एजेंसी, नई दिल्ली
Published by: देव कश्यप
Updated Tue, 16 Nov 2021 07:31 AM IST
सार
एसीसी बैटरी का इस्तेमाल विद्युत ऊर्जा के स्टोरेज में किया जाता है। भारत अभी पूरी तरह आयात पर निर्भर है। पीएलआई योजना के तहत घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार ने 18,100 करोड़ रुपये की मदद का एलान किया है।
एसीसी बैटरी (सांकेतिक तस्वीर)
– फोटो : सोशल मीडिया
एडवांस कैमिस्ट्री सेल (एसीसी) बैटरी की उत्पादन इकाई लगाने के लिए 20 कंपनियां बोली लगा सकती हैं। भारी उद्योग मंत्रालय ने सोमवार को बताया कि उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत इकाई लगाने को इच्छुक कंपनियों के लिए पिछले सप्ताह बोली पूर्व बैठक का आयोजन किया गया। इसमें 20 कंपनियों के 100 प्रतिनिधि शामिल हुए।
एसीसी बैटरी का इस्तेमाल विद्युत ऊर्जा के स्टोरेज में किया जाता है। भारत अभी पूरी तरह आयात पर निर्भर है। पीएलआई योजना के तहत घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार ने 18,100 करोड़ रुपये की मदद का ऐलान किया है। भारी उद्योग मंत्रालय ने 22 अक्तूबर को एसीसी बैटरी की कुल 50 गीगावाट घंटे की उत्पादन क्षमता के लिए कंपनियों से बोलियां मांगी थी। नोटिफिकेशन के मुताबिक, पारंपरिक बैटरी सेल का उत्पादन करने वाली कंपनियों को प्रोत्साहन नहीं मिलेगा।
जरूरत पर इस्तेमाल हो सकेगी विद्युत ऊर्जा
एसीसी बैटरी के जरिये विद्युत ऊर्जा को विद्युत रसायन अथवा रसायन ऊर्जा के रूप में इसमें संग्रहित किया जा सकेगा और जरूरत के समय इसे दोबारा विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित कर इस्तेमाल किया जा सकेगा। हर कंपनी को सालाना 20 गीगावाट घंटे की उत्पादन क्षमता दिखानी होगी, तभी उसे पीएलआई योजना के तहत प्रोत्साहन राशि का लाभ दिया जाएगा।
विस्तार
एडवांस कैमिस्ट्री सेल (एसीसी) बैटरी की उत्पादन इकाई लगाने के लिए 20 कंपनियां बोली लगा सकती हैं। भारी उद्योग मंत्रालय ने सोमवार को बताया कि उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत इकाई लगाने को इच्छुक कंपनियों के लिए पिछले सप्ताह बोली पूर्व बैठक का आयोजन किया गया। इसमें 20 कंपनियों के 100 प्रतिनिधि शामिल हुए।
एसीसी बैटरी का इस्तेमाल विद्युत ऊर्जा के स्टोरेज में किया जाता है। भारत अभी पूरी तरह आयात पर निर्भर है। पीएलआई योजना के तहत घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार ने 18,100 करोड़ रुपये की मदद का ऐलान किया है। भारी उद्योग मंत्रालय ने 22 अक्तूबर को एसीसी बैटरी की कुल 50 गीगावाट घंटे की उत्पादन क्षमता के लिए कंपनियों से बोलियां मांगी थी। नोटिफिकेशन के मुताबिक, पारंपरिक बैटरी सेल का उत्पादन करने वाली कंपनियों को प्रोत्साहन नहीं मिलेगा।
जरूरत पर इस्तेमाल हो सकेगी विद्युत ऊर्जा
एसीसी बैटरी के जरिये विद्युत ऊर्जा को विद्युत रसायन अथवा रसायन ऊर्जा के रूप में इसमें संग्रहित किया जा सकेगा और जरूरत के समय इसे दोबारा विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित कर इस्तेमाल किया जा सकेगा। हर कंपनी को सालाना 20 गीगावाट घंटे की उत्पादन क्षमता दिखानी होगी, तभी उसे पीएलआई योजना के तहत प्रोत्साहन राशि का लाभ दिया जाएगा।
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