यूक्रेन भी चाहता है कि यह पाइपलाइन बंद हो जाए। रूस अपनी अधिकांश गैस यूक्रेन के जरिए यूरोप को भेजता है। लेकिन नॉर्ड स्ट्रीम 2 इस देश को बायपास करता है। यूक्रेन का कहना है कि ऐसा उसे दंडित करने के लिए किया जा रहा है क्योंकि पश्चिमी देशों के साथ उसके मधुर संबंध हैं।
रूस और यूक्रेन ने दोनों देशों की सीमा पर सीजफायर के लिए पेरिस वार्ता जारी रखने की घोषणा की है। इससे कुछ समय के लिए युद्ध का खतरा टलता नजर आ रहा है। हालांकि यह खतरा अभी पूरी तरह से टला नहीं है और इसके लिए सभी रणनीतिक कोशिशें की जा रही हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रूस को चेताया है कि यदि यूक्रेन पर हमला होता है वे रूस की 85 हजार करोड़ रूपये की नार्ड स्ट्रीम-2 गैस पाइपलाइन को रोक देंगे।
अमेरिका ने क्या कहा है?
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस के एक बयान के मुताबिक ‘मैं बहुत स्पष्ट कहना चाहता हूं, अगर रूस यूक्रेन पर हमला करता है, तो नॉर्ड स्ट्रीम 2 योजना आगे नहीं बढ़ेगी।’ वहीं अन्य पश्चिमी देशों ने भी कहा है कि यदि रूस यूक्रेन पर आक्रमण करता हैं तो वे रूस की अर्थव्यवस्था को लक्षित करेंगे। पश्चिम देशों की टिप्पणियां भी रूस की पाइपलाइन योजना की तरफ ही इशारा करते हैं और उनके रुख के सख्त होने का संकेत देती हैं।
वहीं दूसरी तरफ अमेरिका ने यूक्रेन को नाटो में शामिल नहीं करने की रूसी मांग को भी खारिज कर दिया है और नाटो लगातार रूस पर युद्ध नहीं करने का दबाव बनाए हुए हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि यदि नाटो राष्ट्र रूस के विरुद्ध कोई सख्त प्रतिबंध लगाएंगे और यूक्रेन को लेकर युद्ध छिड़ गया तो रूस से यूक्रेन होकर जाने वाले गैस और तेल की पाइपलाइनें ठप हो जाएंगी।
पहले समझिए, रूस की नार्ड स्ट्रीम-2 गैस पाइपलाइन योजना है क्या?
रूस की योजना इस पाइपलाइन से यूरोप को प्राकृतिक गैस की सप्लाई करने की है।
रूसी राज्य-नियंत्रित गैस फर्म गैजप्रॉम पीजेएससी के पास इसका मालिकाना हक है।
1,222 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन को बनाने में पांच साल लगे। इसकी लागत करीब 11बिलियन डॉलर आई।
यह परियोजना बाल्टिक सागर के नीचे चलेगी। अभी गैस मूल नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन के माध्यम से बहती है।
इस योजना का डिजाइन जर्मनी को रूस के गैस निर्यात को दोगुना करने के लिए किया गया।
इस पाइपलाइन से हर साल जर्मनी को 55 बिलियन क्यूबिक मीटर गैस भेजा जा सकता है।
रूस के लिए यह महत्वपूर्ण क्यों?
पाइपलाइन पर काम पिछले सितंबर में समाप्त हो गया। लेकिन गजप्रॉम को अभी भी यूरोपीय नियामकों से मंजूरी का इंतजार है।
जर्मन कानून का पालन नहीं करने के कारण अभी तक इसका संचालन शुरू नहीं हुआ है। बीते साल नवबंर में नियामकों ने इसकी मंजूरी को निलंबित कर दिया है।
कई प्रमुख यूरोपीय व्यवसायिक घरानों ने नॉर्ड स्ट्रीम 2 में भारी निवेश किया है। लेकिन कई समूहों ने इस योजना का विरोध भी किया है।
रूस के लिए, पाइपलाइन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सीधे यूरोप में गैस पंप करती है। यूक्रेन के माध्यम से अपनी आपूर्ति नहीं भेजने की वजह से उसकी लागत में कमी आती है।
परियोजना सवालों के घेरे में भी रही
रूस की इस महत्वाकांक्षी परियोजना को लेकर पर्यावरणविदों ने सवाल उठाया और कहा कि यह मानव निर्मित जलवायु परिवर्तन से निपटने के जर्मन प्रयासों के साथ कैसे फिट होगा? वहीं कई देशों के मन में इस बात को लेकर डर भी है कि यह रूसी ऊर्जा पर यूरोप की निर्भरता को बढ़ा सकता है। यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की तो पहले ही पाइपलाइन को ‘खतरनाक भू-राजनीतिक हथियार’ बता चुके हैं।
शुरू से ही अमेरिका ने इस परियोजना को रोकने की भरसक कोशिश की। परियोजना में शामिल कई देशों पर अमेरिका ने दबाव बनाया और कई यूरोपीय कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने की भी धमकी भी दी। बावजूद इसके परियोजना में शामिल बर्लिन ने इससे पीछे हटने से इनकार कर दिया। कुछ ने वाशिंगटन पर जर्मनी की स्वतंत्र ऊर्जा नीति में हस्तक्षेप करने का भी आरोप लगाया।
जर्मनी में पाइपलाइन विवादास्पद क्यों है?
सालों से नॉर्ड स्ट्रीम 2 के बारे में जर्मन सरकार की आधिकारिक लाइन यह रही है कि यह पाइपलाइन एक निजी गैर-राजनीतिक व्यावसायिक परियोजना है। लेकिन देश में पर्यावरणीय कारणों से इसका विरोध भी होता रहा है। विशेष रूप से ग्रीन पार्टी ने कथित तौर पर पर्यावरणीय कारणों से ही हमेशा इस परियोजना का विरोध किया है। लेकिन केंद्र की ओलाफ स्कॉल्ज की वाम एसपीडी पार्टी इसे जर्मनी की ऊर्जा आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण मानते हुए पाइपलाइन का समर्थन करती रही है। वहीं आलोचकों का कहना है कि पाइपलाइन रूसी विदेश नीति का एक हथियार है, इसलिए अमेरिका, यूक्रेन और पोलैंड ने इसका कड़ा विरोध किया।
क्या जर्मनी इस परियोजना पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर होगा?
एक्सपर्ट मानते हैं इस पाइपलाइन को रोकने के लिए अब तक जर्मनी पर सालों से अमेरिकी दबाव जो काम नहीं कर पाई, यूक्रेन की सीमा पर रूसी सैनिकों की तैनाती ने वह हासिल कर लिया है। इससे जर्मनी को नॉर्ड स्ट्रीम 2 पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर किया है।
यूक्रेन पर संभावित रूसी आक्रमण क्या यूरोप को ऊर्जा संकट में डाल देगा?
जानकारों का मानना है कि यह इस बात पर निर्भर करता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन कैसे प्रतिक्रिया देते हैं? रूस पूरे शीत युद्ध के दौरान और हाल ही में क्रीमिया के अपने कब्जे के बाद भी यूरोप को गैस भेजता रहा। लेकिन बाइडेन ने चेतावनी दी है कि अगर रूसी सैनिक यूक्रेन में घुसते हैं तो उस पर गंभीर आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाएंगे। हालांकि, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यूरोप में रूसी गैस के शीर्ष खरीदारों में से एक यूनिपर एसई का मानना है कि मॉस्को एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में अपनी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने का जोखिम नहीं उठाना चाहता है।
यहां समझना जरूरी है कि यदि अमेरिका अपनी सख्ती दिखाता है तो यूरोप के लिए इसका क्या मतलब है? यूरोप लगभग एक तिहाई गैस के लिए रूस पर निर्भर रहता है। यूरोप पहले से ही 1970 के दशक के बाद से सबसे खराब ऊर्जा संकट से जूझ रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स बताते हैं कि यूरोप के गैस के भंडार में कमी आ रही है।
अगर युद्ध के हालात पैदा हुए तो क्या हो सकता है?
हालांकि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बार-बार कहा है कि उनकी यूक्रेन पर आक्रमण करने की योजना नहीं है। लेकिन, युद्ध की आशंका और रूस से सीमित शिपमेंट के कारण पिछले छह महीनों में कीमतें दोगुनी से अधिक हो गई हैं। आशंका जताई जा रही है कि यदि रूस यूक्रेन पर हमला करता है तो उस परिस्थिति में गैजप्रॉम पीजेएससी यूरोप को गैस की आपूर्ति में कटौती करके प्रतिबंध लगा सकता है, जिससे पूरे यूरोप में ऊर्जा संकट पैदा कर देगा और इससे कीमतों में भी भारी उछाल आएगा। कहा यह भी जा रहा है कि यदि युद्ध के हालात पैदा होते हैं, तो पश्चिमी शक्तियां स्विफ्ट अंतरराष्ट्रीय भुगतान प्रणाली से रूस को अलग करने पर विचार करेंगे और रूसी बैंकों को भी निशाना बनाया जा सकता है।
विस्तार
रूस और यूक्रेन ने दोनों देशों की सीमा पर सीजफायर के लिए पेरिस वार्ता जारी रखने की घोषणा की है। इससे कुछ समय के लिए युद्ध का खतरा टलता नजर आ रहा है। हालांकि यह खतरा अभी पूरी तरह से टला नहीं है और इसके लिए सभी रणनीतिक कोशिशें की जा रही हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रूस को चेताया है कि यदि यूक्रेन पर हमला होता है वे रूस की 85 हजार करोड़ रूपये की नार्ड स्ट्रीम-2 गैस पाइपलाइन को रोक देंगे।
अमेरिका ने क्या कहा है?
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस के एक बयान के मुताबिक ‘मैं बहुत स्पष्ट कहना चाहता हूं, अगर रूस यूक्रेन पर हमला करता है, तो नॉर्ड स्ट्रीम 2 योजना आगे नहीं बढ़ेगी।’ वहीं अन्य पश्चिमी देशों ने भी कहा है कि यदि रूस यूक्रेन पर आक्रमण करता हैं तो वे रूस की अर्थव्यवस्था को लक्षित करेंगे। पश्चिम देशों की टिप्पणियां भी रूस की पाइपलाइन योजना की तरफ ही इशारा करते हैं और उनके रुख के सख्त होने का संकेत देती हैं।
वहीं दूसरी तरफ अमेरिका ने यूक्रेन को नाटो में शामिल नहीं करने की रूसी मांग को भी खारिज कर दिया है और नाटो लगातार रूस पर युद्ध नहीं करने का दबाव बनाए हुए हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि यदि नाटो राष्ट्र रूस के विरुद्ध कोई सख्त प्रतिबंध लगाएंगे और यूक्रेन को लेकर युद्ध छिड़ गया तो रूस से यूक्रेन होकर जाने वाले गैस और तेल की पाइपलाइनें ठप हो जाएंगी।
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