न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अभिषेक दीक्षित
Updated Thu, 27 Jan 2022 08:42 PM IST
सार
इससे पहले शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह एससी और एसटी को पदोन्नति में आरक्षण देने के अपने फैसले को फिर से नहीं खोलेगा क्योंकि यह राज्यों को तय करना है कि वे इसे कैसे लागू करते हैं।
सुप्रीम कोर्ट (फाइल)
– फोटो : अमर उजाला
ख़बर सुनें
विस्तार
जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बीआर गवई की तीन सदस्यीय पीठ शुक्रवार को इस मामले पर अपना फैसला सुनाएगी। इस मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था, ‘यह एक तथ्य है कि लगभग 75 वर्षों के बाद भी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों को अगड़े वर्गों के समान योग्यता के स्तर पर नहीं लाया जा सका है।
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा था कि एससी और एसटी से संबंधित लोगों के लिए समूह- ए श्रेणी की नौकरियों में उच्च पद प्राप्त करना अधिक कठिन है और समय आ गया है जब शीर्ष अदालत को एससी, एसटी और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) द्वारा इन रिक्तियों को भरे जाने के लिये कुछ ठोस आधार देने चाहिए।
इससे पहले शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह एससी और एसटी को पदोन्नति में आरक्षण देने के अपने फैसले को फिर से नहीं खोलेगा क्योंकि यह राज्यों को तय करना है कि वे इसे कैसे लागू करते हैं।