में सामने आया कि मध्य प्रदेश के एक अस्पताल में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बड़ी संख्या में खरीदे गए और जरूरतमंदों को बहुत अधिक कीमतों बेचे गए। प्रारंभिक अनुमान के अनुसार आरोपियों ने कोविड-19 की दूसरी लहर के चरम के दौरान मानव जीवन को खतरे में डालने का अपराध करके बड़ा आर्थिक लाभ कमाया।

इस तरह हुआ मामले का खुलासा
ईडी ने इस संबंध में मोरबी पुलिस, गुजरात और इंदौर पुलिस, मध्य प्रदेश द्वारा दर्ज की गई दो अलग-अलग प्राथमिकियों से जुड़ी जांच की, जिसके बाद यह पाया गया कि इनकी आपूर्ति श्रृंखला का मूल सूरत है। मोरबी पुलिस ने सूरत स्थित फार्महाउस सह निर्माण इकाई में की गई छापेमारी के दौरान समान आकार वाली और समान दिखने वाली खाली बोतलें, भारी मात्रा में ग्लूकोज, नमक, पैकिंग सामग्री, नकली स्टिकर और अन्य कच्चा माल भारी मात्रा में जब्त किया। एजेंसी ने 1.04 करोड़ रुपये नकद और आरोपियों की जमा राशि कुर्क करने के लिए धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत एक अस्थायी कुर्की जारी की।

लाखों की नकदी की गई बरामद
प्रवर्तन निदेशालय की ओर से गुजरात के इन कारोबारियों पर की गई कार्रवाई के बारे में जानकारी देते हुए बताया गया कि नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाने की पूरी साजिश के मास्टरमाइंड वोरा के पास से 89.20 लाख रुपये नकद पाए गए। इसके साथ ही नकली इंजेक्शन के उत्पादन और आपूर्ति में सह-साजिशकर्ता शाह के कब्जे से 11.50 लाख रुपये नकद और बैंक में जमा 3.92 लाख रुपये पाए गए।

विस्तार

प्रवर्तन निदेशालय ने गुजरात के दो बड़े कारोबारियों पर कार्रवाई करते हुए उनकी 1.04 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्तियों को कुर्क करने की कार्रवाई की। ये कार्रवाई धन शोधन रोधी कानून के तहत की गई है। ईडी ने मंगलवार को जानकारी देते हुए कहा कि इन कारोबारियों ने कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान पिछले साल रेमडेसिविर के कथित रूप से नकली इंजेक्शन बेचे थे। 

मध्य प्रदेश समेत अन्य राज्यों में बेचा 

प्रवर्तन निदेशालय ने बताया कि कौशल महेंद्र भाई वोरा और पुनीत गुणवंतलाल शाह ने सूरत स्थित एक निर्माण इकाई में वायरस रोधी दवा के नकली इंजेक्शन बनाए और उन्हें मध्य प्रदेश समेत कुछ अन्य राज्यों में बेचा। ईडी के अनुसार, आरोपियों ने नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन विभिन्न विक्रेताओं को बेचे, जिन्होंने इन्हें जरूरतमंद खुदरा ग्राहकों को बहुत अधिक दाम पर बेचा। कुछ मामलों में इन इंजेक्शन को ऐसे खुदरा ग्राहकों को सीधे बेचा गया, जिन्हें कोविड-19 की दूसरी लहर के चरम के दौरान सोशल मीडिया मंचों के जरिए आरोपियों ने चिह्नित किया था।

मानव जीवन को खतरे में डाला

ईडी ने अपने बयान में कहा कि इसके अलावा नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन चिकित्सकीय दवाओं की आपूर्ति करने वाले विक्रेताओं और कोरोना वायरस का उपचार कर रहे अस्पतालों को भी बेचे गए। प्रवर्तन निदेशालय की जांच में सामने आया कि मध्य प्रदेश के एक अस्पताल में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बड़ी संख्या में खरीदे गए और जरूरतमंदों को बहुत अधिक कीमतों बेचे गए। प्रारंभिक अनुमान के अनुसार आरोपियों ने कोविड-19 की दूसरी लहर के चरम के दौरान मानव जीवन को खतरे में डालने का अपराध करके बड़ा आर्थिक लाभ कमाया।

इस तरह हुआ मामले का खुलासा

ईडी ने इस संबंध में मोरबी पुलिस, गुजरात और इंदौर पुलिस, मध्य प्रदेश द्वारा दर्ज की गई दो अलग-अलग प्राथमिकियों से जुड़ी जांच की, जिसके बाद यह पाया गया कि इनकी आपूर्ति श्रृंखला का मूल सूरत है। मोरबी पुलिस ने सूरत स्थित फार्महाउस सह निर्माण इकाई में की गई छापेमारी के दौरान समान आकार वाली और समान दिखने वाली खाली बोतलें, भारी मात्रा में ग्लूकोज, नमक, पैकिंग सामग्री, नकली स्टिकर और अन्य कच्चा माल भारी मात्रा में जब्त किया। एजेंसी ने 1.04 करोड़ रुपये नकद और आरोपियों की जमा राशि कुर्क करने के लिए धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत एक अस्थायी कुर्की जारी की।

लाखों की नकदी की गई बरामद

प्रवर्तन निदेशालय की ओर से गुजरात के इन कारोबारियों पर की गई कार्रवाई के बारे में जानकारी देते हुए बताया गया कि नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाने की पूरी साजिश के मास्टरमाइंड वोरा के पास से 89.20 लाख रुपये नकद पाए गए। इसके साथ ही नकली इंजेक्शन के उत्पादन और आपूर्ति में सह-साजिशकर्ता शाह के कब्जे से 11.50 लाख रुपये नकद और बैंक में जमा 3.92 लाख रुपये पाए गए।

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