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सुप्रीम कोर्ट: अंतरिम आदेशों के तहत कर्मचारियों को किया गया तदर्थ भुगतान वेतन का हिस्सा नहीं

पीटीआई, नई दिल्ली।
Published by: देव कश्यप
Updated Fri, 08 Apr 2022 12:02 AM IST

सार

सुप्रीम कोर्ट ने अपीलों को स्वीकार करते हुए उच्च न्यायालयों के आदेशों को रद्द कर दिया, जिसमें कहा गया था कि इस न्यायालय के अंतरिम आदेशों के अनुसार किया गया तदर्थ भुगतान वेतन का हिस्सा होगा।

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सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि अंतरिम आदेशों के तहत किसी कर्मचारी को किया गया तदर्थ भुगतान ग्रेच्युटी की गणना के लिए वेतन का हिस्सा नहीं है।

न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने कहा कि एक पक्ष जिसे अंतरिम आदेश का लाभ मिल रहा है, यदि मामले का अंतिम परिणाम उसके खिलाफ जाता है, तो वह उसका लाभ खोने को बाध्य है।

शीर्ष अदालत इस मुद्दे पर कई अपीलों की एक साथ सुनवाई कर रही थी कि क्या न्यायालय द्वारा पारित अंतरिम आदेशों के अनुसार श्रमिकों को किया गया तदर्थ भुगतान ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 की धारा 2 (एस) के तहत मजदूरी का हिस्सा बन सकता है।

पीठ ने कहा कि जब भी राज्य या उसकी एजेंसियां व्यक्तिगत वादियों को दिए गए छोटे लाभों को चुनौती देने वाली अपील के साथ आते हैं, तो  न्यायालय के लिए यह कसौटी भी होती है कि क्या संबंधित व्यक्ति को दिए गए लाभों की मात्रा, उस व्यक्ति द्वारा वहन की गई लागत पर कानून के प्रश्न की पड़ताल को सही ठहराती है।

न्यायालय ने अपीलों को स्वीकार करते हुए उच्च न्यायालयों के आदेशों को रद्द कर दिया, जिसमें कहा गया था कि इस न्यायालय के अंतरिम आदेशों के अनुसार किया गया तदर्थ भुगतान वेतन का हिस्सा होगा।

हालांकि, पीठ ने कहा कि समय के प्रवाह को ध्यान में रखते हुए और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि कुछ कर्मचारी अब नहीं हैं, ऐसे में यदि किसी प्रतिवादी या उनके परिवारों को पहले ही भुगतान किया जा चुका है, तो हम प्रबंधन को किसी भी तरह की वसूली नहीं करने का निर्देश देते हैं।

विस्तार

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि अंतरिम आदेशों के तहत किसी कर्मचारी को किया गया तदर्थ भुगतान ग्रेच्युटी की गणना के लिए वेतन का हिस्सा नहीं है।

न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने कहा कि एक पक्ष जिसे अंतरिम आदेश का लाभ मिल रहा है, यदि मामले का अंतिम परिणाम उसके खिलाफ जाता है, तो वह उसका लाभ खोने को बाध्य है।

शीर्ष अदालत इस मुद्दे पर कई अपीलों की एक साथ सुनवाई कर रही थी कि क्या न्यायालय द्वारा पारित अंतरिम आदेशों के अनुसार श्रमिकों को किया गया तदर्थ भुगतान ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 की धारा 2 (एस) के तहत मजदूरी का हिस्सा बन सकता है।

पीठ ने कहा कि जब भी राज्य या उसकी एजेंसियां व्यक्तिगत वादियों को दिए गए छोटे लाभों को चुनौती देने वाली अपील के साथ आते हैं, तो  न्यायालय के लिए यह कसौटी भी होती है कि क्या संबंधित व्यक्ति को दिए गए लाभों की मात्रा, उस व्यक्ति द्वारा वहन की गई लागत पर कानून के प्रश्न की पड़ताल को सही ठहराती है।

न्यायालय ने अपीलों को स्वीकार करते हुए उच्च न्यायालयों के आदेशों को रद्द कर दिया, जिसमें कहा गया था कि इस न्यायालय के अंतरिम आदेशों के अनुसार किया गया तदर्थ भुगतान वेतन का हिस्सा होगा।

हालांकि, पीठ ने कहा कि समय के प्रवाह को ध्यान में रखते हुए और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि कुछ कर्मचारी अब नहीं हैं, ऐसे में यदि किसी प्रतिवादी या उनके परिवारों को पहले ही भुगतान किया जा चुका है, तो हम प्रबंधन को किसी भी तरह की वसूली नहीं करने का निर्देश देते हैं।

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