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यूक्रेन में बमों की बौछार : फूल बेच रही लड़की के इस जज्बे को सलाम, बोली- धमाके नहीं छीन सकते फूलों की खुशबू

सार

यूक्रेन में युद्ध के बीच कई और ऐसी ही कहानियां सामने आ रही हैं। खारकीव से डेनमार्क पहुंची चार सहेलियों के पास कपड़े और भोजन तक नहीं है लेकिन ये अपने साथ वायलिन लाई हैं। अपनी सहेलियों के साथ डेनमार्क के संगीत स्कूल में पहुंची नादिया सफीना ने शांति की तलाश में इस देश को चुना। उसने बताया कि हम सबको सिर्फ संगीत का जुनून है। हम सब में प्रतिभा है और कुछ कर दिखाने का जज्बा है।

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रूसी सेना के हमले के बाद यूक्रेन में 17वें दिन हालात बहुत भयावह हो चुके हैं। हर कोई सुरक्षित ठिकानों की तलाश में देश छोड़ रहा है। यहां सभी तरफ सिर्फ धमाकों की आवाजें हैं, शहर वीरान हैं और हर जगह शव दिखाई दे रहे हैं। इस माहौल में 25 साल की एंजेला कालिसनिक नामक युवती मायकोलेव शहर में ट्यूलिप और गुलाब बेच रही है। वह कहती है कि ये धमाके फूलों से खुशबू नहीं छीन सकते।

एंजेला कालिसनिक का कहना है कि 24 फरवरी को रूसी हमले के एक सप्ताह बाद उसने अपनी दुकान बंद कर ली। लेकिन उसे फिर खोलने का फैसला किया है। एंजेला को नहीं पता था कि युद्ध में उसका शहर भी सुनसान बन जाएगा। उसने कहा, उसने कहा- युद्ध युद्ध है, लेकिन लोग ऐसे मौकों पर भी जीना जारी रखते हैं। कई सैनिकों ने महिला दिवस के दिन भी अपनी गर्लफ्रैंड के लिए फूल खरीदे। 

काला सागर तट से करीब 130 किलोमीटर ओडेसा के रणनीतिक बंदरगाह शहर की सड़क पर स्थित माइकोलैव शहर पर बर्फबारी के साथ रूसी सैनिकों की बमबारी भी जारी है। एंजेला ने कहा, हमारे क्षेत्र में फूल खिलते रहते हैं और हम उन्हें फेंकना नहीं चाहते। यहां कड़कड़ाती ठंड और बमबारी के बीच गिने-चुने लोग ही घर से बाहर निकलते हैं। लेकिन अभी भी कालिसनिक की दुकान के अंदर, रंग-बिरंगे गुलदस्ते दीवार पर लगे हैं।

हर जरूरी सामान छोड़ वायलिन ले डेनमार्क पहुंचीं चार युवतियां
यूक्रेन में युद्ध के बीच कई और ऐसी ही कहानियां सामने आ रही हैं। खारकीव से डेनमार्क पहुंची चार सहेलियों के पास कपड़े और भोजन तक नहीं है लेकिन ये अपने साथ वायलिन लाई हैं। अपनी सहेलियों के साथ डेनमार्क के संगीत स्कूल में पहुंची नादिया सफीना ने शांति की तलाश में इस देश को चुना। उसने बताया कि हम सबको सिर्फ संगीत का जुनून है। हम सब में प्रतिभा है और कुछ कर दिखाने का जज्बा है। 

डेनमार्क स्थित स्केंडिनवायन सेला स्कूल के निदेशक जैकब शॉ ने बताया कि वे नादिया समेत हर कलाकार की मदद को तैयार हैं। नादिया के साथ आने वालों में मीशा, उसकी बहन सेनिया कुशरोवा भी शामिल हैं। 24 फरवरी को जब यूक्रेनी शहर रूसी गोलाबारी से दहल उठे तो वो सभी दहशत में आ गईं।

हर तरफ अफरातफरी का माहौल था। हर कोई भाग रहा था। खारकीव से निकलने के बाद लवीव के रास्ते पौलेंड और फिर डेनमार्क पहुंच गईं। उन्होंने काफी लंबा रास्ता पैदल ही तय किया तो कुछ रास्ता बस कार और ट्रेन से पूरा किया। उनके मुताबिक यहां तक पहुंचना आसान नहीं रहा।

खाद्य आपूर्ति को लेकर फ्रांस चिंतित
रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने यूरोप और अफ्रीका में खाद्य आपूर्ति को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने कहा, युद्ध ने यूरोप को पहले ही अस्थिर कर दिया है और यह 12 से 18 माह में और भी खराब हो सकता है। उधर संयुक्त राष्ट्र ने यूक्रेन में युद्ध से खाद्य कीमतों मं 20 फीसदी वृद्धि की आशंका जताई है। इससे वैश्विक स्तर पर खाद्य और उसकी कीमतों में 8 से 22 फीसदी की वृद्धि हो सकती है। मैक्रों ने कहा कि यदि शरणार्थियों का बोझ बढ़ा तो हालात और भी बदतर हो जाएंगे।

शरणार्थियों को लेकर पड़ोसियों ने खड़े किए हाथ
यूक्रेन से अभी भी बहुत तेजी से पलायन जारी है। इस बीच, वारसॉ और क्राको ने शरणार्थियों को स्वीकार नहीं करने की बात कही है। पिछले दो सप्ताह में करीब एक लाख यूक्रेनी नागरिक क्राको में और दो लाख लोग वारसॉ पहुंच चुके हैं। दरअसल, इन शहरों में खाद्य और आवास संकट खड़ा हो गया है। साथ ही गरीबी और बीमारी के चलते स्वास्थ्य सेवाएं भी ठप्प पड़ गई हैं।

खारकीव शहर के 50 स्कूल नष्ट
रूसी हमलों ने यूक्रेन के कई शहरों को तबाह कर दिया है। इस बीच, रूसी सीमा पर खारकीव प्रांत के गवर्नर ने कहा हे कि रूसी हवाई हमले में एक मनोरोग अस्पताल को नुकसान पहुंचा है। शहर के मेयर ने कहा कि उनके शहर में लगभग 50 स्कूल नष्ट हो गए हैं।

रूसी सीमा पर 12,000 सैनिक भेजे, लेकिन नहीं लड़ रहे तीसरा विश्वयुद्ध : बाइडन
राष्ट्रपति जो बाइडन ने लातविया, एस्टोनिया, लिथुआनिया और रोमानिया जैसे देशों में रूस से सटी सीमा पर अपने 12,000 सैनिक भेजे हैं। हालांकि, उन्होंने जोर देकर कहा कि वह यूक्रेन में तीसरा विश्वयुद्ध लड़ने नहीं जा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी यूक्रेन के खिलाफ छेड़े गए युद्ध में कभी विजयी नहीं होंगे। 

बाइडन ने हाउस डेमोक्रेटिक कॉकस के सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा कि अमेरिका भले ही यूक्रेन में तीसरा विश्वयुद्ध नहीं लड़ने जा रहा, लेकिन वह नाटो के दायरे में आने वाली हर इंच जमीन की रक्षा करेगा। उत्तर एटलांटिक संधि क्षेत्र (नाटो) 30 उत्तर अमेरिकी और यूरोपीय देशों का एक सैन्य समूह है। 

बाइडन ने कहा कि रूसी आक्रमण से निपटने में यूक्रेनी लोगों ने जबरदस्त बहादुरी व साहस दिखाया है, लेकिन अमेरिका द्वारा प्रदान की जाने वाली सुरक्षा सहायता उनके बचाव में अहम रही है। बाइडन बोले- जिस तरह हम यूक्रेन का समर्थन कर रहे हैं, उसी तरह हम यूरोप में अपने सहयोगियों के साथ खड़े रहना जारी रखेंगे।

उन्होंने कहा, इसीलिए मैंने लातविया, एस्टोनिया, लिथुआनिया और रोमानिया सहित कुछ अन्य देशों में रूस से सटी सीमा पर 12,000 अमेरिकी सैनिक भेजे हैं। यदि हमने जवाबी कार्रवाई की तो तीसरा विश्वयुद्ध निश्चित है। उन्होंने कहा, भले ही नाटो क्षेत्र की रक्षा का पवित्र दायित्व हम पर है, लेकिन हम यूक्रेन में तीसरा युद्ध नहीं लड़ेंगे।

विस्तार

रूसी सेना के हमले के बाद यूक्रेन में 17वें दिन हालात बहुत भयावह हो चुके हैं। हर कोई सुरक्षित ठिकानों की तलाश में देश छोड़ रहा है। यहां सभी तरफ सिर्फ धमाकों की आवाजें हैं, शहर वीरान हैं और हर जगह शव दिखाई दे रहे हैं। इस माहौल में 25 साल की एंजेला कालिसनिक नामक युवती मायकोलेव शहर में ट्यूलिप और गुलाब बेच रही है। वह कहती है कि ये धमाके फूलों से खुशबू नहीं छीन सकते।

एंजेला कालिसनिक का कहना है कि 24 फरवरी को रूसी हमले के एक सप्ताह बाद उसने अपनी दुकान बंद कर ली। लेकिन उसे फिर खोलने का फैसला किया है। एंजेला को नहीं पता था कि युद्ध में उसका शहर भी सुनसान बन जाएगा। उसने कहा, उसने कहा- युद्ध युद्ध है, लेकिन लोग ऐसे मौकों पर भी जीना जारी रखते हैं। कई सैनिकों ने महिला दिवस के दिन भी अपनी गर्लफ्रैंड के लिए फूल खरीदे। 

काला सागर तट से करीब 130 किलोमीटर ओडेसा के रणनीतिक बंदरगाह शहर की सड़क पर स्थित माइकोलैव शहर पर बर्फबारी के साथ रूसी सैनिकों की बमबारी भी जारी है। एंजेला ने कहा, हमारे क्षेत्र में फूल खिलते रहते हैं और हम उन्हें फेंकना नहीं चाहते। यहां कड़कड़ाती ठंड और बमबारी के बीच गिने-चुने लोग ही घर से बाहर निकलते हैं। लेकिन अभी भी कालिसनिक की दुकान के अंदर, रंग-बिरंगे गुलदस्ते दीवार पर लगे हैं।

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