एजेंसी, नई दिल्ली
Published by: देव कश्यप
Updated Fri, 28 Jan 2022 05:38 AM IST
सार
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कहा कि म्यूचुअल फंड कंपनियों को उस वक्त यूनिटधारकों से सहमति लेने की जरूरत होगी, जब ट्रस्टी बहुमत के आधार पर किसी योजना को बंद करने का निर्णय करते हैं।
म्यूचुअल फंड कंपनियां अब यूनिटधारकों की मंजूरी के बिना योजनाएं बंद नहीं कर सकेंगी। बाजार नियामक सेबी ने निवेशकों के हितों की सुरक्षा के लिए म्यूचुअल फंड नियमों को सख्त बना दिया है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने मंगलवार को कहा, म्यूचुअल फंड कंपनियों को उस वक्त यूनिटधारकों से सहमति लेने की जरूरत होगी, जब ट्रस्टी बहुमत के आधार पर किसी योजना को बंद करने का निर्णय करते हैं।
ए नियमों के तहत ट्रस्टीज को प्रति यूनिट एक वोट के आधार पर उपस्थित और मतदान करने वाले यूनिटधारकों के साधारण बहुमत से सहमति प्राप्त करनी होगी। योजना बंद करने की परिस्थिति को लेकर नोटिस के प्रकाशन के 45 दिनों के भीतर मतदान का परिणाम बताना होगा। बाजार नियामक सेबी ने कहा कि ट्रस्टी निर्णय के एक दिन के भीतर नियामक को नोटिस देंगे। इसमें योजना बंद करने की वजह बतानी होगी।
विस्तार
म्यूचुअल फंड कंपनियां अब यूनिटधारकों की मंजूरी के बिना योजनाएं बंद नहीं कर सकेंगी। बाजार नियामक सेबी ने निवेशकों के हितों की सुरक्षा के लिए म्यूचुअल फंड नियमों को सख्त बना दिया है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने मंगलवार को कहा, म्यूचुअल फंड कंपनियों को उस वक्त यूनिटधारकों से सहमति लेने की जरूरत होगी, जब ट्रस्टी बहुमत के आधार पर किसी योजना को बंद करने का निर्णय करते हैं।
ए नियमों के तहत ट्रस्टीज को प्रति यूनिट एक वोट के आधार पर उपस्थित और मतदान करने वाले यूनिटधारकों के साधारण बहुमत से सहमति प्राप्त करनी होगी। योजना बंद करने की परिस्थिति को लेकर नोटिस के प्रकाशन के 45 दिनों के भीतर मतदान का परिणाम बताना होगा। बाजार नियामक सेबी ने कहा कि ट्रस्टी निर्णय के एक दिन के भीतर नियामक को नोटिस देंगे। इसमें योजना बंद करने की वजह बतानी होगी।
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