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मानवीय आधार: एचआईवी पीड़ित आरोपी को सुप्रीम कोर्ट ने दी जमानत, रिपोर्ट देखने के बाद लिया फैसला

सार

आरोपी की मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार, रोगी को आराम करने पर गंभीर सांस की तकलीफ होती है और वह बिना सहारे के चलने में असमर्थ है।

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सुप्रीम कोर्ट ने एक एचआईवी पीड़ित आरोपी को मानवीय आधार पर जमानत दे दी। हालांकि एचआईवी पीड़ित आरोपी को कई आपराधिक मामलों में सजा मिली हुई है लेकिन उसकी रिपोर्ट देखने के बाद शीर्ष अदालत ने उसको जमानत दे दी। 

एचआईवी मेडिकल रिपोर्ट देखने के लिए जमानत दे दी
न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और न्यायमूर्ति पामिडीघंटम श्री नरसिम्हा की पीठ ने एक व्यक्ति को उसकी एचआईवी मेडिकल रिपोर्ट देखने के लिए जमानत दे दी। आरोपी की मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार, रोगी को आराम करने पर गंभीर सांस की तकलीफ होती है और वह बिना सहारे के चलने में असमर्थ है।

रोगी को नियमित उपचार की आवश्यकता
वहीं बीमारी के चलते उसे बार-बार संक्रमण होने का खतरा रहता है और रोगी को नियमित उपचार की आवश्यकता है। शीर्ष अदालत ने कहा कि मामले की अजीबोगरीब परिस्थितियों को देखते हुए कि याचिकाकर्ता एचआईवी से पीड़ित है और उस संक्रमण का खतरा बहुत है, वहीं इस अदालत का मानना है कि जमानत देने का मामला बनता है।

शीर्ष अदालत ने संबंधित अदालत को ह्यूमन इम्यूनो डेफिशियेंसी वायरस की धारा 34(2) और एक्वायर्ड इम्यून डेफिसिएंसी सिंड्रोम (रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 2017 के तहत याचिकाकर्ताओं को उनकी अपील के शीघ्र निपटान के लिए विभिन्न शर्तों का लाभ देने का भी निर्देश दिया।

पीड़ित के खिलाफ कई मामले लंबित
कोर्ट ने कहा कि उसके खिलाफ कई मामले लंबित हैं। साथ ही शीर्ष अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालय याचिकाकर्ता की अपील को जल्द से जल्द अपनी सुविधानुसार उसका निपटारा करने के लिए उचित कदम उठाएगा।

विस्तार

सुप्रीम कोर्ट ने एक एचआईवी पीड़ित आरोपी को मानवीय आधार पर जमानत दे दी। हालांकि एचआईवी पीड़ित आरोपी को कई आपराधिक मामलों में सजा मिली हुई है लेकिन उसकी रिपोर्ट देखने के बाद शीर्ष अदालत ने उसको जमानत दे दी। 

एचआईवी मेडिकल रिपोर्ट देखने के लिए जमानत दे दी

न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और न्यायमूर्ति पामिडीघंटम श्री नरसिम्हा की पीठ ने एक व्यक्ति को उसकी एचआईवी मेडिकल रिपोर्ट देखने के लिए जमानत दे दी। आरोपी की मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार, रोगी को आराम करने पर गंभीर सांस की तकलीफ होती है और वह बिना सहारे के चलने में असमर्थ है।

रोगी को नियमित उपचार की आवश्यकता

वहीं बीमारी के चलते उसे बार-बार संक्रमण होने का खतरा रहता है और रोगी को नियमित उपचार की आवश्यकता है। शीर्ष अदालत ने कहा कि मामले की अजीबोगरीब परिस्थितियों को देखते हुए कि याचिकाकर्ता एचआईवी से पीड़ित है और उस संक्रमण का खतरा बहुत है, वहीं इस अदालत का मानना है कि जमानत देने का मामला बनता है।

शीर्ष अदालत ने संबंधित अदालत को ह्यूमन इम्यूनो डेफिशियेंसी वायरस की धारा 34(2) और एक्वायर्ड इम्यून डेफिसिएंसी सिंड्रोम (रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 2017 के तहत याचिकाकर्ताओं को उनकी अपील के शीघ्र निपटान के लिए विभिन्न शर्तों का लाभ देने का भी निर्देश दिया।

पीड़ित के खिलाफ कई मामले लंबित

कोर्ट ने कहा कि उसके खिलाफ कई मामले लंबित हैं। साथ ही शीर्ष अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालय याचिकाकर्ता की अपील को जल्द से जल्द अपनी सुविधानुसार उसका निपटारा करने के लिए उचित कदम उठाएगा।

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