अमर उजाला रिसर्च डेस्क, लंदन।
Published by: योगेश साहू
Updated Wed, 17 Nov 2021 06:31 AM IST
सार
वैज्ञानिकों ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि मध्य और पूर्वी यूरोप में ठोस ईंधन के साथ घरेलू हीटिंग उद्योगों के साथ औद्योगिक क्षेत्रों से निकलने वाले सूक्ष्म दूषित कण बेंजो जिसमें कार्सिनोजेन होता है वो मनुष्यों के लिए घातक साबित हो रहा है।
वायु प्रदूषण (प्रतीकात्मक तस्वीर)
– फोटो : PTI
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विस्तार
ईईए ने रिपोर्ट में कहा है कि सभी यूरोपीय देश विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के वायु गुणवत्ता निर्देशों का पालन करते तो 1.78 लाख मौतों को रोका जा सकता था। वैज्ञानिकों ने रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा है कि वायु प्रदूषण बीमारी और मौत का प्रमुख कारक बनता जा रहा है। दूषित हवा के संपर्क में रहने के कारण मनुष्यों में स्ट्रोक, फेफड़ों से जुड़ी बीमारी और फेफड़ों के कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।
ये स्थिति तब है जब यूरोपीयन यूनियन ने शून्य प्रदूषण एक्शन प्लान के तहत वर्ष 2002 से 2030 के बीच वायु प्रदूषण से होने वाली असामायिक मौतों को 55 फीसदी कम करने का लक्ष्य रखा है। इसके बावजूद मौतों का आंकड़ा समय के साथ बढ़ता जा रहा है।
दूषित कण बेंजो कैंसर का बड़ा कारक
वैज्ञानिकों ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि मध्य और पूर्वी यूरोप में ठोस ईंधन के साथ घरेलू हीटिंग उद्योगों के साथ औद्योगिक क्षेत्रों से निकलने वाले सूक्ष्म दूषित कण बेंजो जिसमें कार्सिनोजेन होता है वो मनुष्यों के लिए घातक साबित हो रहा है। इसी तरह ट्रैफिक के कारण शहरों में नाइट्रोजन डाईऑक्साइड की मात्रा हवा में लंबे समय तक रह रही है। इस कारण शहरी क्षेत्रों में अस्थमा और सांस संबंधी तकलीफ वाले मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इन रोगियों का भविष्य खतरे में पड़ रहा है।
भारत में 1.2 लाख मौतों की वजह दूषित हवा
ग्रीनपीस साउथ ईस्ट एशिया की इस वर्ष आई रिपोर्ट के अनुसार भारत में वर्ष 2020 में 1.20 लाख लोगों की मौत का संबंध वायु प्रदूषण से है। यही नहीं दूषित हवा से अर्थव्यवस्था को भी दो लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। मुंबई में वायु प्रदूषण से 25 हजार लोगों की मौतों को रोका जा सकता था। इसी तरह राजधानी दिल्ली में हवा की गुणवत्ता बेहतर होती तो 12 हजार लोगों की जान बच सकती थी।
दूषित हवा से हृदय और आंख को नुकसान
वैज्ञानिकों का कहना है कि दूषित हवा में मौजूद सूक्ष्म कण गर्मी और सूरज की रोशनी के संपर्क में आने पर रिएक्ट करता है। इससे जमीनी स्तर पर ओजोन की मात्रा बढ़ती है। इसका सीधा नुकसान हृदय, आंखों, नाक और गले को होता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि दूषित हवा के बीच लंबे समय तक रहने के कारण व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित हो सकता है जिसको लेकर सावधान रहना होगा।
भारत में कैंसर की पहचान के लिए इस्राइल ने मिलाया हाथ
इस्राइल ने भारत के एक एनजीओं के साथ महिलाओं में कैंसर का पता लगाने के लिए हाथ मिलाया है। इस्राइल ने राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट और खुशी एनजीओं के साथ हाथ मिलाया है। इसका मकसद भारतीय महिलाओं में कैंसर की समय रहते पहचान करना है जिससे उनका समय पर उपचार शुरू हो सके। भारत में नवनियुक्त इस्राइल के दूत नाओर गिलॉन ने ये जानकारी देते हुए बताया कि इस मिशन के तहत इस्राइल की चार महिला चिकित्सकों की टीम दक्षिणी और उत्तरी दिल्ली के पिछड़े इलाकों में जांच के लिए कैंप करेंगी।
