न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: Amit Mandal
Updated Fri, 15 Apr 2022 11:10 PM IST
सार
छात्र संगठन के 75 साल के इतिहास को बयां करने वाली दो पुस्तकों के एक संग्रह के विमोचन पर बोलते हुए होसबले ने आरएसएस से संबद्ध एबीवीपी को राष्ट्रवाद की मशाल बताया।
आरएसएस के वरिष्ठ नेता दत्तात्रेय होसबले ने शुक्रवार को एबीवीपी से राष्ट्र निर्माण की दिशा में काम करने के लिए उत्साह के साथ आगे बढ़ने का आह्वान करते हुए कहा कि छात्र संगठनों को देश के टुकड़े-टुकड़े करने के बारे में बात नहीं करनी चाहिए। वर्तमान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के महासचिव होसबले ने लंबे समय तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के संगठनात्मक सचिव के रूप में काम किया है।
छात्र संगठन के 75 साल के इतिहास को बयां करने वाली दो पुस्तकों के एक संग्रह के विमोचन पर बोलते हुए होसबले ने आरएसएस से संबद्ध एबीवीपी को राष्ट्रवाद की मशाल बताया। होसबले ने किसी संगठन का नाम लिए बिना कहा कि हर छात्र संगठन स्वभाव से ही सत्ता विरोधी होता है। इसमें कोई संदेह नहीं है। कई बार युवा पीढ़ी को लोगों के कल्याण के लिए सरकार के खिलाफ आवाज उठानी पड़ती है, लेकिन इसे (छात्र संगठन) देश के टुकड़े-टुकड़े करने का आह्वान नहीं करना चाहिए।
होसबले ने कहा, उन्हें समाज के प्रति द्वेष नहीं रखना चाहिए और सभ्यता के प्रति नफरत नहीं फैलानी चाहिए। उन्हें समाज में अराजकता पैदा करने का काम नहीं करना चाहिए। क्रांति के नाम पर उन्हें देश में रक्तपात की बात नहीं करनी चाहिए। क्या वे अपने ही लोगों को मारकर क्रांति ला सकते हैं? देश भर के विश्वविद्यालयों में ऐसी ताकतों को रोकने के लिए जो बंदूक के इशारे पर क्रांति लाना चाहते हैं, एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने अपने जीवन का बलिदान दिया है।
होसबले ने कहा कि हर छात्र संगठन बदलाव लाना चाहता है लेकिन इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए वह जिस रास्ते को चुनता है वह महत्वपूर्ण है। छात्र संगठनों को समाज के प्रति जिम्मेदारी की भावना के साथ रचनात्मक तरीके से काम करना चाहिए और राष्ट्र निर्माण के लिए काम करना चाहिए। आज विश्वविद्यालयों के अंदर देश को तोड़ने की इच्छा रखने वाली ताकतों द्वारा नारे लगाए जाते हैं। ऐसी ताकतें देश का आत्मविश्वास तोड़कर उसका मनोबल गिराना चाहती हैं। इन सबके बीच यह महत्वपूर्ण है कि एक संगठन (एबीवीपी) राष्ट्रवाद की मशाल लेकर उत्साह के साथ आगे बढ़ता है और राष्ट्र निर्माण व समाज के समग्र कल्याण की दिशा में काम करता है।
विस्तार
आरएसएस के वरिष्ठ नेता दत्तात्रेय होसबले ने शुक्रवार को एबीवीपी से राष्ट्र निर्माण की दिशा में काम करने के लिए उत्साह के साथ आगे बढ़ने का आह्वान करते हुए कहा कि छात्र संगठनों को देश के टुकड़े-टुकड़े करने के बारे में बात नहीं करनी चाहिए। वर्तमान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के महासचिव होसबले ने लंबे समय तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के संगठनात्मक सचिव के रूप में काम किया है।
छात्र संगठन के 75 साल के इतिहास को बयां करने वाली दो पुस्तकों के एक संग्रह के विमोचन पर बोलते हुए होसबले ने आरएसएस से संबद्ध एबीवीपी को राष्ट्रवाद की मशाल बताया। होसबले ने किसी संगठन का नाम लिए बिना कहा कि हर छात्र संगठन स्वभाव से ही सत्ता विरोधी होता है। इसमें कोई संदेह नहीं है। कई बार युवा पीढ़ी को लोगों के कल्याण के लिए सरकार के खिलाफ आवाज उठानी पड़ती है, लेकिन इसे (छात्र संगठन) देश के टुकड़े-टुकड़े करने का आह्वान नहीं करना चाहिए।
होसबले ने कहा, उन्हें समाज के प्रति द्वेष नहीं रखना चाहिए और सभ्यता के प्रति नफरत नहीं फैलानी चाहिए। उन्हें समाज में अराजकता पैदा करने का काम नहीं करना चाहिए। क्रांति के नाम पर उन्हें देश में रक्तपात की बात नहीं करनी चाहिए। क्या वे अपने ही लोगों को मारकर क्रांति ला सकते हैं? देश भर के विश्वविद्यालयों में ऐसी ताकतों को रोकने के लिए जो बंदूक के इशारे पर क्रांति लाना चाहते हैं, एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने अपने जीवन का बलिदान दिया है।
होसबले ने कहा कि हर छात्र संगठन बदलाव लाना चाहता है लेकिन इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए वह जिस रास्ते को चुनता है वह महत्वपूर्ण है। छात्र संगठनों को समाज के प्रति जिम्मेदारी की भावना के साथ रचनात्मक तरीके से काम करना चाहिए और राष्ट्र निर्माण के लिए काम करना चाहिए। आज विश्वविद्यालयों के अंदर देश को तोड़ने की इच्छा रखने वाली ताकतों द्वारा नारे लगाए जाते हैं। ऐसी ताकतें देश का आत्मविश्वास तोड़कर उसका मनोबल गिराना चाहती हैं। इन सबके बीच यह महत्वपूर्ण है कि एक संगठन (एबीवीपी) राष्ट्रवाद की मशाल लेकर उत्साह के साथ आगे बढ़ता है और राष्ट्र निर्माण व समाज के समग्र कल्याण की दिशा में काम करता है।
Source link
Like this:
Like Loading...