डिफॉल्टर का मतलब यह है कि रूस विभिन्न देशों व वैश्विक वित्तीय संस्थाओं से लिया गया कर्ज और उसका ब्याज तय समय पर नहीं चुका पाएगा। इससे कई देशों और संस्थानों का धन फंस या डूब सकता है।
रूस के पास धन पर्याप्त पर पाबंदियों का रोड़ा
विश्लेषकों का कहना है कि रूस के पास कर्ज चुकाने के लिए पर्याप्त धन है, लेकिन अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देशों ने उस पर जो प्रतिबंध लगा दिए हैं। उनकी वजह से वह अपनी रकम का इस्तेमाल करने की स्थिति में नहीं रह गया है। पिछले 24 फरवरी को रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था। उसके बाद से पश्चिमी देशों ने रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं। उनमें रूसी संपत्तियों को जब्त करना और वैश्विक भुगतान के सिस्टम स्विफ्ट से रूसी बैंकों को बाहर करना शामिल है। प्रतिबंध लगाने वाले देशों में अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपियन यूनियन के सदस्य देश शामिल हैं।
एसडीआर का इस्तेमाल करना भी कठिन : आईएमएफ
आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टेलीना जियोर्गिएवा ने अमेरिकी टीवी चैनल ब्लूमबर्ग से कहा कि प्रतिबंधों के कारण रूस के लिए आईएमएफ से विशेष आहरण अधिकार (स्पेशल ड्राइंग राइट्स या एसडीआर) का इस्तेमाल करना भी कठिन हो गया है।
रेटिंग एजेंसियों ने गिराई साख दर
उधर, रेटिंग एजेंसियों ने रूस की कर्ज रेटिंग गिरा दी है। इसे देखते हुए फिच रेटिंग्स ने कहा है कि अब रूस का डिफॉल्टर होना तय है। उसने कहा है कि रूस इसी वर्ष डिफॉल्ट करेगा, इसकी संभावना 71 प्रतिशत है। पांच वर्ष के अंदर वह डिफॉल्ट करेगा, इसकी संभावना 81 प्रतिशत है।
क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप की भी संभावना कम
विशेषज्ञों के मुताबिक रूस के सामने एक रास्ता क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप का है। कर्ज ना चुका पाने वाले देशों ने इस उपाय का इस्तेमाल 2008 के वित्तीय संकट के दौरान बड़े पैमाने पर किया था, लेकिन अभी के मौहाल में रूस इस उपाय के जरिए अपने कर्ज चुका पाएगा, इसको लेकर संदेह जताया जा रहा है। ऐसा तभी संभव है कि जब रूस को रुबल में अपने कर्ज चुकाने का मौका मिले। मगर इस बीच डॉलर की तुलना में रुबल की कीमत इतनी गिर गई है कि कर्जदाता देश और वित्त संस्थान रुबल में कर्ज अदायगी को स्वीकार करेंगे, इसको लेकर संदेह जताया गया है। रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन जरूर एक आदेश पर दस्तखत कर चुके हैं, जिसके तहत रूस सरकार और रूसी कंपनियों को अपने विदेशी कर्ज रुबल में चुकाने को कहा गया है।
सोने का बड़ा भंडार, 630 अरब डॉलर की विदेशी मुद्रा भी
जानकारों के मुताबिक रूस के पास स्वर्ण का बड़ा भंडार है। उसके बाद 630 बिलियन डॉलर की विदेशी मुद्रा भी है, लेकिन प्रतिबंधों के कारण इनमें से ज्यादातर धन विदेशों में फंस गया है। मसलन, अमेरिका ने रूस के 132 बिलियन डॉलर के सोने को जब्त कर लिया है। साथ ही उसने अपने बैंको में जमा रूस की विदेशी मुद्रा के एक बड़े हिस्से को भी फ्रीज कर दिया है।
आईएमएफ का डिफॉल्टर नहीं बना रूस
विश्लेषकों के मुताबिक अभी राहत की बात सिर्फ इतनी है कि आईएमएफ ने रूस को अपना सदस्य बनाए रखने का फैसला किया है। जियोग्रिएवा ने कहा कि रूस ने आईएमएफ की किसी आर्थिक देनदारी का अब तक उल्लंघन नहीं किया है। इसलिए उसकी सदस्यता रद्द करने का कोई आधार नहीं है। जानकारों के मुताबिक आईएमएफ का सदस्य बने रहने पर कर्ज डिफॉल्ट से बचने का रास्ता ढूंढना अभी भी रूस के लिए संभव बना हुआ है।