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केरल: पलक्कड़ में आरएसएस नेता की हत्या के मामले में पीएफआई-एसडीपीआई के चार कार्यकर्ता गिरफ्तार

सार

एडीजीपी (कानून-व्यवस्था) विजय सखारे ने बताया कि गिरफ्तार किए गए चारों लोग घटनास्थल पर मौजूद थे, लेकिन 16 अप्रैल को आरएसएस नेता एसके श्रीनिवासन (45) पर हुए हमले में सीधे तौर पर शामिल नहीं हैं। 

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केरल के पलक्कड़ जिले में 16 अप्रैल को आरएसएस के एक नेता की हत्या के आरोप में गुरुवार को पुलिस ने पीएफआई-एसडीपीआई के चार कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया। इससे पहले 15 अप्रैल को पीएफआई के एक नेता की हत्या करने के आरोप में मंगलवार को आरएसएस के तीन कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था।

एडीजीपी (कानून-व्यवस्था) विजय सखारे ने बताया कि गिरफ्तार किए गए चारों लोग घटनास्थल पर मौजूद थे, लेकिन 16 अप्रैल को आरएसएस नेता एसके श्रीनिवासन (45) पर हुए हमले में सीधे तौर पर शामिल नहीं हैं। साथ ही, उन्होंने पुष्टि की कि चारों पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और उसकी राजनीतिक शाखा- सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) के कार्यकर्ता हैं।

वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि चारों ने पूछताछ के बाद अपनी भूमिका का खुलासा किया। उन्होंने कहा कि पुलिस को आरएसएस नेता की हत्या में शामिल सभी आरोपियों, साजिशकर्ताओं और उनके सहयोगियों के बारे में पता चल चुका है। सखारे ने कहा, “हम इस घटना में शामिल 14-15 लोगों के बारे में जानते हैं और जांच आगे बढ़ने पर इनकी संख्या बढ़ने की उम्मीद है, और गिरफ्तारियां भी ज्यादा होंगी।”

बता दें कि पुलिस ने मंगलवार को आरएसएस के तीन कार्यकर्ताओं रमेश, अरुमुघन और सरवनन को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने कहा कि तीनों आरएसएस नेता संजीत के दोस्त थे, जिसकी पिछले साल नवंबर में यहां हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने कहा कि उसका मानना है कि 15 अप्रैल को पीएफआई नेता सुबैर (43) की हत्या संजीत की मौत का बदला लेने के लिए की गई थी और हत्या की योजना उसके करीबी दोस्त रमेश ने बनाई थी, जो पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए तीन आरोपियों में से एक है।

एडीजीपी ने कहा कि इनमें से रमेश संजीत का बहुत करीबी दोस्त था। रमेश के अनुसार संजीत ने उससे कहा था कि अगर उसे कभी कुछ हुआ तो उसके लिए सुबैर जिम्मेदार होगा। वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि संजीत की हत्या की जांच के दौरान सुबैर की संलिप्तता का खुलासा नहीं हुआ था। इसलिए, संजीत की हत्या के बाद रमेश ने कथित तौर पर पीएफआई नेता की हत्या की योजना बनानी शुरू कर दी और तीनों ने उसे एक-दो बार मारने की कोशिश की, लेकिन इलाके में पुलिस की मौजूदगी के कारण वे ऐसा नहीं कर सके। अधिकारी ने कहा कि 15 अप्रैल को वे फिर आए और हत्या को अंजाम दिया।

इससे पहले सखारे ने सोमवार को कहा था कि दोनों मामलों में अब तक पहचाने गए दोषियों में पीएफआई-एसडीपीआई और भाजपा-आरएसएस दोनों के सदस्य या कार्यकर्ता शामिल हैं। 

आरएसएस के पूर्व जिला नेता और पदाधिकारी श्रीनिवासन पर शनिवार को मेलमुरी में उनकी मोटरसाइकिल की दुकान पर छह सदस्यीय गिरोह ने हमला किया था। इससे महज 24 घंटे पहले शुक्रवार को दोपहर के जुमे की नमाज पढ़कर अपने पिता के साथ घर लौट रहे सुबैर की जिले के इलापुल्ली में हत्या कर दी गई थी।

केरल में पिछले कुछ महीनों में भाजपा/आरएसएस और एसडीपीआई/पीएफआई से जुड़े लोगों की एक के बाद एक हत्याओं की इस तरह की यह दूसरी घटना है। पिछले साल दिसंबर में अलाप्पुझा में 24 घंटे के भीतर एसडीपीआई के एक नेता और भाजपा के एक नेता की हत्या कर दी गई थी।

विस्तार

केरल के पलक्कड़ जिले में 16 अप्रैल को आरएसएस के एक नेता की हत्या के आरोप में गुरुवार को पुलिस ने पीएफआई-एसडीपीआई के चार कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया। इससे पहले 15 अप्रैल को पीएफआई के एक नेता की हत्या करने के आरोप में मंगलवार को आरएसएस के तीन कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था।

एडीजीपी (कानून-व्यवस्था) विजय सखारे ने बताया कि गिरफ्तार किए गए चारों लोग घटनास्थल पर मौजूद थे, लेकिन 16 अप्रैल को आरएसएस नेता एसके श्रीनिवासन (45) पर हुए हमले में सीधे तौर पर शामिल नहीं हैं। साथ ही, उन्होंने पुष्टि की कि चारों पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और उसकी राजनीतिक शाखा- सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) के कार्यकर्ता हैं।

वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि चारों ने पूछताछ के बाद अपनी भूमिका का खुलासा किया। उन्होंने कहा कि पुलिस को आरएसएस नेता की हत्या में शामिल सभी आरोपियों, साजिशकर्ताओं और उनके सहयोगियों के बारे में पता चल चुका है। सखारे ने कहा, “हम इस घटना में शामिल 14-15 लोगों के बारे में जानते हैं और जांच आगे बढ़ने पर इनकी संख्या बढ़ने की उम्मीद है, और गिरफ्तारियां भी ज्यादा होंगी।”


बता दें कि पुलिस ने मंगलवार को आरएसएस के तीन कार्यकर्ताओं रमेश, अरुमुघन और सरवनन को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने कहा कि तीनों आरएसएस नेता संजीत के दोस्त थे, जिसकी पिछले साल नवंबर में यहां हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने कहा कि उसका मानना है कि 15 अप्रैल को पीएफआई नेता सुबैर (43) की हत्या संजीत की मौत का बदला लेने के लिए की गई थी और हत्या की योजना उसके करीबी दोस्त रमेश ने बनाई थी, जो पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए तीन आरोपियों में से एक है।

एडीजीपी ने कहा कि इनमें से रमेश संजीत का बहुत करीबी दोस्त था। रमेश के अनुसार संजीत ने उससे कहा था कि अगर उसे कभी कुछ हुआ तो उसके लिए सुबैर जिम्मेदार होगा। वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि संजीत की हत्या की जांच के दौरान सुबैर की संलिप्तता का खुलासा नहीं हुआ था। इसलिए, संजीत की हत्या के बाद रमेश ने कथित तौर पर पीएफआई नेता की हत्या की योजना बनानी शुरू कर दी और तीनों ने उसे एक-दो बार मारने की कोशिश की, लेकिन इलाके में पुलिस की मौजूदगी के कारण वे ऐसा नहीं कर सके। अधिकारी ने कहा कि 15 अप्रैल को वे फिर आए और हत्या को अंजाम दिया।

इससे पहले सखारे ने सोमवार को कहा था कि दोनों मामलों में अब तक पहचाने गए दोषियों में पीएफआई-एसडीपीआई और भाजपा-आरएसएस दोनों के सदस्य या कार्यकर्ता शामिल हैं। 

आरएसएस के पूर्व जिला नेता और पदाधिकारी श्रीनिवासन पर शनिवार को मेलमुरी में उनकी मोटरसाइकिल की दुकान पर छह सदस्यीय गिरोह ने हमला किया था। इससे महज 24 घंटे पहले शुक्रवार को दोपहर के जुमे की नमाज पढ़कर अपने पिता के साथ घर लौट रहे सुबैर की जिले के इलापुल्ली में हत्या कर दी गई थी।

केरल में पिछले कुछ महीनों में भाजपा/आरएसएस और एसडीपीआई/पीएफआई से जुड़े लोगों की एक के बाद एक हत्याओं की इस तरह की यह दूसरी घटना है। पिछले साल दिसंबर में अलाप्पुझा में 24 घंटे के भीतर एसडीपीआई के एक नेता और भाजपा के एक नेता की हत्या कर दी गई थी।

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