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वाणिज्य मंत्रालय : कृषि उत्पादों का निर्यात बढ़ने से बढ़ी किसानों की आमदनी, 50 बिलियन डॉलर के करीब पहुंचा 

वाणिज्य मंत्रालय : कृषि उत्पादों का निर्यात बढ़ने से बढ़ी किसानों की आमदनी, 50 बिलियन डॉलर के करीब पहुंचा 

सार

अनाज निर्यात में भी भारत ने काफी प्रगति की। सबसे अधिक विदेशी मुद्रा 9.65 बिलियन डॉलर (73,340 करोड़ रुपये) चावल के निर्यात से हुई, जिसमें पिछले वित्त वर्ष 2021-22 के मुकाबले इस बार 9.35% की बढ़त दर्ज हुई। गेहूं निर्यात इस वर्ष 2.2 बिलियन डॉलर (16720 करोड़ रुपये) पहुंच गया। इसके निर्यात में रूस-यूक्रेन युद्ध का असर काफी रहा।

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कोरोना महामारी के बावजूद भारत से कृषि उत्पादों के निर्यात को पंख लगने से किसानों की आमदनी भी बढ़ी है। वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार पिछले वित्तीय वर्ष में निर्यात अब तक के सबसे अधिक 20 प्रतिशत की बढ़त के साथ 50 बिलियन डॉलर (3.8 लाख करोड़) से अधिक पहुंच गया। कृषि उत्पादों को नया बाजार मिलने से इसका सीधा लाभ किसानों को मिल रहा है।

वाणिज्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने आंकड़े साझा करते हुए कहा कि कृषि उत्पादों के बढ़े निर्यात ने किसानों की आमदनी को दोगुना करने के संकल्प में मदद मिल रही है। वर्ष 2021-22 में अनाज, सब्जियों, फल और डेयरी उत्पादों के निर्यात में तेजी आई।

इससे उत्साहित कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) 50 ऐसे कृषि उत्पादों की सूची तैयार करेगा, जिसमे निर्यात की क्षमता है। 2022-23 में और सब्जियों और कृषि उत्पादों को निर्यात की श्रेणी में जोड़ा जाएगा, जिससे किसानों को फायदा मिल सके।  

  • अधिक निर्यात के लिए सरकार ने एपीडा के माध्यम से काफी प्रयास किए। कई देशों में प्रदर्शनी लगाने, नए बाजार तलाशने और भारतीय दूतावासों के माध्यम से मार्केटिंग कैंपेन से यूरोप, दुबई, लंदन के नए बाजार तक उत्पादों को पहुंचाया जा सका।
  • अनाज निर्यात में भी भारत ने काफी प्रगति की। सबसे अधिक विदेशी मुद्रा 9.65 बिलियन डॉलर (73,340 करोड़ रुपये) चावल के निर्यात से हुई, जिसमें पिछले वित्त वर्ष 2021-22 के मुकाबले इस बार 9.35% की बढ़त दर्ज हुई। गेहूं निर्यात इस वर्ष 2.2 बिलियन डॉलर (16720 करोड़ रुपये) पहुंच गया। इसके निर्यात में रूस-यूक्रेन युद्ध का असर काफी रहा। पिछले तीन वर्षों में मक्के का निर्यात छह गुना बढ़ गया है।

डेयरी उत्पादों के निर्यात में भी आई तेजी
डेयरी उत्पादों के निर्यात में भी तेजी रही, वर्ष 2020-21 के 323 मिलियन डॉलर से 96% बढ़ कर इस वर्ष 634 मिलियन डॉलर (4818 करोड़) पहुंच गया, वहीं पॉल्ट्री का निर्यात वर्ष 2021-22 में 71 मिलियन डॉलर (539 करोड़) का हुआ। देश के अलग-अलग हिस्सों में किसानों को मिले लाभ के बारे में वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारी ने बताया, नागपुर के संतरा उत्पादक किसानों को जहां पहले 18 प्रति किलो का भाव मिलता था, उन्हें आज 25 रुपये प्रति किलो मिल रहे हैं। 

  • अनंतपुर जिले के केला उत्पादन किसानों को यूरोप और मध्य पूर्व का बाजार मिलने से जहां पहले 5 रुपये प्रति किलो मिलते थे, अब 11 रुपये प्रति किलो का भाव मिल रहा है। असम के नींबू उत्पादक किसान जो अपने उत्पाद स्थानीय बाजार में बेच देते थे, उन्हें लंदन और दुबई का नया बाजार मिलने से 8 रुपये प्रति किलो की जगह 24 रुपये प्रति किलो मिल रहा है। बाड़मेर जिले के अनार किसानों को बाहर के बाजारों में 50 के बजाए 100 रुपये प्रति किलो मिला है। 

भारत से सबसे अधिक निर्यात वाले देश
बांग्लादेश, यूएई, वियतनाम, अमेरिका, नेपाल, मलयेशिया, सऊदी अरब, इंडोनेशिया, ईरान और मिश्र। 

विस्तार

कोरोना महामारी के बावजूद भारत से कृषि उत्पादों के निर्यात को पंख लगने से किसानों की आमदनी भी बढ़ी है। वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार पिछले वित्तीय वर्ष में निर्यात अब तक के सबसे अधिक 20 प्रतिशत की बढ़त के साथ 50 बिलियन डॉलर (3.8 लाख करोड़) से अधिक पहुंच गया। कृषि उत्पादों को नया बाजार मिलने से इसका सीधा लाभ किसानों को मिल रहा है।

वाणिज्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने आंकड़े साझा करते हुए कहा कि कृषि उत्पादों के बढ़े निर्यात ने किसानों की आमदनी को दोगुना करने के संकल्प में मदद मिल रही है। वर्ष 2021-22 में अनाज, सब्जियों, फल और डेयरी उत्पादों के निर्यात में तेजी आई।

इससे उत्साहित कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) 50 ऐसे कृषि उत्पादों की सूची तैयार करेगा, जिसमे निर्यात की क्षमता है। 2022-23 में और सब्जियों और कृषि उत्पादों को निर्यात की श्रेणी में जोड़ा जाएगा, जिससे किसानों को फायदा मिल सके।  

  • अधिक निर्यात के लिए सरकार ने एपीडा के माध्यम से काफी प्रयास किए। कई देशों में प्रदर्शनी लगाने, नए बाजार तलाशने और भारतीय दूतावासों के माध्यम से मार्केटिंग कैंपेन से यूरोप, दुबई, लंदन के नए बाजार तक उत्पादों को पहुंचाया जा सका।
  • अनाज निर्यात में भी भारत ने काफी प्रगति की। सबसे अधिक विदेशी मुद्रा 9.65 बिलियन डॉलर (73,340 करोड़ रुपये) चावल के निर्यात से हुई, जिसमें पिछले वित्त वर्ष 2021-22 के मुकाबले इस बार 9.35% की बढ़त दर्ज हुई। गेहूं निर्यात इस वर्ष 2.2 बिलियन डॉलर (16720 करोड़ रुपये) पहुंच गया। इसके निर्यात में रूस-यूक्रेन युद्ध का असर काफी रहा। पिछले तीन वर्षों में मक्के का निर्यात छह गुना बढ़ गया है।

डेयरी उत्पादों के निर्यात में भी आई तेजी

डेयरी उत्पादों के निर्यात में भी तेजी रही, वर्ष 2020-21 के 323 मिलियन डॉलर से 96% बढ़ कर इस वर्ष 634 मिलियन डॉलर (4818 करोड़) पहुंच गया, वहीं पॉल्ट्री का निर्यात वर्ष 2021-22 में 71 मिलियन डॉलर (539 करोड़) का हुआ। देश के अलग-अलग हिस्सों में किसानों को मिले लाभ के बारे में वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारी ने बताया, नागपुर के संतरा उत्पादक किसानों को जहां पहले 18 प्रति किलो का भाव मिलता था, उन्हें आज 25 रुपये प्रति किलो मिल रहे हैं। 

  • अनंतपुर जिले के केला उत्पादन किसानों को यूरोप और मध्य पूर्व का बाजार मिलने से जहां पहले 5 रुपये प्रति किलो मिलते थे, अब 11 रुपये प्रति किलो का भाव मिल रहा है। असम के नींबू उत्पादक किसान जो अपने उत्पाद स्थानीय बाजार में बेच देते थे, उन्हें लंदन और दुबई का नया बाजार मिलने से 8 रुपये प्रति किलो की जगह 24 रुपये प्रति किलो मिल रहा है। बाड़मेर जिले के अनार किसानों को बाहर के बाजारों में 50 के बजाए 100 रुपये प्रति किलो मिला है। 

भारत से सबसे अधिक निर्यात वाले देश

बांग्लादेश, यूएई, वियतनाम, अमेरिका, नेपाल, मलयेशिया, सऊदी अरब, इंडोनेशिया, ईरान और मिश्र। 

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