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‘आर्म रेस’: चीन ने पाक को दिया सबसे बड़ा युद्धपोत, विशेषज्ञों से समझिए दोनों देशों के लिए क्या हैं इसके मायने

सार

जानकार मानते हैं कि यह एक ऐसा कदम जो दोनों देशों के बीच दोस्ती को उजागर करता है और उनकी रणनीतिक साझेदारी में योगदान को भी बढावा दे रहा है। बीजिंग और इस्लामाबाद अपने क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वी भारत के खिलाफ अपनी सैन्य क्षमताओं को मजबूत करना जारी रखे हुए हैं।
 

इमरान खान-शी जिनपिंग (फाइल फोटो)
– फोटो : PTI

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भारत पर नजर गड़ाए, चीन और पाकिस्तान की दोस्ती लगातार बढ़ती जा रही है। चीन ने सोमवार को पाकिस्तान को सबसे बड़ा और सबसे उन्नत युद्धपोत दिया है। चीन की स्थानीय मीडिया के मुताबिक इस युद्धपोत का निर्माण चाइना शिपबिल्डिंग कारपोरेशन लिमिटेड (सीएसएसएएस) ने किया है। शंघाई में एक कमीशन समारोह में पाकिस्तान नौसेना को यह युद्धपोत सौंपा गया। सीएसएसएएस ने सोमवार को एक बयान में इसकी घोषणा की।

चार युद्धपोत बनाने के लिए पाकिस्तान और चीन के बीच एक समझौता हुआ है। जिसके तहत चीन को पाकिस्तान नेवी के लिए तीन युद्धपोत और बनाने हैं। चीनी जहाज निर्माण कंपनी ने बयान में कहा कि जहाज का पूरा होना और उसकी डिलीवरी चीन-पाकिस्तान दोस्ती की एक और बड़ी उपलब्धि है। 

पाकिस्तान नौसेना के बयान में कहा गया है चीन में पाकिस्तानी राजदूत मोइन उल हक ने कहा कि पीएनएस तुगरिल की कमीशनिंग पाकिस्तान-चीन दोस्ती में एक नए अध्याय की शुरुआत करती है जो समय की कसौटी पर परिपक्व हुई है। 

युद्धपोत की क्षमता क्या है
ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट्स के मुताबिक इस युद्धपोत का नाम  टाइप 054ए/पी तघरिल (पाकिस्तान नेवल शिप-तघरिल) है। ये शिप काफी उन्नत तकनीक वाला है। जिसमें जमीन से जमीन, जमीन से हवा, समुद्र के अंदर मारक क्षमता के अलावा व्यापक निगरानी क्षमता भी है। पाकिस्तान की तरफ से बयान में कहा गया है। आधुनिक आत्मरक्षा क्षमताओं के साथ-साथ अत्याधुनिक युद्ध प्रबंधन और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली से लैस होने के कारण, टाइप 054A/P युद्धपोत एक साथ कई नौसैनिक युद्ध अभियानों को अंजाम दे सकता है। 

 
इस साल की शुरुआत में चीनी राज्य मीडिया से बात करते हुए, पाकिस्तान के नौसेना प्रमुख एडमिरल एम अमजद खान नियाजी ने चीन से युद्धपोत खरीदने की बात कही थी। नियाजी ने कहा था इससे दोनों देशों के बीच नौसेना सहयोग को मजबूत किया जाएगा। इससे पहले चीन और पाकिस्तान ने संयुक्त रूप से विकसित जेएफ-17 लड़ाकू जेट को भी अपग्रेड किया है,  जो पिछले साल सामने आया था।

इसके अलावा पाकिस्तान ने चीन से फास्ट अटैक क्राफ्ट (मिसाइल) और हेलीकॉप्टर भी खरीदे हैं। पाकिस्तान नौसेना के अन्य प्रमुख कार्यक्रमों में लंबी दूरी की समुद्री गश्ती जेट और मानव रहित लड़ाकू हवाई वाहनों और अत्याधुनिक हथियारों के साथ मौजूदा बेड़े का आधुनिकीकरण करना भी शामिल है। 

भारत पर दबाव बनाए रखने की रणनीति
जानकार कहते हैं कि भारत पर दबाव बनाए रखने के लिए पाकिस्तान अपनी नौसेना की ताकत बढ़ाना चाहता है इसलिए वह चीन से हथियार और उपकरण खरीद रहा है। इसके साथ ही वह चीन के साथ अपने रिश्तों को भी मजबूत कर रहा है और अपनी आक्रामक क्षमता को काफी हद तक बढ़ा रहा है। 

रक्षा विशेषज्ञ मेजर जनरल एस वी पी सिंह (सेवानिवृत्त) बताते हैं कि दक्षिण एशिया को देखें तो अभी यहां क्षेत्रीय शक्ति बनने की लड़ाई चल रही है। जिसमें चीन सबसे आगे है। भारत भी एक शक्तिशाली देश के तौर पर उभर रहा है। कई सालों में भारत ने भी रूस और अमेरिका से अत्याधुनिक हथियार और उपकरण खरीदे हैं, लेकिन भारत पाकिस्तान के साथ किसी होड़ में नहीं है बस अपनी सैन्य क्षमता बढ़ाना चाहता है। जबकि पाकिस्तान भारत से मुकाबला करने के लिए चीन की तरफ देखता है और उसके साथ मिलकर अपनी सैन्य ताकत को बढ़ाने की कोशिश में है। 

 
नॉन काइनेटिक हथियारों की जरूरत
वे बताते हैं कि पाकिस्तान ने 1962 से चीन के साथ अपने कूटनीतिक संबंध विकसित किए हैं। पाकिस्तान की रणनीति है कि दुश्मन के दुश्मन को दोस्त बना लो, इसलिए पाकिस्तान के चीन के साथ राजनीतिक और आर्थिक संबंध रहे हैं। दूसरी तरफ चीन हमेशा पाकिस्तान को समर्थन देता रहा है। चीन और पाकिस्तान एक साथ मिलकर भारत को घेरने की कोशिश करते हैं। आने वाले समय मे ज्यादा एयरक्राफ्ट चीन से पाकिस्तान आने वाला है। ऐसा लग रहा है कि चीन और पाकिस्तान ने आर्म रेस शुरू कर दिया है। 

उनके मुताबिक भारत को काफी सावधान रहने की जरूरत है। चूंकि भारत अभी अमेरिका के थोड़ा करीब दिख रहा है। इसलिए पाकिस्तान चीन की तरफ जा रहा है। वे मानते हैं कि युद्धपोत, हेलिकॉप्टर, एयरक्राफ्ट जैसे हथियार तो युद्ध की स्थिति में काम आने वाले हैं लेकिन मौजूदा हालात में नॉन काइनेटिक हथियारों जैसे इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम, साइबर स्पेस, इलेक्ट्रॉनिक मैगनेट सिस्टम, रोबोट्स जैसे हथियारों की ज्यादा जरूरत है, जो हर वक्त सेना को चौकस बनाए रखेगा।

कोई होड़ नहीं
हालांकि रक्षा विशेषज्ञ मेजर जनरल ए जे बी जैनी (सेवानिवृत्त) इससे अलग राय रखते हैं और वे इसे आर्म रेस नहीं मानते हैं। उनका कहना है कि चीन लगातार अपनी नोसैना की ताकत बढ़ा रहा है। इसके कोस्ट गार्ड पीपल्स लिबरेशन आर्मी का हिस्सा हैं। चीन समुद्र पर भी कब्जा करना चाहता है। इसलिए वह अत्याधुनिक युद्धपोतों का निर्माण कर रहा है और पाकिस्तान को भी दे रहा है।

चूंकि चीन और पाकिस्तान के रिश्ते साल-दर- साल और प्रगाढ़ होते जा रहे हैं और पाकिस्तान चाहता है कि वह चीन की शरण में रहे इसलिए वह चीन से हथियारों की खरीद कर रहा है। लेकिन पाकिस्तान को ज्यादा खुश होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इससे उसकी नोसैना की ताकत ज्यादा नहीं बढ़ेगी। कहने को कहा जा सकता है कि इन युद्धपोत को शामिल कर लेने के बाद पाकिस्तान नौसेना के बेड़े की आक्रामक क्षमता में काफी वृद्धि होगी, लेकिन ऐसा नहीं है। 

जैनी कहते हैं कि पाकिस्तान की नौसेना भारतीय नौसेना के मुकाबले में कहीं नहीं ठहरती है। पाकिस्तानी नौसेना ज्यादा अभ्यास भी नहीं करती है और न ही उनके पास ज्यादा अनुभव है। हमारी नौसेना ज्यादा ताकतवर है। हां ये बात सच है कि भारत ने नौसेना की ताकत को बहुत देर से समझा है। कुछ सालों पहले तक हमारे नौसेना की क्षमता ज्यादा नहीं थी। लेकिन अब भारतीय नौसेना किसी से भी कम नहीं है।  

 

विस्तार

भारत पर नजर गड़ाए, चीन और पाकिस्तान की दोस्ती लगातार बढ़ती जा रही है। चीन ने सोमवार को पाकिस्तान को सबसे बड़ा और सबसे उन्नत युद्धपोत दिया है। चीन की स्थानीय मीडिया के मुताबिक इस युद्धपोत का निर्माण चाइना शिपबिल्डिंग कारपोरेशन लिमिटेड (सीएसएसएएस) ने किया है। शंघाई में एक कमीशन समारोह में पाकिस्तान नौसेना को यह युद्धपोत सौंपा गया। सीएसएसएएस ने सोमवार को एक बयान में इसकी घोषणा की।

चार युद्धपोत बनाने के लिए पाकिस्तान और चीन के बीच एक समझौता हुआ है। जिसके तहत चीन को पाकिस्तान नेवी के लिए तीन युद्धपोत और बनाने हैं। चीनी जहाज निर्माण कंपनी ने बयान में कहा कि जहाज का पूरा होना और उसकी डिलीवरी चीन-पाकिस्तान दोस्ती की एक और बड़ी उपलब्धि है। 

पाकिस्तान नौसेना के बयान में कहा गया है चीन में पाकिस्तानी राजदूत मोइन उल हक ने कहा कि पीएनएस तुगरिल की कमीशनिंग पाकिस्तान-चीन दोस्ती में एक नए अध्याय की शुरुआत करती है जो समय की कसौटी पर परिपक्व हुई है। 

युद्धपोत की क्षमता क्या है

ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट्स के मुताबिक इस युद्धपोत का नाम  टाइप 054ए/पी तघरिल (पाकिस्तान नेवल शिप-तघरिल) है। ये शिप काफी उन्नत तकनीक वाला है। जिसमें जमीन से जमीन, जमीन से हवा, समुद्र के अंदर मारक क्षमता के अलावा व्यापक निगरानी क्षमता भी है। पाकिस्तान की तरफ से बयान में कहा गया है। आधुनिक आत्मरक्षा क्षमताओं के साथ-साथ अत्याधुनिक युद्ध प्रबंधन और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली से लैस होने के कारण, टाइप 054A/P युद्धपोत एक साथ कई नौसैनिक युद्ध अभियानों को अंजाम दे सकता है। 

 

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