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केरल हाईकोर्ट: राष्ट्रीय सुरक्षा पर खतरा हो तो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत भी सीमित हो जाते हैं

सार

केरल हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा ‘मीडिया वन’ चैनल को सुरक्षा मंजूरी न देने को सही माना। कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा का प्रश्न इसलिए एक घंटे भी प्रसारण की छूट नहीं।

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मलयालम टीवी चैनल ‘मीडिया वन’ को केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा सुरक्षा मंजूरी न देने का निर्णय सही मानते हुए केरल हाईकोर्ट ने कहा कि जब बात राष्ट्रीय सुरक्षा की हो तो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत सीमित हो जाते हैं। अदालती हस्तक्षेप की भूमिका भी सिमट जाती है।

जस्टिस एन नागरेश ने अपने आदेश में कहा कि नागरिकों को सुरक्षित जीवन देना और खतरे पहले से भांपना संप्रभु सत्ता का सबसे आवश्यक कार्य है। अधिकारों पर कुछ सीमाएं लगाने के लिए संविधान ने भी सरकार को शक्ति दी है। तार्किक ढंग से यह सीमाएं लगाकर देश की संप्रभुता, अखंडता, सुरक्षा, पड़ोसी देशों से मैत्री संबंध, जन व्यवस्था को बढ़ाया जाता है। चैनल का प्रसारण कुछ दिन जारी रखने देने का निवेदन भी हाईकोर्ट ने नहीं माना और कहा कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है, एक घंटे की भी छूट नहीं दी जा सकती।

मंत्रालय ने 31 जनवरी को चैनल को पूर्व में दी गई सुरक्षा मंजूरी जारी न रखने का निर्णय लिया था। इसके खिलाफ मीडिया वन चला रहे माध्यम ब्रॉडकास्टिंग लिमिटेड ने याचिका दायर कर कहा था कि मंत्रालय से यह मंजूरी चैनल को ताजा अनुमति या लाइसेंस लेते समय चाहिए होती है। लाइसेंस रिन्यू करवाने के लिए इसकी जरूरत नहीं। हाईकोर्ट ने केंद्र के आदेश को 31 जनवरी को दो दिन और फिर दो फरवरी को सात फरवरी तक के लिए स्थगित किया था।

ताजा सुनवाई में उसने मंत्रालय द्वारा अपने निर्णय के संबंध में दिए दस्तावेजों और विभिन्न एजेंसियों की खुफिया रिपोर्ट्स व इनपुट्स का मुआयना किया। अधिकारियों की एक समिति ने भी मंजूरी जारी नहीं रखने की सिफारिश की थी। इनके आधार पर हाईकोर्ट ने मंत्रालय का निर्णय सही करार दिया।

रोजगार बचाने की स्टाफ की याचिका भी खारिज
मामले में मीडिया वन के संपादक, कर्मचारियों और केरल वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन ने भी याचिका दायर कर कहा था कि अगर प्रसारण रोका गया तो चैनल के सैकड़ों कर्मचारियों का रोजगार छिन जाएगा। चैनल पर किसी कानून, नियम या अनुमति के उल्लंघन का आरोप नहीं है, इसलिए केंद्र की कार्रवाई गैर-कानूनी व असांविधानिक है। हाईकोर्ट इससे सहमत नहीं हुई और याचिका खारिज कर दी।

केंद्र सरकार के तर्क

  • इससे पहले दोनों याचिकाओं का विरोध कर केंद्र सरकार ने बताया था कि चैनल को एक बार दी गई सुरक्षा मंजूरी हमेशा जारी नहीं रखी जा सकती।
  • असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल एस मनु ने कहा कि स्टाफ की याचिका सुने जाने योग्य नहीं है क्योंकि यह मामला केंद्र सरकार व कंपनी के बीच है।
  • पूर्व में हुई सुनवाई में केंद्र ने बताया था कि मीडिया वन को सुरक्षा वजहों से मंजूरी नहीं दी जा रही है।

दूसरी बार लगी थी रोक
केंद्र ने पहले भी मीडिया वन और एक अन्य चैनल एशिया नेट का प्रसारण 48 घंटे के लिए रोका था। उन पर 2020 के दिल्ली दंगों में एक समुदाय विशेष के पक्ष में रिपोर्टिंग व धर्म स्थलों पर हमलों को हाईलाइट करने के आरोप थे।

विस्तार

मलयालम टीवी चैनल ‘मीडिया वन’ को केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा सुरक्षा मंजूरी न देने का निर्णय सही मानते हुए केरल हाईकोर्ट ने कहा कि जब बात राष्ट्रीय सुरक्षा की हो तो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत सीमित हो जाते हैं। अदालती हस्तक्षेप की भूमिका भी सिमट जाती है।

जस्टिस एन नागरेश ने अपने आदेश में कहा कि नागरिकों को सुरक्षित जीवन देना और खतरे पहले से भांपना संप्रभु सत्ता का सबसे आवश्यक कार्य है। अधिकारों पर कुछ सीमाएं लगाने के लिए संविधान ने भी सरकार को शक्ति दी है। तार्किक ढंग से यह सीमाएं लगाकर देश की संप्रभुता, अखंडता, सुरक्षा, पड़ोसी देशों से मैत्री संबंध, जन व्यवस्था को बढ़ाया जाता है। चैनल का प्रसारण कुछ दिन जारी रखने देने का निवेदन भी हाईकोर्ट ने नहीं माना और कहा कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है, एक घंटे की भी छूट नहीं दी जा सकती।

मंत्रालय ने 31 जनवरी को चैनल को पूर्व में दी गई सुरक्षा मंजूरी जारी न रखने का निर्णय लिया था। इसके खिलाफ मीडिया वन चला रहे माध्यम ब्रॉडकास्टिंग लिमिटेड ने याचिका दायर कर कहा था कि मंत्रालय से यह मंजूरी चैनल को ताजा अनुमति या लाइसेंस लेते समय चाहिए होती है। लाइसेंस रिन्यू करवाने के लिए इसकी जरूरत नहीं। हाईकोर्ट ने केंद्र के आदेश को 31 जनवरी को दो दिन और फिर दो फरवरी को सात फरवरी तक के लिए स्थगित किया था।

ताजा सुनवाई में उसने मंत्रालय द्वारा अपने निर्णय के संबंध में दिए दस्तावेजों और विभिन्न एजेंसियों की खुफिया रिपोर्ट्स व इनपुट्स का मुआयना किया। अधिकारियों की एक समिति ने भी मंजूरी जारी नहीं रखने की सिफारिश की थी। इनके आधार पर हाईकोर्ट ने मंत्रालय का निर्णय सही करार दिया।

रोजगार बचाने की स्टाफ की याचिका भी खारिज

मामले में मीडिया वन के संपादक, कर्मचारियों और केरल वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन ने भी याचिका दायर कर कहा था कि अगर प्रसारण रोका गया तो चैनल के सैकड़ों कर्मचारियों का रोजगार छिन जाएगा। चैनल पर किसी कानून, नियम या अनुमति के उल्लंघन का आरोप नहीं है, इसलिए केंद्र की कार्रवाई गैर-कानूनी व असांविधानिक है। हाईकोर्ट इससे सहमत नहीं हुई और याचिका खारिज कर दी।

केंद्र सरकार के तर्क

  • इससे पहले दोनों याचिकाओं का विरोध कर केंद्र सरकार ने बताया था कि चैनल को एक बार दी गई सुरक्षा मंजूरी हमेशा जारी नहीं रखी जा सकती।
  • असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल एस मनु ने कहा कि स्टाफ की याचिका सुने जाने योग्य नहीं है क्योंकि यह मामला केंद्र सरकार व कंपनी के बीच है।
  • पूर्व में हुई सुनवाई में केंद्र ने बताया था कि मीडिया वन को सुरक्षा वजहों से मंजूरी नहीं दी जा रही है।


दूसरी बार लगी थी रोक

केंद्र ने पहले भी मीडिया वन और एक अन्य चैनल एशिया नेट का प्रसारण 48 घंटे के लिए रोका था। उन पर 2020 के दिल्ली दंगों में एक समुदाय विशेष के पक्ष में रिपोर्टिंग व धर्म स्थलों पर हमलों को हाईलाइट करने के आरोप थे।

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