ज्योतिष डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: विनोद शुक्ला
Updated Mon, 07 Feb 2022 08:09 AM IST
सार
ज्योतिषीय गणना के अनुसार शनिदेव मौजूदा समय में श्रावण नक्षत्र में है। गौरतलब है शनिदेव श्रावण नक्षत्र में बीते 22 जनवरी 2021 को हुआ था। शनिदेव श्रावण नक्षत्र में 18 फरवरी 2022 तक रहेंगे। इसके बाद ये धनिष्ठा नक्षत्र में अपनी यात्रा को प्रारंभ कर देंगे।
shani dev: शनिदेव सभी ग्रहों में सबसे मंद गति से चलने वाले ग्रह है। शनिदेव को एक राशि से दूसरी राशि में जाने के लिए करीब ढाई वर्षों का समय लगता है।
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Shani Nakshatra Privartan: ज्योतिषशास्त्र में शनिदेव को विशेष महत्व दिया जाता है। वैदिक शास्त्र के अनुसार कुंडली की विश्लेषण करते समय कुंडली में मौजूद शनि ग्रह की स्थिति का बहुत प्रभाव जातकों के ऊपर पड़ता है। शनिदेव न्यायाधीश, कर्म फलदाता और आयु प्रदाता ग्रह। शनिदेव सभी ग्रहों में सबसे मंद गति से चलने वाले ग्रह है। शनिदेव को एक राशि से दूसरी राशि में जाने के लिए करीब ढाई वर्षों का समय लगता है। इस साल शनि 29 अप्रैल को राशि परिवर्तन करेंगे। शनिदेव मकर राशि की अपनी यात्रा को त्यागकर कुंभ राशि की यात्रा प्रारंभ कर देंगे। शनि का राशि परिवर्तन और नक्षत्र परिवर्तन बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। शनि के कुंभ राशि में परिवर्तन से पहले नक्षत्र परिवर्तन होने जा रहा है। जिसका प्रभाव सभी राशियों का जातकों पर पड़ने वाला है,लेकिन सभी 12 राशियों में से 4 राशियों को पर विशेष प्रभाव पड़ेगा।
राशि परिवर्तन से पहले शनिदेव का नक्षत्र परिवर्तन
ज्योतिषीय गणना के अनुसार शनिदेव मौजूदा समय में श्रावण नक्षत्र में है। गौरतलब है शनिदेव श्रावण नक्षत्र में बीते 22 जनवरी 2021 को हुआ था। शनिदेव श्रावण नक्षत्र में 18 फरवरी 2022 तक रहेंगे। इसके बाद ये धनिष्ठा नक्षत्र में अपनी यात्रा को प्रारंभ कर देंगे। इस धनिष्ठा नक्षत्र में शनि 15 मार्च 2023 तक रहेंगे।
नक्षत्र परिवर्तन से इन राशि वालों को होगा फायदा
वैदिक ज्योतिष शास्त्र की गणना के आधार पर धनिष्ठा नक्षत्र के स्वामी ग्रह मंगलदेव हैं और अधिष्ठाता अष्ट वसवाल और राशि के स्वामी स्वयं शनिदेव हैं। धनिष्ठा नक्षत्र के पहले दो चरण में पैदा होने वाले शिशु की जन्म राशि मकर और अंतिम चरण में पैदा होने वाले शिशु की राशि कुंभ होती है। इसी के साथ इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले शिशु पर मंगल और शनिदेव दोनों का ही प्रभाव रहता है। ऐसे में शनि के नक्षत्र परिवर्तन से कुछ राशि के जातकों पर विशेष प्रभाव देखने को मिल सकता है। ये राशि वाले जातक हैं- मेष, वृश्चिक, मकर और कुंभ। इन चार राशियों के जातकों पर शनिदेव की विशेष कृपा रहेगी।
विस्तार
Shani Nakshatra Privartan: ज्योतिषशास्त्र में शनिदेव को विशेष महत्व दिया जाता है। वैदिक शास्त्र के अनुसार कुंडली की विश्लेषण करते समय कुंडली में मौजूद शनि ग्रह की स्थिति का बहुत प्रभाव जातकों के ऊपर पड़ता है। शनिदेव न्यायाधीश, कर्म फलदाता और आयु प्रदाता ग्रह। शनिदेव सभी ग्रहों में सबसे मंद गति से चलने वाले ग्रह है। शनिदेव को एक राशि से दूसरी राशि में जाने के लिए करीब ढाई वर्षों का समय लगता है। इस साल शनि 29 अप्रैल को राशि परिवर्तन करेंगे। शनिदेव मकर राशि की अपनी यात्रा को त्यागकर कुंभ राशि की यात्रा प्रारंभ कर देंगे। शनि का राशि परिवर्तन और नक्षत्र परिवर्तन बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। शनि के कुंभ राशि में परिवर्तन से पहले नक्षत्र परिवर्तन होने जा रहा है। जिसका प्रभाव सभी राशियों का जातकों पर पड़ने वाला है,लेकिन सभी 12 राशियों में से 4 राशियों को पर विशेष प्रभाव पड़ेगा।
राशि परिवर्तन से पहले शनिदेव का नक्षत्र परिवर्तन
ज्योतिषीय गणना के अनुसार शनिदेव मौजूदा समय में श्रावण नक्षत्र में है। गौरतलब है शनिदेव श्रावण नक्षत्र में बीते 22 जनवरी 2021 को हुआ था। शनिदेव श्रावण नक्षत्र में 18 फरवरी 2022 तक रहेंगे। इसके बाद ये धनिष्ठा नक्षत्र में अपनी यात्रा को प्रारंभ कर देंगे। इस धनिष्ठा नक्षत्र में शनि 15 मार्च 2023 तक रहेंगे।
नक्षत्र परिवर्तन से इन राशि वालों को होगा फायदा
वैदिक ज्योतिष शास्त्र की गणना के आधार पर धनिष्ठा नक्षत्र के स्वामी ग्रह मंगलदेव हैं और अधिष्ठाता अष्ट वसवाल और राशि के स्वामी स्वयं शनिदेव हैं। धनिष्ठा नक्षत्र के पहले दो चरण में पैदा होने वाले शिशु की जन्म राशि मकर और अंतिम चरण में पैदा होने वाले शिशु की राशि कुंभ होती है। इसी के साथ इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले शिशु पर मंगल और शनिदेव दोनों का ही प्रभाव रहता है। ऐसे में शनि के नक्षत्र परिवर्तन से कुछ राशि के जातकों पर विशेष प्रभाव देखने को मिल सकता है। ये राशि वाले जातक हैं- मेष, वृश्चिक, मकर और कुंभ। इन चार राशियों के जातकों पर शनिदेव की विशेष कृपा रहेगी।
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