Business

Budget 2022: 8 साल से नहीं बढ़ी है आयकर में 80सी के तहत मिलने वाली छूट; बजट में कोरोना राहत की भी उम्मीद 

बजट 2022

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: रवींद्र भजनी
Updated Thu, 27 Jan 2022 08:00 PM IST

सार

केंद्रीय बजट से आयकर स्लैब्स में बदलाव और 80सी की छूट बढ़ने की उम्मीद की जा रही है। 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये की छूट मिलती है, जिसमें 2014 के बाद कोई बदलाव नहीं आया है। 
 

बजट 2022
– फोटो : अमर उजाला

ख़बर सुनें

विस्तार

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को संसद में वर्ष 2022-23 के लिए आम बजट पेश करेंगी। इसमें व्यक्तिगत करदाताओं को कई राहतें मिलने की उम्मीद की जा रही है। आयकर अधिनियम के सेक्शन 80सी के तहत मिलने वाली 1.5 लाख रुपये की छूट महत्वपूर्ण है, जिसे 2014 से नहीं बदला गया है। इसी तरह स्लैब्स में बदलाव भी हो सकता है, जिसमें लंबे समय से कोई बदलाव नहीं हुआ है। 

80सी की छूट 3 लाख रुपये होनी चाहिए 

बैंकबाजार.कॉम के सीईओ आदिल शेट्टी का कहना है कि 2014 में आयकर अधिनियम के तहत 80सी के तहत मिलने वाली छूट 1.5 लाख रुपये की गई थी। महंगाई और बढ़ती आय को देखते हुए इसे 1.5 लाख से बढ़ाकर 3 लाख रुपये किया जाना चाहिए। 80सी में इन्वेस्टमेंट, इंश्योरेंस और अन्य खर्च पर टैक्स में छूट दी जाती है। इसे सिर्फ निवेश तक सीमित रखा जाए तो लोगों को निवेश के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। कोविड महामारी ने कई परिवारों को आर्थिक बोझ में डाला है। हेल्थ इंश्योरेंस की लिमिट बढ़ाकर कोविड के लिए एक बार की छूट दी जानी चाहिए। इससे करदाताओं को बड़ी राहत मिलेगी।  

टैक्स स्लैब में बदलाव होना आवश्यक

आम लोगों को इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने में मदद करने वाले क्लियर (क्लियरटैक्स) के सीईओ अर्चित गुप्ता का कहना है कि आयकर को लेकर नई और पुरानी व्यवस्था आम लोगों को कन्फ्यूज कर रही है। सरकार को सबसे उच्च टैक्स स्लैब को 15 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये करना चाहिए। नई व्यवस्था को आकर्षक बनाने के लिए उसमें छूट देना आवश्यक हो गया है। बजट 2021 ने सैलरी क्लास को कोई राहत नहीं दी थी, इस वजह से इस बार उम्मीद बढ़ गई है। स्टैंडर्ड डिडक्शन को 50 हजार रुपये से बढ़ाकर महंगाई के साथ एडजस्ट किया जा सकता है। 80सी के तहत बढ़ी हुई छूट इक्विटी-लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ELSS) के तहत दी जा सकती है। कोविड-19 संबंधित डिडक्शन को 80डी और 80डीडीबी में जोड़ा जाना चाहिए, जिससे कोविड-19 मरीजों और उनके परिवारों को राहत मिल सके।   

बीमा पर जीएसटी कम करेंगे तो कवरेज बढ़ेगा

पॉलिसीएक्स के सीईओ नवल गोयल का कहना है कि टर्म इंश्योरेंस का दायरा बढ़ाने के लिए आयकर में प्रीमियम पर छूट अलग से मिलनी चाहिए। इसके साथ ही जीएसटी को टर्म इंश्योरेंस से हटाया जाना चाहिे। स्वास्थ्य बीमा पर कर छूट की सीमा को 25 हजार रुपये से बढ़ाकर 50 हजार रुपये की जाए तो ज्यादा से ज्यादा लोग स्वास्थ्य बीमा के दायरे में आएंगे। कैनरा एचएसबीसी ओबीसी लाइफ इश्योरेंस के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर तरुण रस्तोगी का कहना है कि एक लाख रुपये तक की बीमा प्रीमियम को 80सी के तहत आयकर में छूट मिलना चाहिए। साथ ही पॉलिसी टर्म और सम एश्योर्ड रेश्यो से जुड़ी पॉलिसी में बदलाव भी आवश्यक है। यह टैक्स पहल लोगों को बीमा लेने के लिए प्रेरित करेंगी। सना इंश्योरेंस ब्रोकर्स लमिटेड के सह-संस्थापक श्रीनाथ मुखर्जी का कहना है कि स्वास्थ्य बीमा पर जीएसटी कम करें, क्योंकि चिकित्सा सेवाओं पर या तो शून्य जीएसटी है या कम दर है। यह ज्यादा से ज्यादा लोगों को स्वास्थ्य बीमा लेने के लिए प्रेरित करेगी।  

जीएसटी का सरलीकरण आवश्यक

टैक्सजीनी के सीईओ राकेश दुबे ने कहा कि इस बजट में हम और ज्यादातर एमएसएमई जीएसटी सरलीकरण की उम्मीद कर रहे हैं। साथ ही टीडीएस में कमी और कम्प्लायंस में राहत चाहते हैं। कोविड ने एमएसएमई को कैश फ्लो चुनौतियों की वजह से कम्प्लायंस में डिफॉल्टर बना दिया है। टीमलीज सर्विसेस के वाइस प्रेजिडेंट और बिजनेस हेड अजॉय थॉमस ने कहा कि कॉर्पोरेट टैक्स में कमी से सभी सेक्टरों में विकास की राह खुलेगी। पिछले साल में रिटेल सेक्टर में तरक्की दिखी है, जिसके लिए सरकार को विशेष प्रयास करने की आवश्यकता है। वयाना नेटवर्क के सीईओ राम अय्यर का कहना है कि टैक्स स्लैब्स बढ़ाकर सरकार लोगों की क्रय शक्ति को बढ़ा सकती है। इससे सभी सेक्टरों में विकास में मदद मिलेगी। साथ ही एमएसएमई के लिए रीस्ट्रक्चरिंग चैनल जैसी पहल करनी होगी। 

डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन बढ़ा है तो राहत भी चाहिए

डीवीएस एडवायजर्स के सीनियर पार्टनर सुंदर राजन टीके ने कहा कि डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन बढ़ा है। इसे देखते हुए बजट में व्यक्तिगत वित्त के मामले में कर राहत बढ़ सकती है। वेतनभोगियों के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन, 80सी के तहत छूट की सीमा में बढ़ोतरी जैसे कदमों की उम्मीद की जा सकती है। वहीं, टाटा कैपिटल के वेल्थ मैनेजमेंट के प्रमुख सौरव बसु ने कहा कि करदाताओं को राहत देने के लिए सरकार ELSS कैटेगरी में राहत देने पर विचार कर सकती है। इक्विटी स्कीम में राहत मिलेगी तो निवेश करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। कैपिटल गेन्स टैक्स के सरलीकरण की उम्मीद भी है। वहीं, कंज्यूमर ड्यूरेबल कंपनी कैंडीज के सह-संस्थापक विपिन अग्रवाल का कहना है कि टैक्स स्लैब्स के सरलीकरण से कंज्यूमर ड्यूरेबल सेग्मेंट को रफ्तार मिल सकती है। बीपी वेल्थ के मैनेजिंग डायरेक्टर युवराज अशोक ठक्कर ने कहा कि पिछले साल कोविड से प्रभावित सेक्टरों को प्रोत्साहन देने के लिए कई पॉलिसी घोषित हुई थी। इस साल भी वित्त मंत्री से उम्मीद है कि वह उन सेक्टरों को मदद करेंगी, जिन्हें सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। 

Source link

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

To Top
%d bloggers like this: