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महाराष्ट्र: नितिन गडकरी ने किया चैरिटेबल अस्पताल का उद्घाटन, जानें क्यों कही नियम तोड़ने की बात

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को महाराष्ट्र के पुणे में स्थित सिंहगढ़ किला क्षेत्र में एक मल्टी स्पेशलिटी चैरिटेबल अस्पताल का उद्घाटन किया। इस अवसर पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि देश के ग्रामीण इलाकों में शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन स्थिति में सुधार हो रहा है। वहीं, स्थानीयों की एक मांग को पूरी करने के लिए उन्होंने कहा कि मैं इसे जरूर पूरा करूंगा, भले ही इसके लिए मुझे नियम क्यों ना तोड़ना पड़े।

गडकरी ने जिस अस्पताल का उद्घाटन किया वह सामाजिक कार्यकर्ता विजय फलानीकर द्वारा संचालित अनाथालय ‘अपला घर’ के परिसर में बनाया गया है। इस अस्पताल की स्थापना आसपास के क्षेत्रों में आदिवासियों और पिछड़े समुदायों की मदद करने के लिए की गई है।

इस दौरान अनाथालय के न्यासी ने इलाके में बेहतर सड़क मार्ग की की मांग की है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वह उनकी मांग पूरी करेंगे चाहें इसके लिए उन्हें नियम ही क्यों ना तोड़ना पड़े। उन्होंने आगे कहा कि, दरअसल,मैं राष्ट्रीय राजमार्गों से संबंधित काम के लिए अधिकृत हूं और उनके मंत्रालय के तहत आंतरिक सड़कों का निर्माण कराना नहीं आता है। उन्होंने कहा कि अगर खराब सड़क को लेकर उन लोगों को बड़ी समस्या नहीं होती तो उन्होंने कोई बड़ी मांग की होती। इसलिए मै नियम तोड़कर ही सही, लेकिन अस्पताल के निकट सड़क बनवाऊंगा। इस मौके पर उन्होंने महात्मा गांधी के एक वक्त्व्य को भी कहा कि महात्मा गांधी ने भी कहा था कि अगर किसी गरीब व्यक्ति को लाभ होता है तो नियम तोड़ना ठीक है।

गडकरी ने कहा कि हमारे देश में ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। शहरी क्षेत्रों में सुविधाएं हैं, लेकिन ग्रामीण इलाकों में स्थिति उतनी अच्छी नहीं है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति यह है कि यदि स्कूल भवन उपलब्ध हैं, तो शिक्षक नहीं हैं। उन्होंने कहा कि यदि शिक्षक उपलब्ध हैं तो स्कूल भवन नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर दोनों चीजें शिक्षक और स्कूल की इमारत हैं, तो छात्र गायब हैं। और अगर ये सारी चीजें हैं तो वहां पढ़ाई नहीं होती। 

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने कहा कि हालांकि यह अभी ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों की स्थिति है, लेकिन अब इसमें काफी हद तक सुधार हो रहा है। स्वास्थ्य सुविधाओं पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि  जहां तक स्वास्थ्य सुविधाओं की बात है  तो ग्रामीण क्षेत्रों में भी स्थिति समान है और हम सभी ने इस तथ्य को COVID-19 के दौरान बहुत अच्छी तरह से अनुभव किया है। उन्होंने कहा कि देश में 115 ऐसे जिले हैं जो सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े हैं और वहां की स्थिति बहुत खराब है।

गड़करी ने आगे बोलते हुए कहा कि जिस क्षेत्र में आदिवासी रहते हैं, वहां की स्थिति बहुत खराब है। उन्होंने कहा कि मैं पिछले 13 वर्षों से गढ़चिरौली, एट्टापल्ली, सिरोंचा, अहेरी और मेलघाट जैसे आदिवासी क्षेत्रों में काम कर रहा हूं। इन क्षेत्रों में शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं तक नहीं हैं। गडकरी ने कहा कि इन इलाकों में जब कोविड-19 महामारी के दौरान वेंटिलेटर और बाईलेवल पॉजिटिव एयरवे प्रेशर भेजे गए, तो वहां के डॉक्टरों को ये तक नहीं था कि वेंटिलेटर कैसे लगाया जाए।

उन्होंने कहा कि हमें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बीआईपीएपी का उपयोग करने का प्रशिक्षण देना पड़ा था। हम समझ सकते हैं कि इन क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति कितनी गंभीर है। अस्पताल के उद्घाटन के मौके पर नितिन गडकरी ने गुरुवार को डॉ बी आर आंबेडकर की जयंती का जिक्र करते हुए कहा कि आज जब हर कोई आंबेडकर को याद कर रहा है, तब सामाजिक और आर्थिक समानता तभी संभव है जब वंचित और उत्पीड़ित वर्गों को शिक्षा, स्वास्थ्य और वित्तीय क्षेत्रों में समान सुविधाएं मिलें।

टाटा से एक बार कहा था, आरएसएस धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करता: गडकरी
गडकरी ने कहा कि एक बार उन्होंने उद्योगपति रतन टाटा से कहा था कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करता। वे एक पुराना किस्सा सुना रहे थे, जब वह महाराष्ट्र में शिवसेना-भाजपा सरकार में मंत्री थे। गडकरी ने कहा कि औरंगाबाद में दिवंगत आरएसएस प्रमुख के बी हेडगेवार के नाम पर एक अस्पताल का उद्घाटन किया जा रहा था। मैं तब राज्य सरकार में एक मंत्री था। आरएसएस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने इच्छा व्यक्त की कि अस्पताल का उद्घाटन रतन टाटा करें और मुझसे मदद करने के लिए कहा।

गडकरी ने कहा कि इसके बाद उन्होंने टाटा से संपर्क किया और उन्हें देश में गरीबों को कैंसर देखभाल प्रदान करने में टाटा कैंसर अस्पताल के योगदान का हवाला देते हुए अस्पताल का उद्घाटन करने के लिए राजी किया। अस्पताल पहुंचने पर टाटा ने पूछा कि क्या यह अस्पताल केवल हिंदू समुदाय के लोगों के लिए है। मैंने उनसे पूछा  कि आप ऐसा क्यों सोचते हैं। उन्होंने तुरंत जवाब दिया, क्योंकि यह आरएसएस का है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मैंने उनसे कहा कि अस्पताल सभी समुदायों के लिए है और आरएसएस में ऐसा कुछ (धर्म के आधार पर भेदभाव) नहीं होता। गडकरी ने कहा कि फिर उन्होंने टाटा को कई बातें बताईं और बाद में वह बहुत खुश हुए।

इतिहास का इस्तेमाल गलती खोजने के लिए नहीं किया जाना चाहिए : गडकरी
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को पुणे में भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट में एक एम्फीथिएटर का उद्घाटन किया। इस अवसर पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि इतिहास का इस्तेमाल बेहतर समाज और राष्ट्र के निर्माण के लिए किया जाना चाहिए न कि “गलती खोजने” के लिए। भाजपा नेता ने कहा कि भारत की संस्कृति महान है और इसका इतिहास और विरासत “जीवन मूल्यों” से जुड़ी हुई है।

गडकरी ने कहा, “भगवान महावीर, भगवान बुद्ध, रामायण और भगवद गीता के दर्शन में समानता है और इसी तरह का दर्शन स्वामी विवेकानंद ने शिकागो धर्म सम्मेलन में रखा था। लेकिन यह हमारा दुर्भाग्य है कि हमने इतिहास का इस्तेमाल गलती खोजने के लिए किया। हम बेहतर भविष्य, समाज और देश के निर्माण के लिए इतिहास का इस्तेमाल करने में विफल रहे। विवाद से किसी का कल्याण नहीं होता।”

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