एजेंसी, नई दिल्ली
Published by: देव कश्यप
Updated Tue, 16 Nov 2021 03:55 AM IST
सार
क्रिप्टो करेंसी के जरिये दुनियाभर में संपत्ति बनाने में बढ़ती रुचि के साथ विभिन्न क्षेत्रों से जताई जा रही चिंता और उसके संभावित खतरों को देखते हुए इस पर संसदीय समिति की बैठक बुलाई गई थी। फिलहाल भारत में क्रिप्टो करेंसी पर न कोई खास नियम है और न ही इसके इस्तेमाल पर प्रतिबंध।
डिजिटल गोल्ड और क्रिप्टो
– फोटो : istock
भाजपा नेता जयंत सिन्हा की अध्यक्षता में सोमवार को एक संसदीय समिति ने देश में क्रिप्टो करेंसी में लेनदेन के नफा-नुकसान पर चर्चा की। सूत्रों के मुताबिक समिति के कई सदस्यों और अन्य हितधारकों ने इस डिजिटल करेंसी पर एकतरफा प्रतिबंध लगाने के बजाय इसके नियमन पर जोर दिया।
दरअसल क्रिप्टो करेंसी के जरिये दुनियाभर में संपत्ति बनाने में बढ़ती रुचि के साथ विभिन्न क्षेत्रों से जताई जा रही चिंता और उसके संभावित खतरों को देखते हुए इस पर संसदीय समिति की बैठक बुलाई गई थी। फिलहाल भारत में क्रिप्टो करेंसी पर न कोई खास नियम है और न ही इसके इस्तेमाल पर प्रतिबंध। बैठक में क्रिप्टो एक्सचेंज, ब्लॉक चेन और क्रिप्टो एसेट्स काउंसिल (बीएसीसी) के प्रतिनिधि, उद्योगों से जुड़े लोग, शिक्षाविद और अन्य हितधारकों ने समिति के सामने अपने विचार रखे।
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी विभिन्न मंत्रालयों और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारियों के साथ इस मुद्दे पर बैठक कर चुके हैं। आर्थिक मामलों की संसदीय स्थायी समिति द्वारा इस मुद्दे पर यह पहली बैठक है। इस समिति के अध्यक्ष जयंत सिन्हा मोदी सरकार में पहले वित्त राज्यमंत्री रह चुके हैं। उल्लेखनीय है कि 4 मार्च, 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने आरबीआई के 6 अप्रैल, 2018 के उस सर्कुलर को खारिज कर दिया था, जिसमें बैंकों और अन्य संस्थानों को क्रिप्टो करेंसगी संबंधी सेवाओं पर प्रतिबंध लगाने को कहा गया था।
कुछ सदस्यों ने इसके आतंकी गतिविधियों में इस्तेमाल पर चिंता जताई
सूत्रों के मुताबिक, समिति में शामिल कुछ कांग्रेस सदस्यों ने कहा कि क्रिप्टो करेंसी पर प्रतिबंध लगाने में कई अहम चुनौतियां हैं। कुल मिलाकर समिति का व्यापक मत था कि क्रिप्टो करेंसी पर नियमन के साथ चला जाए। समिति के कुछ सदस्यों ने इस पर हैरानी जताई कि इस आभासी मुद्रा का नियमन कैसे किया जा सकता है, जबकि इंटरनेट का ही नियमन करना कठिन है। कुछ सदस्यों ने इस मुद्रा के आतंकी गतिविधियों में इस्तेमाल होने पर भी चिंता जताई।
विस्तार
भाजपा नेता जयंत सिन्हा की अध्यक्षता में सोमवार को एक संसदीय समिति ने देश में क्रिप्टो करेंसी में लेनदेन के नफा-नुकसान पर चर्चा की। सूत्रों के मुताबिक समिति के कई सदस्यों और अन्य हितधारकों ने इस डिजिटल करेंसी पर एकतरफा प्रतिबंध लगाने के बजाय इसके नियमन पर जोर दिया।
दरअसल क्रिप्टो करेंसी के जरिये दुनियाभर में संपत्ति बनाने में बढ़ती रुचि के साथ विभिन्न क्षेत्रों से जताई जा रही चिंता और उसके संभावित खतरों को देखते हुए इस पर संसदीय समिति की बैठक बुलाई गई थी। फिलहाल भारत में क्रिप्टो करेंसी पर न कोई खास नियम है और न ही इसके इस्तेमाल पर प्रतिबंध। बैठक में क्रिप्टो एक्सचेंज, ब्लॉक चेन और क्रिप्टो एसेट्स काउंसिल (बीएसीसी) के प्रतिनिधि, उद्योगों से जुड़े लोग, शिक्षाविद और अन्य हितधारकों ने समिति के सामने अपने विचार रखे।
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी विभिन्न मंत्रालयों और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारियों के साथ इस मुद्दे पर बैठक कर चुके हैं। आर्थिक मामलों की संसदीय स्थायी समिति द्वारा इस मुद्दे पर यह पहली बैठक है। इस समिति के अध्यक्ष जयंत सिन्हा मोदी सरकार में पहले वित्त राज्यमंत्री रह चुके हैं। उल्लेखनीय है कि 4 मार्च, 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने आरबीआई के 6 अप्रैल, 2018 के उस सर्कुलर को खारिज कर दिया था, जिसमें बैंकों और अन्य संस्थानों को क्रिप्टो करेंसगी संबंधी सेवाओं पर प्रतिबंध लगाने को कहा गया था।
कुछ सदस्यों ने इसके आतंकी गतिविधियों में इस्तेमाल पर चिंता जताई
सूत्रों के मुताबिक, समिति में शामिल कुछ कांग्रेस सदस्यों ने कहा कि क्रिप्टो करेंसी पर प्रतिबंध लगाने में कई अहम चुनौतियां हैं। कुल मिलाकर समिति का व्यापक मत था कि क्रिप्टो करेंसी पर नियमन के साथ चला जाए। समिति के कुछ सदस्यों ने इस पर हैरानी जताई कि इस आभासी मुद्रा का नियमन कैसे किया जा सकता है, जबकि इंटरनेट का ही नियमन करना कठिन है। कुछ सदस्यों ने इस मुद्रा के आतंकी गतिविधियों में इस्तेमाल होने पर भी चिंता जताई।
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