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ब्रिटेन : 1947 से ही तथ्यों को छिपाकर कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर में धार्मिक उग्रवाद फैला रहा पाकिस्तान

सार

पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में धार्मिक उग्रवाद बढ़ाने के लिए तथ्यों को छिपाकर 1947 से ही झूठी कहानियां फैला रहा है। यह बात ब्रिटेन में रह रहे कश्मीरी राजनीतिक कार्यकर्ता और लेखक डॉ. मिसफार हसन ने एक लेख के माध्यम से बताई है।
 

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पाकिस्तान उसके कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर में धार्मिक उग्रवाद बढ़ाने के लिए तथ्यों को छिपाकर 1947 से ही झूठी कहानियां फैलाता आ रहा है। यह बात ब्रिटेन में रह रहे कश्मीरी राजनीतिक कार्यकर्ता और लेखक डॉ. मिसफार हसन ने एक लेख के माध्यम से उजागर की है।

ब्रिटेन में रह रहे कश्मीरी कार्यकर्ता ने उजागर की सच्चाई
डॉ. हसन का कहना है, 27 अक्तूबर 1947 की घटना एक ऐसा ही ऐतिहासिक तथ्य है, जिस पर पाकिस्तान झूठ फैलाता आया है। दरअसल, 15 अगस्त 1947 को भारत की आजादी के दो माह बाद ही 22 अक्तूबर को पाक कबायलियों ने कश्मीर पर धावा बोला था। उस दौरान उन्होंने सामूहिक लूट और रोंगटे खड़े करने वाली बर्बरता को अंजाम दिया।

तब तत्कालीन महाराज हरिसिंह ने अपने क्षेत्र में शांति के लिए भारत सरकार से समर्थन मांगा था। इसे लेकर 26 अक्तूबर 1947 को कश्मीर के भारत में विलय का समझौता हुआ और अगले ही दिन भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर की जमीन पर कदम रखा था। यह वही दिन था, जब भारतीय सेना ने निहत्थे कश्मीरियों को पाक के कायरतापूर्ण हमले से बचाया था। एजेंसी

प्रवासी कश्मीरी सच्चाई से हैं अनजान
हसन का कहना है, ब्रिटेन में प्रवासी कश्मीरियों को इन ऐतिहासिक तथ्यों के बारे में मालूम ही नहीं है। वे यहां सिर्फ पाकिस्तानी उच्चायुक्त के अधिकारियों की कठपुतली बने हुए हैं। कई ब्रिटिश सांसद पाकिस्तान से लाभ लेकर उसके झूठ को बढ़ावा देने में सहयोग देते हैं जबकि वे जमीनी तथ्यों से बिलकुल अनभिज्ञ हैं।  हाउस ऑफ कॉमंस में पाक के झूठे प्रचार का समर्थन करते हैं। विदेशों में पाक समर्थकों को नहीं मालूम कि वे उसकी सेना के जाल में फंसकर सैंकड़ों निर्दोषों की हत्या के अपराधी बन रहे हैं।

विस्तार

पाकिस्तान उसके कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर में धार्मिक उग्रवाद बढ़ाने के लिए तथ्यों को छिपाकर 1947 से ही झूठी कहानियां फैलाता आ रहा है। यह बात ब्रिटेन में रह रहे कश्मीरी राजनीतिक कार्यकर्ता और लेखक डॉ. मिसफार हसन ने एक लेख के माध्यम से उजागर की है।

ब्रिटेन में रह रहे कश्मीरी कार्यकर्ता ने उजागर की सच्चाई

डॉ. हसन का कहना है, 27 अक्तूबर 1947 की घटना एक ऐसा ही ऐतिहासिक तथ्य है, जिस पर पाकिस्तान झूठ फैलाता आया है। दरअसल, 15 अगस्त 1947 को भारत की आजादी के दो माह बाद ही 22 अक्तूबर को पाक कबायलियों ने कश्मीर पर धावा बोला था। उस दौरान उन्होंने सामूहिक लूट और रोंगटे खड़े करने वाली बर्बरता को अंजाम दिया।

तब तत्कालीन महाराज हरिसिंह ने अपने क्षेत्र में शांति के लिए भारत सरकार से समर्थन मांगा था। इसे लेकर 26 अक्तूबर 1947 को कश्मीर के भारत में विलय का समझौता हुआ और अगले ही दिन भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर की जमीन पर कदम रखा था। यह वही दिन था, जब भारतीय सेना ने निहत्थे कश्मीरियों को पाक के कायरतापूर्ण हमले से बचाया था। एजेंसी

प्रवासी कश्मीरी सच्चाई से हैं अनजान

हसन का कहना है, ब्रिटेन में प्रवासी कश्मीरियों को इन ऐतिहासिक तथ्यों के बारे में मालूम ही नहीं है। वे यहां सिर्फ पाकिस्तानी उच्चायुक्त के अधिकारियों की कठपुतली बने हुए हैं। कई ब्रिटिश सांसद पाकिस्तान से लाभ लेकर उसके झूठ को बढ़ावा देने में सहयोग देते हैं जबकि वे जमीनी तथ्यों से बिलकुल अनभिज्ञ हैं।  हाउस ऑफ कॉमंस में पाक के झूठे प्रचार का समर्थन करते हैं। विदेशों में पाक समर्थकों को नहीं मालूम कि वे उसकी सेना के जाल में फंसकर सैंकड़ों निर्दोषों की हत्या के अपराधी बन रहे हैं।

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