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आईएमएफ: यूक्रेन युद्ध और महंगाई से दुनिया को खतरा, रूस के हमले से 186 देशों की आर्थिक स्थिति में आई गिरावट 

आईएमएफ: यूक्रेन युद्ध और महंगाई से दुनिया को खतरा, रूस के हमले से 186 देशों की आर्थिक स्थिति में आई गिरावट 

एजेंसी, वाशिंगटन
Published by: देव कश्यप
Updated Fri, 15 Apr 2022 06:24 AM IST

सार

आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टलीना जॉर्जिवा ने कहा कि यूक्रेन पर रूस के हमले के कारण 186 देशों की आर्थिक स्थिति में गिरावट आई है। युद्ध ने ऊर्जा और अनाज के वैश्विक व्यापार को बाधित किया है। अफ्रीका और पश्चिम एशिया में खाने के सामान की कमी का खतरा है।

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यूक्रेन युद्ध और महंगाई से वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए खतरा उत्पन्न हो गया है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने बृहस्पतिवार को आगाह किया कि यूक्रेन के खिलाफ युद्ध से दुनिया के ज्यादातर देशों की आर्थिक संभावनाएं कमजोर पड़ रही हैं। महंगाई की ऊंची दर भी विकास के लिए खतरा है।

आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टलीना जॉर्जिवा ने कहा कि यूक्रेन पर रूस के हमले के कारण 186 देशों की आर्थिक स्थिति में गिरावट आई है। युद्ध ने ऊर्जा और अनाज के वैश्विक व्यापार को बाधित किया है। अफ्रीका और पश्चिम एशिया में खाने के सामान की कमी का खतरा है।

उन्होंने कहा, 2020 की महामारी के कारण उत्पन्न मंदी से अर्थव्यवस्थाओं में अप्रत्याशित और मजबूत सुधार हुआ है। इसने कंपनियों को अचंभित किया और वे मजबूत ग्राहक मांग को पूरा करने में असमर्थ रहीं, जिससे कीमतें बढ़ी हैं। इसके अलावा, ऊंची महंगाई को देखते हुए विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंक ब्याज दरें बढ़ा रहे हैं।

विस्तार

यूक्रेन युद्ध और महंगाई से वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए खतरा उत्पन्न हो गया है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने बृहस्पतिवार को आगाह किया कि यूक्रेन के खिलाफ युद्ध से दुनिया के ज्यादातर देशों की आर्थिक संभावनाएं कमजोर पड़ रही हैं। महंगाई की ऊंची दर भी विकास के लिए खतरा है।

आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टलीना जॉर्जिवा ने कहा कि यूक्रेन पर रूस के हमले के कारण 186 देशों की आर्थिक स्थिति में गिरावट आई है। युद्ध ने ऊर्जा और अनाज के वैश्विक व्यापार को बाधित किया है। अफ्रीका और पश्चिम एशिया में खाने के सामान की कमी का खतरा है।

उन्होंने कहा, 2020 की महामारी के कारण उत्पन्न मंदी से अर्थव्यवस्थाओं में अप्रत्याशित और मजबूत सुधार हुआ है। इसने कंपनियों को अचंभित किया और वे मजबूत ग्राहक मांग को पूरा करने में असमर्थ रहीं, जिससे कीमतें बढ़ी हैं। इसके अलावा, ऊंची महंगाई को देखते हुए विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंक ब्याज दरें बढ़ा रहे हैं।

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