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कोविड-19: तीसरी खुराक सभी को दिए जाने पर संशय, जल्द ही नीति बदल सकती है सरकार

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली।
Published by: योगेश साहू
Updated Thu, 27 Jan 2022 03:12 AM IST

भारत में कोरोना टीकाकरण
– फोटो : पीटीआई

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केंद्र सरकार जल्द ही कोविड टीकों की तीसरी खुराक या बूस्टर खुराक को लेकर बनाई गई अपनी नीति पर फिर से विचार करके इसे बदल सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि विशेषज्ञों को इस बात का मानना है और उन्हें संदेह भी है कि तीसरी खुराक कुछ विशेष आयु वर्ग के लोगों को सुरक्षा प्रदान करने में नाकाम रह सकती है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मौजूदा नीति के अनुसार, सरकार के राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के तहत तीसरी या बूस्टर खुराक दी जा सकती है। परंतु सरकार की ओर से तय मानदंड के अनुसार यह स्वास्थ्य कर्मियों और 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को सह-रुग्णता के साथ एहतियाती खुराक दी जा सकती है। 

उन्होंने कहा कि हमें सभी को बूस्टर खुराक देने को लेकर एक बार फिर से विचार करना होगा। नीति पर विचार करना होगा। अधिकारी ने कहा कि दूसरे देशों के उदाहरण हमारे सामने हैं, जिन्होंने बूस्टर डोज दी, इसके बावजूद भी वहां कोरोना के मामले नहीं घटे। ऐसे में हम आंख मूंदकर दूसरे देशों ने जो किया, वैसा ही नहीं करेंगे। हमें अपने स्थानीय स्तर पर महामारी से जुड़ी परिस्थितियों और विज्ञान को देखना होगा और उनके आकलन के आधार पर निर्णय करने होंगे। 

दरअसल, कोविड-19 के लिए टीकाकरण पर बने राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) और डब्ल्यूएचओ की मंगलवार को एक उच्च स्तरीय बैठक हुई, जिसमें बूस्टर डोज के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की गई। अधिकारी के अनुसार, डब्ल्यूएचओ और एनटीएजीआई के सदस्यों के विशेषज्ञों ने बूस्टर डोज देने वाले देशों के आंकड़ों और कोरोना के मामलों का तुलनात्मक आकलन किया। इसके साथ ही स्थानीय आंकड़ों का भी अध्ययन किया जा रहा है। विशेषज्ञ संक्रमण के पैटर्न, वायरस के व्यवहार, उभरते हुए स्वरूपों और वायरल लोड के साथ-साथ पुन: संक्रमण होने आदि विषयों की भी समीक्षा कर रहे हैं।

केंद्र सरकार जल्द ही कोविड टीकों की तीसरी खुराक या बूस्टर खुराक को लेकर बनाई गई अपनी नीति पर फिर से विचार करके इसे बदल सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि विशेषज्ञों को इस बात का मानना है और उन्हें संदेह भी है कि तीसरी खुराक कुछ विशेष आयु वर्ग के लोगों को सुरक्षा प्रदान करने में नाकाम रह सकती है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मौजूदा नीति के अनुसार, सरकार के राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के तहत तीसरी या बूस्टर खुराक दी जा सकती है। परंतु सरकार की ओर से तय मानदंड के अनुसार यह स्वास्थ्य कर्मियों और 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को सह-रुग्णता के साथ एहतियाती खुराक दी जा सकती है। 

उन्होंने कहा कि हमें सभी को बूस्टर खुराक देने को लेकर एक बार फिर से विचार करना होगा। नीति पर विचार करना होगा। अधिकारी ने कहा कि दूसरे देशों के उदाहरण हमारे सामने हैं, जिन्होंने बूस्टर डोज दी, इसके बावजूद भी वहां कोरोना के मामले नहीं घटे। ऐसे में हम आंख मूंदकर दूसरे देशों ने जो किया, वैसा ही नहीं करेंगे। हमें अपने स्थानीय स्तर पर महामारी से जुड़ी परिस्थितियों और विज्ञान को देखना होगा और उनके आकलन के आधार पर निर्णय करने होंगे। 

दरअसल, कोविड-19 के लिए टीकाकरण पर बने राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) और डब्ल्यूएचओ की मंगलवार को एक उच्च स्तरीय बैठक हुई, जिसमें बूस्टर डोज के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की गई। अधिकारी के अनुसार, डब्ल्यूएचओ और एनटीएजीआई के सदस्यों के विशेषज्ञों ने बूस्टर डोज देने वाले देशों के आंकड़ों और कोरोना के मामलों का तुलनात्मक आकलन किया। इसके साथ ही स्थानीय आंकड़ों का भी अध्ययन किया जा रहा है। विशेषज्ञ संक्रमण के पैटर्न, वायरस के व्यवहार, उभरते हुए स्वरूपों और वायरल लोड के साथ-साथ पुन: संक्रमण होने आदि विषयों की भी समीक्षा कर रहे हैं।

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