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टू-प्लस-टू वार्ता: जयशंकर बोले- यूक्रेन-रूस जंग से भारत-अमेरिका के संबंध पर असर नहीं

सार

यूक्रेन मामले में भारत की भूमिका पर सवाल किए जाने पर जयशंकर ने कहा, भारत का इरादा मदद का है। यूक्रेन, यूरोप, रूस और अन्य पड़ोसी देशों के साथ भारत करीबी संपर्क में है। वह मौजूदा संकट का स्थायी हल निकालने में मदद करना चाहता है।

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टू-प्लस-टू वार्ता के अंतिम दिन भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि यूक्रेन और रूस के बीच जारी जंग की वजह से भारत-अमेरिका के संबंधों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि भारत ने अपनी स्थिति और नजरिये को अमेरिका के सामने खुलकर रखा। इसे अमेरिका ने भी खुले दिल से स्वीकार किया है। भारत और अमेरिका के रिश्ते अब इतने मजबूत हो चुके हैं कि कई मुद्दों पर असहमति को झेल सकते हैं। लिहाजा, यूक्रेन मसले के असर डालने की आशंका नहीं है।  

यूक्रेन मामले में भारत की भूमिका पर सवाल किए जाने पर जयशंकर ने कहा, भारत का इरादा मदद का है। यूक्रेन, यूरोप, रूस और अन्य पड़ोसी देशों के साथ भारत करीबी संपर्क में है। वह मौजूदा संकट का स्थायी हल निकालने में मदद करना चाहता है। वहीं, यूक्रेन मामले में मध्यस्थता को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने बताया कि अमेरिका की तरफ से भारत से ऐसा कोई आग्रह नहीं किया गया।

ऊर्जा जरूरतों पर चिंता की भी दी जानकारी
जयशंकर बताया कि भारत ने अपनी ऊर्जा जरूरतों और वैश्विक खाद्य आपूर्ति शृंखला पर यूक्रेन संकट के असर को लेकर चिंताओं से अमेरिका को अवगत कराया। नेपाल, श्रीलंका, पाकिस्तान व म्यांमार को लेकर भी चर्चा हुई। दोनों देशों ने अफगानिस्तान के हालात पर रुख व जानकारियां साझा कीं। खाड़ी देशों के हालात, खासतौर पर ईरान के साथ परमाणु समझौते की स्थिति पर चर्चा हुई।

अमेरिकी सेना के हिंद-प्रशांत कमान मुख्यालय पहुंचे राजनाथ होनोलूलू/वाशिंगटन। भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह बुधवार को राजनाथ सिंह अमेरिकी सेना के हिंद-प्रशांत कमान (यूएसइंडोपीएसीओएम) मुख्यालय का दौरा करने हवाई पहुंचे। कमांडर एडमिरल जॉन एक्विलिनो ने रक्षामंत्री का स्वागत किया। राजनाथ सिंह ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। 

अमेरिकी वाणिज्य मंत्री से आर्थिक साझेदारी बढ़ाने पर चर्चा…विदेश मंत्री एस जयशंकर अमेरिका की वाणिज्य मंत्री जीना रायमोंडो से मिले। ट्विटर पर जयशंकर ने बताया कि जीना रायमोंडो के साथ भारत-अमेरिका आर्थिक साझेदारी को बढ़ावा देने पर चर्चा हुई। दोनों देशों का लक्ष्य आपूर्ति शृंखलाओं के लचीलेपन व विश्वसनीयता को बढ़ाते हुए व्यापार में विश्वास और पारदर्शिता बढ़ाना है।

  • रायमोंडो ने गहरे वाणिज्यिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क के महत्व पर चर्चा में कहा, हिंद-प्रशांत के आर्थिक ढांचे को मजबूत और स्वतंत्र बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
  • राजनयिक बनने में पाश्चात्य संगीत का प्रभाव :  अमेरिकी छात्र एंजेल ब्रायन ने जयशंकर से राजनयिक बनने के पीछे की प्रेरणा पर सवाल किया। तो उन्होंने कहा, इसके पीछे सबसे बड़ी वजह पाश्चात्य संगीत है। इसमें रुचि के चलते ही दुनिया के बारे में जानने की उत्सुकता जगी। 
  •  संबंधों में मानवीय तत्व अहम…एस. जयशंकर ने कहा कि भारत-अमेरिकी साझेदारी का एक अहम कारक इसका मानवीय तत्व रहा है। इसके केंद्र में छात्र, विद्वान, और पेशेवर हैं।
रिश्तों में हार्वर्ड विवि की अहम भूमिका : ब्लिंकेन
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने कहा कि वाशिंगटन स्थित ‘हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी’ ने भारत-अमेरिकी रिश्तों के निर्माण में अहम भूमिका निभाई है। ‘टू-प्लस-टू’ मंत्रिस्तरीय वार्ता के एक दिन बाद ब्लिंकेन और जयशंकर ने यूनिवर्सिटी में छात्रों से दोनों देशों के बीच शैक्षणिक संबंधों को मजबूत करने पर बातचीत की।

ब्लिंकेन ने छात्रों से बातचीत में कहा, 1935 में हॉवर्ड के तत्कालीन डीन थर्मन ने भारत यात्रा कर  स्वतंत्रता आंदोलन से सीख लेने का प्रयास किया, जो अमेरिका में नस्लीय न्याय के लिए प्रासंगिक है। थर्मन ने महात्मा गांधी से भी मुलाकात की थी। वापस आकर थर्मन ने अहिंसा की व्याख्या की। 

विस्तार

टू-प्लस-टू वार्ता के अंतिम दिन भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि यूक्रेन और रूस के बीच जारी जंग की वजह से भारत-अमेरिका के संबंधों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि भारत ने अपनी स्थिति और नजरिये को अमेरिका के सामने खुलकर रखा। इसे अमेरिका ने भी खुले दिल से स्वीकार किया है। भारत और अमेरिका के रिश्ते अब इतने मजबूत हो चुके हैं कि कई मुद्दों पर असहमति को झेल सकते हैं। लिहाजा, यूक्रेन मसले के असर डालने की आशंका नहीं है।  

यूक्रेन मामले में भारत की भूमिका पर सवाल किए जाने पर जयशंकर ने कहा, भारत का इरादा मदद का है। यूक्रेन, यूरोप, रूस और अन्य पड़ोसी देशों के साथ भारत करीबी संपर्क में है। वह मौजूदा संकट का स्थायी हल निकालने में मदद करना चाहता है। वहीं, यूक्रेन मामले में मध्यस्थता को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने बताया कि अमेरिका की तरफ से भारत से ऐसा कोई आग्रह नहीं किया गया।

ऊर्जा जरूरतों पर चिंता की भी दी जानकारी

जयशंकर बताया कि भारत ने अपनी ऊर्जा जरूरतों और वैश्विक खाद्य आपूर्ति शृंखला पर यूक्रेन संकट के असर को लेकर चिंताओं से अमेरिका को अवगत कराया। नेपाल, श्रीलंका, पाकिस्तान व म्यांमार को लेकर भी चर्चा हुई। दोनों देशों ने अफगानिस्तान के हालात पर रुख व जानकारियां साझा कीं। खाड़ी देशों के हालात, खासतौर पर ईरान के साथ परमाणु समझौते की स्थिति पर चर्चा हुई।

अमेरिकी सेना के हिंद-प्रशांत कमान मुख्यालय पहुंचे राजनाथ होनोलूलू/वाशिंगटन। भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह बुधवार को राजनाथ सिंह अमेरिकी सेना के हिंद-प्रशांत कमान (यूएसइंडोपीएसीओएम) मुख्यालय का दौरा करने हवाई पहुंचे। कमांडर एडमिरल जॉन एक्विलिनो ने रक्षामंत्री का स्वागत किया। राजनाथ सिंह ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। 

अमेरिकी वाणिज्य मंत्री से आर्थिक साझेदारी बढ़ाने पर चर्चा…विदेश मंत्री एस जयशंकर अमेरिका की वाणिज्य मंत्री जीना रायमोंडो से मिले। ट्विटर पर जयशंकर ने बताया कि जीना रायमोंडो के साथ भारत-अमेरिका आर्थिक साझेदारी को बढ़ावा देने पर चर्चा हुई। दोनों देशों का लक्ष्य आपूर्ति शृंखलाओं के लचीलेपन व विश्वसनीयता को बढ़ाते हुए व्यापार में विश्वास और पारदर्शिता बढ़ाना है।

  • रायमोंडो ने गहरे वाणिज्यिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क के महत्व पर चर्चा में कहा, हिंद-प्रशांत के आर्थिक ढांचे को मजबूत और स्वतंत्र बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
  • राजनयिक बनने में पाश्चात्य संगीत का प्रभाव :  अमेरिकी छात्र एंजेल ब्रायन ने जयशंकर से राजनयिक बनने के पीछे की प्रेरणा पर सवाल किया। तो उन्होंने कहा, इसके पीछे सबसे बड़ी वजह पाश्चात्य संगीत है। इसमें रुचि के चलते ही दुनिया के बारे में जानने की उत्सुकता जगी। 
  •  संबंधों में मानवीय तत्व अहम…एस. जयशंकर ने कहा कि भारत-अमेरिकी साझेदारी का एक अहम कारक इसका मानवीय तत्व रहा है। इसके केंद्र में छात्र, विद्वान, और पेशेवर हैं।
रिश्तों में हार्वर्ड विवि की अहम भूमिका : ब्लिंकेन

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने कहा कि वाशिंगटन स्थित ‘हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी’ ने भारत-अमेरिकी रिश्तों के निर्माण में अहम भूमिका निभाई है। ‘टू-प्लस-टू’ मंत्रिस्तरीय वार्ता के एक दिन बाद ब्लिंकेन और जयशंकर ने यूनिवर्सिटी में छात्रों से दोनों देशों के बीच शैक्षणिक संबंधों को मजबूत करने पर बातचीत की।

ब्लिंकेन ने छात्रों से बातचीत में कहा, 1935 में हॉवर्ड के तत्कालीन डीन थर्मन ने भारत यात्रा कर  स्वतंत्रता आंदोलन से सीख लेने का प्रयास किया, जो अमेरिका में नस्लीय न्याय के लिए प्रासंगिक है। थर्मन ने महात्मा गांधी से भी मुलाकात की थी। वापस आकर थर्मन ने अहिंसा की व्याख्या की। 

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