Astrology

Vastu Tips: शुभ और कल्याणकारी स्वास्तिक से दूर होते हैं घर के वास्तुदोष

Vastu Tips: शुभ और कल्याणकारी स्वास्तिक से दूर होते हैं घर के वास्तुदोष

अनीता जैन ,वास्तुविद
Published by: विनोद शुक्ला
Updated Thu, 10 Feb 2022 12:25 PM IST

सार

स्वास्तिक की आठ भुजाएं-पृथ्वी, अग्नि, जल, वायु, आकाश, मस्तिष्क भाव आदि की प्रतीक गई हैं। मुख्य चार भुजाएं चारों दिशाओं,चार वेदों एवं चार पुरुषार्थ जिनमें धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष शामिल है ।

ख़बर सुनें

Vastu Swastik For Main Door:  सनातन धर्म में ही नहीं, अपितु अन्य धर्मों में भी स्वास्तिक को परम पवित्र और मंगल करने वाला चिन्ह माना गया है। इसमें सभी धर्मों एवं समस्त प्राणियों के कल्याण की भावना निहित है इसलिए आदिकाल से ही प्रत्येक शुभ और कल्याणकारी कार्य में स्वास्तिक का चिन्ह सर्वप्रथम प्रतिष्ठित करने का नियम है। सत्य, शाश्वत, शांति, अनंतदिव्य, ऐश्वर्य, सम्पन्नता एवं सौंदर्य का प्रतीक माना जाने वाला यह मांगलिक चिन्ह बहुत ही शुभ है। इसी कारण किसी भी मांगलिक कार्य के शुभारंभ से पहले स्वास्तिक चिन्ह बनाकर स्वस्तिवाचन करने का विधान है। गणेश पुराण में कहा गया है कि स्वास्तिक गणेशजी का ही स्वरूप है, इसलिए सभी शुभ, मांगलिक और कल्याणकारी कार्यों में इसकी स्थापना अनिवार्य है।इसमें सारे विघ्नों को हरने और अंमगल दूर करने की शक्ति निहित है। जो इसकी प्रतिष्ठा किए बिना मांगलिक कार्य करता है,वह कार्य निर्विघ्न सफल नहीं होता। शास्त्रानुसार स्वास्तिक की आठ भुजाएं-पृथ्वी, अग्नि, जल, वायु, आकाश, मस्तिष्क भाव आदि की प्रतीक गई हैं। मुख्य चार भुजाएं चारों दिशाओं,चार वेदों एवं चार पुरुषार्थ जिनमें धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष शामिल है ।

वास्तु दोष होता है दूर
स्वास्तिक वास्तुदोष निवारण के लिए एक कारगर उपाय है क्यों कि इसकी चारों भुजाएं चारों दिशाओं की प्रतीक होती हैं और इसीलिए इस चिन्ह को बना कर चारों दिशाओं को एक समान शुद्ध किया जा सकता है। यदि आपके घर में या व्यवसायिक स्थल पर किसी प्रकार का कोई वास्तुदोष है तो यहां की नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने के लिए पूर्व, उत्तर-पूर्व या उत्तर दिशा में स्वास्तिक का चिन्ह बनाना चाहिए। इसकी जगह आप अष्टधातु या तांबे का स्वास्तिक भी लगा सकते हैं। अपने बच्चों का ध्यान पढ़ाई में लगाने के लिए पश्चिम-दक्षिण-पश्चिम में स्वास्तिक बनाएं। यह उनकी शिक्षा में अच्छा प्रदर्शन कराने में सहायक होगा।

विस्तार

Vastu Swastik For Main Door:  सनातन धर्म में ही नहीं, अपितु अन्य धर्मों में भी स्वास्तिक को परम पवित्र और मंगल करने वाला चिन्ह माना गया है। इसमें सभी धर्मों एवं समस्त प्राणियों के कल्याण की भावना निहित है इसलिए आदिकाल से ही प्रत्येक शुभ और कल्याणकारी कार्य में स्वास्तिक का चिन्ह सर्वप्रथम प्रतिष्ठित करने का नियम है। सत्य, शाश्वत, शांति, अनंतदिव्य, ऐश्वर्य, सम्पन्नता एवं सौंदर्य का प्रतीक माना जाने वाला यह मांगलिक चिन्ह बहुत ही शुभ है। इसी कारण किसी भी मांगलिक कार्य के शुभारंभ से पहले स्वास्तिक चिन्ह बनाकर स्वस्तिवाचन करने का विधान है। गणेश पुराण में कहा गया है कि स्वास्तिक गणेशजी का ही स्वरूप है, इसलिए सभी शुभ, मांगलिक और कल्याणकारी कार्यों में इसकी स्थापना अनिवार्य है।इसमें सारे विघ्नों को हरने और अंमगल दूर करने की शक्ति निहित है। जो इसकी प्रतिष्ठा किए बिना मांगलिक कार्य करता है,वह कार्य निर्विघ्न सफल नहीं होता। शास्त्रानुसार स्वास्तिक की आठ भुजाएं-पृथ्वी, अग्नि, जल, वायु, आकाश, मस्तिष्क भाव आदि की प्रतीक गई हैं। मुख्य चार भुजाएं चारों दिशाओं,चार वेदों एवं चार पुरुषार्थ जिनमें धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष शामिल है ।

वास्तु दोष होता है दूर

स्वास्तिक वास्तुदोष निवारण के लिए एक कारगर उपाय है क्यों कि इसकी चारों भुजाएं चारों दिशाओं की प्रतीक होती हैं और इसीलिए इस चिन्ह को बना कर चारों दिशाओं को एक समान शुद्ध किया जा सकता है। यदि आपके घर में या व्यवसायिक स्थल पर किसी प्रकार का कोई वास्तुदोष है तो यहां की नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने के लिए पूर्व, उत्तर-पूर्व या उत्तर दिशा में स्वास्तिक का चिन्ह बनाना चाहिए। इसकी जगह आप अष्टधातु या तांबे का स्वास्तिक भी लगा सकते हैं। अपने बच्चों का ध्यान पढ़ाई में लगाने के लिए पश्चिम-दक्षिण-पश्चिम में स्वास्तिक बनाएं। यह उनकी शिक्षा में अच्छा प्रदर्शन कराने में सहायक होगा।

Source link

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

To Top
%d bloggers like this: