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ड्रैगन की दादागीरी : चीनी कंपनी का श्रीलंका पर दबाव, खराब खाद खरीदने के लिए तीखी नोकझोंक जारी

एजेंसी, कोलंबो।
Published by: देव कश्यप
Updated Tue, 09 Nov 2021 12:50 AM IST

सार

चीन-श्रीलंका में 6.3 करोड़ डॉलर के खाद सौदे को लेकर तीखी नोकझोंक चल रही है।

चीन और श्रीलंका का झंडा (सांकेतिक तस्वीर)
– फोटो : iStock

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आयातित उर्वरक (खाद) को लेकर श्रीलंका के साथ विवाद में शामिल चीनी कंपनी किंग्दाओ सीविन बायोटेक समूह ने श्रीलंकाई राष्ट्रीय संयंत्र सेवा (एनपीक्यूएस) के अतिरिक्त निदेशक से उसे हुई क्षति के ऐवज में 80 लाख डॉलर की मांग रखी है। चीन-श्रीलंका में 6.3 करोड़ डॉलर के खाद सौदे को लेकर तीखी नोकझोंक चल रही है और श्रीलंका 99 मीट्रिक टन जैविक खाद का सौदा रद्द कर चुका है।

कंपनी ने अपने वकील एमजेएस फोन्सेका के माध्यम से भेजे मांगपत्र में श्रीलंकाई अधिकारी डॉ. वार्ट विक्रमार्ची को लिखा है कि यह भुगतान जल्द से जल्द किया जाना चाहिए अन्यथा कानूनी कार्रवाई की जाएगी। श्रीलंका ने यह सौदा इसलिए रद्द किया था क्योंकि कपंनी द्वारा दिए गए नमूनों में रिविनिया नामक हानिकारक बैक्टीरिया था, जिससे श्रीलंका में खेती को नुकसान पहुंचता।

चीनी कंपनी के मांगपत्र को श्रीलंका पर दबाव बनाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। इस मुद्दे को लेकर चीन ने श्रीलंका के सरकारी स्वामित्व वाले पीपुल्स बैंक आफ श्रीलंका को कालीसूची में डालने की घोषणा भी की है। लेकिन श्रीलंका ने चीन की बातों को मानने से इनकार कर दिया है।

विस्तार

आयातित उर्वरक (खाद) को लेकर श्रीलंका के साथ विवाद में शामिल चीनी कंपनी किंग्दाओ सीविन बायोटेक समूह ने श्रीलंकाई राष्ट्रीय संयंत्र सेवा (एनपीक्यूएस) के अतिरिक्त निदेशक से उसे हुई क्षति के ऐवज में 80 लाख डॉलर की मांग रखी है। चीन-श्रीलंका में 6.3 करोड़ डॉलर के खाद सौदे को लेकर तीखी नोकझोंक चल रही है और श्रीलंका 99 मीट्रिक टन जैविक खाद का सौदा रद्द कर चुका है।

कंपनी ने अपने वकील एमजेएस फोन्सेका के माध्यम से भेजे मांगपत्र में श्रीलंकाई अधिकारी डॉ. वार्ट विक्रमार्ची को लिखा है कि यह भुगतान जल्द से जल्द किया जाना चाहिए अन्यथा कानूनी कार्रवाई की जाएगी। श्रीलंका ने यह सौदा इसलिए रद्द किया था क्योंकि कपंनी द्वारा दिए गए नमूनों में रिविनिया नामक हानिकारक बैक्टीरिया था, जिससे श्रीलंका में खेती को नुकसान पहुंचता।

चीनी कंपनी के मांगपत्र को श्रीलंका पर दबाव बनाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। इस मुद्दे को लेकर चीन ने श्रीलंका के सरकारी स्वामित्व वाले पीपुल्स बैंक आफ श्रीलंका को कालीसूची में डालने की घोषणा भी की है। लेकिन श्रीलंका ने चीन की बातों को मानने से इनकार कर दिया है।

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