वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वाशिंगटन
Published by: प्रांजुल श्रीवास्तव
Updated Wed, 16 Mar 2022 10:31 AM IST
सार
अमेरिका ने कहा कि, हमें यह याद रखना होगा जब आज के समय की इतिहास की किताबें लिखी जाएंगी, तब आप किधर खड़े थे। भारत की जिम्मेदारी है कि वह सुनिश्चित करे कि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से वह पुतिन और उनके आक्रमण का समर्थन नहीं करता।
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विस्तार
रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच लगे प्रतिबंधों के बाद रूस की ओर से भारत को रियायती दरों पर कच्चे तेल की पेशकश की गई है। भारत इस प्रस्ताव पर अभी विचार ही कर रहा है, लेकिन इससे पहले ही भारत के रुख पर दुनिया की नजरें जम गई हैं। अमेरिका का कहना है कि अगर, भारत इस प्रस्ताव को स्वीकार करता है, तो यह अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन नहीं होगा। हालांकि, यह सौदा भारत को गलत पक्ष में जरूर खड़ा कर देगा।
इतिहास देखेगा तब आप कहां खड़े थे
व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जेन साकी ने कहा कि, मुझे नहीं लगता इस सौदे से अमेरिकी प्रतिबंधों का कोई उल्लंघ होगा। लेकिन, हमें यह याद रखना होगा जब आज के समय की इतिहास की किताबें लिखी जाएंगी, तब आप किधर खड़े थे। साकी ने कहा कि, किसी भी देश के लिए हमारा संदेश यह है कि उन प्रतिबंधों का पालन करें जिनकी हमने सिफारिश की है।
भारत सुनिश्चित करे कि वह रूस के आक्रमण का समर्थन न करे
भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद डॉ. अमी बेरा ने भी उन रिपोर्ट पर निराशा जताई है, जिनमें कहा गया है कि भारत भारी छूट वाले रूसी प्रस्ताव पर विचार कर रहा है। बेरा ने कहा कि इतिहास देखेगा कि यूक्रेन पर आक्रमण के विरोध में दुनिया उसके समर्थन में खड़ी थी, तब आपने रूस के साथ रहना पसंद किया। उन्होंने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और क्वाड नेता के रूप में भारत की जिम्मेदारी है कि वह सुनिश्चित करे कि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से वह पुतिन और उनके आक्रमण का समर्थन नहीं करता।