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विशेषज्ञ की राय: बच्चों को स्कूल भेजना चाहिए, उनके कोरोना वायरस से गंभीर संक्रमित होने की आशंका कम

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: गौरव पाण्डेय
Updated Fri, 31 Dec 2021 10:39 PM IST

सार

कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच बच्चों को स्कूल भेजने को लेकर उठे सवालों के बीच प्रख्यात माइक्रोबायोलॉजिस्ट और वायरोलॉजिस्ट डॉ. गगनदीप कांग ने उन्हें स्कूल भेजने की वकालत की है। इसके अलावा उन्होंने टीके की बूस्टर खुराक और ओमिक्रॉन वैरिएंट के बारे में भी बात की।

सांकेतिक तस्वीर
– फोटो : पेक्सेल्स

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देश में कोरोना वायरस के नए और अधिक संक्रामक ओमिक्रॉन वैरिएंट के मामलों में तेजी आने के साथ प्रतिबंधों के दौर की एक बार फिर शुरुआत हो गई है। इस वैरिएंट के चलते जल्द ही देश में कोरोना महामारी की तीसरी लहर आने की आशंका भी जताई जा रही है। ऐसे में एक बड़ा सवाल फिर से उठा है कि इन स्थितियों में बच्चों को स्कूल भेजा जाना चाहिए या नहीं। 

केंद्र सरकार ने निश्चित आयु वर्ग के बच्चों को भी कोरोना रोधी टीका लगाने का फैसला किया है। इसके तहत तीन जनवरी से 15 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों के टीकाकरण की शुरुआत कर दी जाएगी। वहीं, बच्चों को स्कूल भेजने के सवाल पर देश के शीर्ष महामारी विज्ञानियों (वायरोलॉजिस्ट्स) में शुमार डॉ. गगनदीप कांग ने कहा है कि उन्हें स्कूल जाना चाहिए। 

स्कूल में बच्चे जो सीख सकते हैं वह छोटे खतरे से ज्यादा जरूरी
डॉ. कांग ने कहा कि बच्चों को स्कूल भेजने में कोई समस्या नहीं है क्योंकि आम तौर पर उनमें कोरोना वायरस से संक्रमित होने पर गंभीर रूप से बीमार पड़ने की आशंका काफी कम रहती है। उन्होंने कहा, ‘मैं मानती हूं कि हमें बच्चों को स्कूल भेजना चाहिए। कक्षाओं में और बाकी बच्चों के साथ जो वह सीखेंगे वह इस छोटे से खतरे से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।’

कोरोना टीके की बूस्टर डोज को लेकर डॉ. कांग ने कही ये बात
वेल्लोर के क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज के गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल साइंसेज विभाग में प्रोफेसर डॉ. गगनदीप कांग ने कहा कि अच्छी बात यह है कि सामान्यत: बच्चों के कोरोना से गंभीर बीमार होने की आशंका काफी कम है। बूस्टर खुराक को लेकर उन्होंने कहा कि इस बारे में अभी बहुत कम डाटा उपलब्ध है कि देश में किस टीके को बूस्टर खुराक के तौर पर दे सकते हैं।

डेल्टा की तुलना में कम घातक प्रतीत हो रहा ओमिक्रॉन वैरिेएंट
ओमिक्रॉन को लेकर डॉ. कांग ने कहा कि पिछले वैरिएंटों की तुलना में यह कम घातक प्रतीत हो रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए भी हो सकता है कि हमारी आबादी उच्च स्तर से वायरस के संपर्क में आई है या फिर यहां टीकाकरण बड़े स्तर पर किया गया है। उम्मीद है कि ओमिक्रॉन की वजह से स्थिति उतनी गंभीर नहीं होगी जितनी डेल्टा के चलते हो गई थी। 

विस्तार

देश में कोरोना वायरस के नए और अधिक संक्रामक ओमिक्रॉन वैरिएंट के मामलों में तेजी आने के साथ प्रतिबंधों के दौर की एक बार फिर शुरुआत हो गई है। इस वैरिएंट के चलते जल्द ही देश में कोरोना महामारी की तीसरी लहर आने की आशंका भी जताई जा रही है। ऐसे में एक बड़ा सवाल फिर से उठा है कि इन स्थितियों में बच्चों को स्कूल भेजा जाना चाहिए या नहीं। 

केंद्र सरकार ने निश्चित आयु वर्ग के बच्चों को भी कोरोना रोधी टीका लगाने का फैसला किया है। इसके तहत तीन जनवरी से 15 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों के टीकाकरण की शुरुआत कर दी जाएगी। वहीं, बच्चों को स्कूल भेजने के सवाल पर देश के शीर्ष महामारी विज्ञानियों (वायरोलॉजिस्ट्स) में शुमार डॉ. गगनदीप कांग ने कहा है कि उन्हें स्कूल जाना चाहिए। 

स्कूल में बच्चे जो सीख सकते हैं वह छोटे खतरे से ज्यादा जरूरी

डॉ. कांग ने कहा कि बच्चों को स्कूल भेजने में कोई समस्या नहीं है क्योंकि आम तौर पर उनमें कोरोना वायरस से संक्रमित होने पर गंभीर रूप से बीमार पड़ने की आशंका काफी कम रहती है। उन्होंने कहा, ‘मैं मानती हूं कि हमें बच्चों को स्कूल भेजना चाहिए। कक्षाओं में और बाकी बच्चों के साथ जो वह सीखेंगे वह इस छोटे से खतरे से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।’

कोरोना टीके की बूस्टर डोज को लेकर डॉ. कांग ने कही ये बात

वेल्लोर के क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज के गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल साइंसेज विभाग में प्रोफेसर डॉ. गगनदीप कांग ने कहा कि अच्छी बात यह है कि सामान्यत: बच्चों के कोरोना से गंभीर बीमार होने की आशंका काफी कम है। बूस्टर खुराक को लेकर उन्होंने कहा कि इस बारे में अभी बहुत कम डाटा उपलब्ध है कि देश में किस टीके को बूस्टर खुराक के तौर पर दे सकते हैं।

डेल्टा की तुलना में कम घातक प्रतीत हो रहा ओमिक्रॉन वैरिेएंट

ओमिक्रॉन को लेकर डॉ. कांग ने कहा कि पिछले वैरिएंटों की तुलना में यह कम घातक प्रतीत हो रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए भी हो सकता है कि हमारी आबादी उच्च स्तर से वायरस के संपर्क में आई है या फिर यहां टीकाकरण बड़े स्तर पर किया गया है। उम्मीद है कि ओमिक्रॉन की वजह से स्थिति उतनी गंभीर नहीं होगी जितनी डेल्टा के चलते हो गई थी। 

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