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अमेरिका: बीते एक साल में और गहरा गया श्वेत चरमपंथ का खतरा

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वाशिंगटन
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Tue, 18 Jan 2022 03:12 PM IST

सार

विश्लेषकों के मुताबिक तमाम आंकड़े बताते हैं कि अमेरिका में हिंसक हमलों का ज्यादातर खतरा श्वेत चरमपंथी समूहों की तरफ से ही है। उदारवादी या इस्लामी चरमपंथियों की तरफ से पेश आने वाले खतरों की तुलना में यह खतरा कई गुना ज्यादा है…

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अमेरिका में श्वेत चरमपंथ का खतरा लगातार गंभीर होता जा रहा है। ये चेतावनी अमेरिकी कांग्रेस (संसद) की उग्रवादी हिंसा की जांच करने वाली समिति के प्रमुख ने दी है। उन्होंने कहा है कि अगर इसका प्रभावी ढंग से मुकाबला नहीं किया गया, तो ये खतरा बढ़ता ही जाएगा।

दक्षिणपंथी समूहों से जुड़ रहे हैं लोग

अमेरिकी संसद के निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव के सदस्य मार्क टेकानो ने कहा है कि जिस संख्या में लोग हिंसक दक्षिणपंथी समूहों से जुड़ रहे हैं, वह बेहद चिंताजनक है। उन्होंने अखबार द गार्जियन को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि पिछले साल छह जनवरी को कैपिटल हिल (संसद भवन) पर पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों के हमले की घटना के बाद ऐसे लोगों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।

टेकानो उस संसदीय समिति के अध्यक्ष हैं, जो पूर्व सैनिकों पर बढ़ रहे हमलों से संबंधित मामले की जांच कर रही है। इस समिति ने बीते अक्तूबर में तीन सुनवाइयां की थीं। उस दौरान समिति के सदस्यों को जमीनी हालत का प्रत्यक्ष जानकारी मिली। इसलिए द गार्जियन ने कहा है कि टेकानो की बातों को बेहद गंभीरता से लिया जाना चाहिए।

टेकानो ने कहा- ‘चरमपंथी गुटों द्वारा पूर्व सैनिकों को निशाना बनाना एक समस्या है। अगर हम यह नहीं समझते हैं कि इस समस्या के साथ क्या दांव पर लगा है और इसके कितने आयाम हैं, तो खतरा और बढ़ेगा।’ टेकानो ने सफाई दी कि ये मसला दलगत नहीं है। उन्होंने कहा कि संसदीय समिति चरमपंथियों की विचारधारा के आधार पर राय नहीं बना रही है।

टेकाने कहा- ‘हम चरमपंथ की परिभाषा किसी समूह की विचारधारा के आधार पर नहीं करते। बल्कि वो समूह जो तरीके अपनाता है, उसके आधार पर करते हैं। अगर वह अपने मकसद को हासिल करने के लिए हिंसा का सहारा लेता है या हिंसा का समर्थन करता है, तब हम उसे चरमपंथ की श्रेणी में रखते हैं।’ लेकिन टेकानो ने यह दो टूक कहा है कि पूर्व सैनिकों के लिए मुख्य खतरा दक्षिणपंथी चरमपंथी समूहों की तरफ से पैदा हो रहा है।

रिपब्लिकन पार्टी में ऐसे गुटों के प्रति हमदर्दी

विश्लेषकों के मुताबिक तमाम आंकड़े बताते हैं कि अमेरिका में हिंसक हमलों का ज्यादातर खतरा श्वेत चरमपंथी समूहों की तरफ से ही है। उदारवादी या इस्लामी चरमपंथियों की तरफ से पेश आने वाले खतरों की तुलना में यह खतरा कई गुना ज्यादा है। पिछले साल जारी एक जांच रिपोर्ट में भी ये बात कही गई थी। उस रिपोर्ट में कहा गया था- 2019 में हुई कुल हिंसक घटनाओं में दो तिहाई दक्षिणपंथी समूहों की तरफ से हुई। 2020 में एक जनवरी से आठ मई तक के आंकड़ों से जाहिर हुआ कि ये संख्या 90 फीसदी अधिक रही।

इन आंकड़ों के बावजूद रिपब्लिकन पार्टी के नेताओं में दक्षिणपंथी समूहों के प्रति हमदर्दी देखने को मिलती रही है। टेकानो ने इंटरव्यू में बताया कि उनके नेतृत्व वाली संसदीय समिति के दो रिपब्लिकन सदस्यों ने इस जांच से खुद को अलग कर लिया है। बीते अक्तूबर में हुई सुनवाई के दौरान उन सदस्यों ने बुलाए गए गवाहों से सवाल पूछने से इनकार कर दिया।

विस्तार

अमेरिका में श्वेत चरमपंथ का खतरा लगातार गंभीर होता जा रहा है। ये चेतावनी अमेरिकी कांग्रेस (संसद) की उग्रवादी हिंसा की जांच करने वाली समिति के प्रमुख ने दी है। उन्होंने कहा है कि अगर इसका प्रभावी ढंग से मुकाबला नहीं किया गया, तो ये खतरा बढ़ता ही जाएगा।

दक्षिणपंथी समूहों से जुड़ रहे हैं लोग

अमेरिकी संसद के निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव के सदस्य मार्क टेकानो ने कहा है कि जिस संख्या में लोग हिंसक दक्षिणपंथी समूहों से जुड़ रहे हैं, वह बेहद चिंताजनक है। उन्होंने अखबार द गार्जियन को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि पिछले साल छह जनवरी को कैपिटल हिल (संसद भवन) पर पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों के हमले की घटना के बाद ऐसे लोगों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।

टेकानो उस संसदीय समिति के अध्यक्ष हैं, जो पूर्व सैनिकों पर बढ़ रहे हमलों से संबंधित मामले की जांच कर रही है। इस समिति ने बीते अक्तूबर में तीन सुनवाइयां की थीं। उस दौरान समिति के सदस्यों को जमीनी हालत का प्रत्यक्ष जानकारी मिली। इसलिए द गार्जियन ने कहा है कि टेकानो की बातों को बेहद गंभीरता से लिया जाना चाहिए।

टेकानो ने कहा- ‘चरमपंथी गुटों द्वारा पूर्व सैनिकों को निशाना बनाना एक समस्या है। अगर हम यह नहीं समझते हैं कि इस समस्या के साथ क्या दांव पर लगा है और इसके कितने आयाम हैं, तो खतरा और बढ़ेगा।’ टेकानो ने सफाई दी कि ये मसला दलगत नहीं है। उन्होंने कहा कि संसदीय समिति चरमपंथियों की विचारधारा के आधार पर राय नहीं बना रही है।

टेकाने कहा- ‘हम चरमपंथ की परिभाषा किसी समूह की विचारधारा के आधार पर नहीं करते। बल्कि वो समूह जो तरीके अपनाता है, उसके आधार पर करते हैं। अगर वह अपने मकसद को हासिल करने के लिए हिंसा का सहारा लेता है या हिंसा का समर्थन करता है, तब हम उसे चरमपंथ की श्रेणी में रखते हैं।’ लेकिन टेकानो ने यह दो टूक कहा है कि पूर्व सैनिकों के लिए मुख्य खतरा दक्षिणपंथी चरमपंथी समूहों की तरफ से पैदा हो रहा है।

रिपब्लिकन पार्टी में ऐसे गुटों के प्रति हमदर्दी

विश्लेषकों के मुताबिक तमाम आंकड़े बताते हैं कि अमेरिका में हिंसक हमलों का ज्यादातर खतरा श्वेत चरमपंथी समूहों की तरफ से ही है। उदारवादी या इस्लामी चरमपंथियों की तरफ से पेश आने वाले खतरों की तुलना में यह खतरा कई गुना ज्यादा है। पिछले साल जारी एक जांच रिपोर्ट में भी ये बात कही गई थी। उस रिपोर्ट में कहा गया था- 2019 में हुई कुल हिंसक घटनाओं में दो तिहाई दक्षिणपंथी समूहों की तरफ से हुई। 2020 में एक जनवरी से आठ मई तक के आंकड़ों से जाहिर हुआ कि ये संख्या 90 फीसदी अधिक रही।

इन आंकड़ों के बावजूद रिपब्लिकन पार्टी के नेताओं में दक्षिणपंथी समूहों के प्रति हमदर्दी देखने को मिलती रही है। टेकानो ने इंटरव्यू में बताया कि उनके नेतृत्व वाली संसदीय समिति के दो रिपब्लिकन सदस्यों ने इस जांच से खुद को अलग कर लिया है। बीते अक्तूबर में हुई सुनवाई के दौरान उन सदस्यों ने बुलाए गए गवाहों से सवाल पूछने से इनकार कर दिया।

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