वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, इस्लामाबाद
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Wed, 09 Feb 2022 07:15 PM IST
सार
विश्लेषकों का कहना है कि सहयोग के तहत अगर चीन पाकिस्तान को और अधिक मात्रा में हथियारों की सप्लाई करता है, तो उसका असर दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन पर पड़ेगा। उससे इस क्षेत्र में हथियारों की होड़ और तेज हो सकती है…
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की चीन यात्रा का नतीजा यह रहा कि अब पाकिस्तान पूरी तरह से चीन के पाले में चला गया है। बीजिंग में चार दिन तक हुई मुलाकातों और वार्ताओं से इमरान खान पाकिस्तान के लिए पर्याप्त मात्रा में निवेश के वादे बटोरने में कामयाब रहे। इसके एवज में उन्होंने हर विवादित मुद्दे पर चीन के रुख का दो टूक समर्थन किया। रविवार को बीजिंग से रवाना होने के पहले एक बयान में उन्होंने यह भी साफ-साफ कहा कि पाकिस्तान-चीन संबंध ‘पाकिस्तान की विदेश नीति की आधारशिला’ बन गया है।
पाकिस्तानी पर्यवेक्षकों का कहना है कि इमरान खान की यात्रा के दौरान दोनों देशों ने एक दूसरे के बुनियादी हितों का खुलेआम समर्थन किया। इससे दोनों देशों के संबंध और मजबूत होंगे। रविवार को इमरान खान की चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात हुई। उसके पहले चीन के प्रधानमंत्री ली किचियांग से उनकी लंबी बातचीत हुई थी।
शिनजियांग मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन
शी से बातचीत के बाद जारी साझा बयान में पाकिस्तान ने ‘एक चीन नीति के प्रति अपनी वचनबद्धता’ दोहराई। इसका अर्थ है कि पाकिस्तान ने ताइवान के मुद्दे पर चीन के रुख को पूरी तरह से समर्थन दिया है। साझा बयान में यह साफ कहा गया है कि ताइवान, दक्षिण चीन सागर, हांगकांग, शिनजियांग, और तिब्बत के मुद्दों पर पाकिस्तान चीन का पूरा समर्थन करता है। इनमें शिनजियांग मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन अहम है। आरोप है कि शिनजियांग में चीन मुस्लिम उइघुर समुदाय का दमन कर रहा है। इसीलिए एक मुस्लिम देश के चीन को इतना दो टूक समर्थन देने को महत्त्वपूर्ण समझा गया है।
पाकिस्तानी विश्लेषकों के मुताबिक इमरान खान की ताजा यात्रा से दोनों देशों के आपसी सहयोग की स्थिति की समीक्षा करने का मौका मिला। इस दौरान दोनों देशों ने अपने रक्षा सहयोग की रफ्तार तेज करने का इरादा जताया। साझा बयान में कहा गया- ‘दोनों देशों ने आपस में अधिक मजबूत रक्षा और सुरक्षा सहयोग के महत्त्व पर जोर दिया। उन्होंने इस सहयोग को इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए महत्त्वपूर्ण पहलू माना है।’
दक्षिण एशिया के शक्ति संतुलन पर असर
विश्लेषकों का कहना है कि ये पहलू अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लिहाज से महत्त्वपूर्ण है। इस सहयोग के तहत अगर चीन पाकिस्तान को और अधिक मात्रा में हथियारों की सप्लाई करता है, तो उसका असर दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन पर पड़ेगा। उससे इस क्षेत्र में हथियारों की होड़ और तेज हो सकती है। दोनों देशों ने कश्मीर जैसे भारत के आंतरिक मुद्दे पर भी साझा बयान में टिप्पणी की। उसे भी इस क्षेत्र में तनाव बढ़ाने वाले एक कारण के रूप में देखा गया है।
इमरान खान के बीजिंग में रहते हुए ही ये एलान हुआ कि वे जल्द ही रूस की यात्रा पर जाएंगे। दो दशक के अंदर रूस यात्रा करने वाले वे पहले पाकिस्तानी प्रधानमंत्री होंगे। बीजिंग में चल रहे विंटर ओलिंपिक खेलों के उद्घाटन समारोह में भाग लेने जो नेता वहां गए थे, उनमें रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी हैं। उनकी वहां हुई वार्ताओँ से रूस और चीन के बीच एक नई सैन्य धुरी बनने के संकेत मिले हैं। पर्यवेक्षकों ने इमरान खान की प्रस्तावित मास्को यात्रा को उसी सिलसिले में देखा है। इसे इस बात का संकेत समझा गया है कि पाकिस्तान चीन-रूस की धुरी का हिस्सा बनने जा रहा है।
विस्तार
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की चीन यात्रा का नतीजा यह रहा कि अब पाकिस्तान पूरी तरह से चीन के पाले में चला गया है। बीजिंग में चार दिन तक हुई मुलाकातों और वार्ताओं से इमरान खान पाकिस्तान के लिए पर्याप्त मात्रा में निवेश के वादे बटोरने में कामयाब रहे। इसके एवज में उन्होंने हर विवादित मुद्दे पर चीन के रुख का दो टूक समर्थन किया। रविवार को बीजिंग से रवाना होने के पहले एक बयान में उन्होंने यह भी साफ-साफ कहा कि पाकिस्तान-चीन संबंध ‘पाकिस्तान की विदेश नीति की आधारशिला’ बन गया है।
पाकिस्तानी पर्यवेक्षकों का कहना है कि इमरान खान की यात्रा के दौरान दोनों देशों ने एक दूसरे के बुनियादी हितों का खुलेआम समर्थन किया। इससे दोनों देशों के संबंध और मजबूत होंगे। रविवार को इमरान खान की चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात हुई। उसके पहले चीन के प्रधानमंत्री ली किचियांग से उनकी लंबी बातचीत हुई थी।
शिनजियांग मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन
शी से बातचीत के बाद जारी साझा बयान में पाकिस्तान ने ‘एक चीन नीति के प्रति अपनी वचनबद्धता’ दोहराई। इसका अर्थ है कि पाकिस्तान ने ताइवान के मुद्दे पर चीन के रुख को पूरी तरह से समर्थन दिया है। साझा बयान में यह साफ कहा गया है कि ताइवान, दक्षिण चीन सागर, हांगकांग, शिनजियांग, और तिब्बत के मुद्दों पर पाकिस्तान चीन का पूरा समर्थन करता है। इनमें शिनजियांग मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन अहम है। आरोप है कि शिनजियांग में चीन मुस्लिम उइघुर समुदाय का दमन कर रहा है। इसीलिए एक मुस्लिम देश के चीन को इतना दो टूक समर्थन देने को महत्त्वपूर्ण समझा गया है।
पाकिस्तानी विश्लेषकों के मुताबिक इमरान खान की ताजा यात्रा से दोनों देशों के आपसी सहयोग की स्थिति की समीक्षा करने का मौका मिला। इस दौरान दोनों देशों ने अपने रक्षा सहयोग की रफ्तार तेज करने का इरादा जताया। साझा बयान में कहा गया- ‘दोनों देशों ने आपस में अधिक मजबूत रक्षा और सुरक्षा सहयोग के महत्त्व पर जोर दिया। उन्होंने इस सहयोग को इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए महत्त्वपूर्ण पहलू माना है।’
दक्षिण एशिया के शक्ति संतुलन पर असर
विश्लेषकों का कहना है कि ये पहलू अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लिहाज से महत्त्वपूर्ण है। इस सहयोग के तहत अगर चीन पाकिस्तान को और अधिक मात्रा में हथियारों की सप्लाई करता है, तो उसका असर दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन पर पड़ेगा। उससे इस क्षेत्र में हथियारों की होड़ और तेज हो सकती है। दोनों देशों ने कश्मीर जैसे भारत के आंतरिक मुद्दे पर भी साझा बयान में टिप्पणी की। उसे भी इस क्षेत्र में तनाव बढ़ाने वाले एक कारण के रूप में देखा गया है।
इमरान खान के बीजिंग में रहते हुए ही ये एलान हुआ कि वे जल्द ही रूस की यात्रा पर जाएंगे। दो दशक के अंदर रूस यात्रा करने वाले वे पहले पाकिस्तानी प्रधानमंत्री होंगे। बीजिंग में चल रहे विंटर ओलिंपिक खेलों के उद्घाटन समारोह में भाग लेने जो नेता वहां गए थे, उनमें रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी हैं। उनकी वहां हुई वार्ताओँ से रूस और चीन के बीच एक नई सैन्य धुरी बनने के संकेत मिले हैं। पर्यवेक्षकों ने इमरान खान की प्रस्तावित मास्को यात्रा को उसी सिलसिले में देखा है। इसे इस बात का संकेत समझा गया है कि पाकिस्तान चीन-रूस की धुरी का हिस्सा बनने जा रहा है।
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