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अमेरिका न दे दखल: भारत के साथ सीमा विवाद पर चीन की राय, बोला- हम दोनों पड़ोसी सुलझा लेंगे मसला

सार

चीन ने यह भी कहा कि वह और भारत नहीं चाहता है कि कोई तीसरा पक्ष सीमा विवाद को लेकर मध्यस्थता न करे। चीन के इस बयान पर भारत ने अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

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भारत के साथ जारी सीमा विवाद को लेकर चीन के रक्षा मंत्रालय का कहना है कि अमेरिका को इसमें दखल नहीं देना चाहिए। दोनों पड़ोसी देश द्विपक्षीय ढंग से मसले को सुलझा लेंगे। दरअसल चीन द्वारा लद्दाख क्षेत्र में मनमाने ढंग से निर्माण कार्यों पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई है। अन्य पड़ोसी देशों के साथ भी चीन के विस्तारवादी कदमों को लेकर अमेरिका व अन्य पश्चिमी देश उसका कड़ा विरोध कर रहे हैं। इसे लेकर चीन पर दबाव बढ़ रहा है। 

चीन ने यह भी कहा कि वह और भारत नहीं चाहता है कि कोई तीसरा पक्ष सीमा विवाद को लेकर मध्यस्थता न करे। हालांकि चीन के इस बयान पर भारत ने अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। चीन के रक्षा मंत्रालय का कहना है कि भारत के साथ सीमा समस्या द्विपक्षीय मसला है। उसने इस बयान को लेकर अमेरिका की आलोचना की कि चीन अपने पड़ोसियों को मजबूर कर रहा है। 

चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता वू कियान ने कहा, ‘कुछ अमेरिकी राजनीतिज्ञ ‘दमन’ शब्द के इस्तेमाल के इतने आदी हो चुके हैं कि वे भूल जाते हैं कि अमेरिका ही ‘दबाव की कूटनीति’ का आविष्कारक और बड़ा खिलाड़ी है।’
 

विस्तार

भारत के साथ जारी सीमा विवाद को लेकर चीन के रक्षा मंत्रालय का कहना है कि अमेरिका को इसमें दखल नहीं देना चाहिए। दोनों पड़ोसी देश द्विपक्षीय ढंग से मसले को सुलझा लेंगे। दरअसल चीन द्वारा लद्दाख क्षेत्र में मनमाने ढंग से निर्माण कार्यों पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई है। अन्य पड़ोसी देशों के साथ भी चीन के विस्तारवादी कदमों को लेकर अमेरिका व अन्य पश्चिमी देश उसका कड़ा विरोध कर रहे हैं। इसे लेकर चीन पर दबाव बढ़ रहा है। 

चीन ने यह भी कहा कि वह और भारत नहीं चाहता है कि कोई तीसरा पक्ष सीमा विवाद को लेकर मध्यस्थता न करे। हालांकि चीन के इस बयान पर भारत ने अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। चीन के रक्षा मंत्रालय का कहना है कि भारत के साथ सीमा समस्या द्विपक्षीय मसला है। उसने इस बयान को लेकर अमेरिका की आलोचना की कि चीन अपने पड़ोसियों को मजबूर कर रहा है। 

चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता वू कियान ने कहा, ‘कुछ अमेरिकी राजनीतिज्ञ ‘दमन’ शब्द के इस्तेमाल के इतने आदी हो चुके हैं कि वे भूल जाते हैं कि अमेरिका ही ‘दबाव की कूटनीति’ का आविष्कारक और बड़ा खिलाड़ी है।’

 

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