सार
कतर में पोडियम पर यूक्रेनी प्रतिद्वंदी इलिया कोवतुन के बगल में Z अक्षर वाले टीशर्ट पहनने पर रूसी जिमनास्ट इवान कुलियाक पर अंतर्राष्ट्रीय जिमनास्टिक्स फेडरेशन ने अनुशासनात्मक कारवाई की है। उनके इस व्यवहार ने सबको चौंका दिया था।
रूस और यूक्रेन के बीच लगातार 13वें दिन जंग जारी है। दोनों देश एक दूसरे के सामने झुकने के लिए तैयार नहीं हैं। रूस लगातार यूक्रेन के शहरों पर बमबारी कर रहा है। रूसी सेना ने अब तक रूस-यूक्रेन बॉर्डर के पास वाले कुछ इलाकों पर कब्जा कर लिया है। वहीं जंग के बीच रूस में बेहद प्रचलित हो चुके Z साइन की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है। रूस में इस अक्षर को रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन और रूसी सेना के समर्थक के प्रतीक के तौर पर देखा जा रहा है।
रूसी समर्थक सोशल मीडिया से लेकर अपनी कारों और होर्डिग्स में इसका खूब इस्तेमाल कर रहे हैं। जबकि यूक्रेन के रक्षा मंत्री ओलेक्सी रेजनिकोव ने Z साइन की तुलना नाजी जर्मनी के स्वास्तिक जैसे साइन से की है। उन्होंने एक ट्वीट में कहा है कि 1943 में कॉन्कैंप के पास साक्सेनहौसेन एक स्टेशन Z था जहां सामूहिक हत्याएं की गई थी।
Z साइन का इस्तेमाल कब से होने लगा?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 24 फरवरी को रूस ने यूक्रेन पर हमला किया। इसके बाद से पुतिन के समर्थकों ने जेड साइन का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है, जबकि रूसी वर्णमाला में ऐसा कोई अक्षर नहीं है। लेकिन रूस में इसे युद्ध में जीत और यूक्रेन में लड़ रही अपनी सेना के साथ एकजुटता दिखाने के प्रतीक के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है।
इसका मतलब क्या?
इसे लेकर मीडिया रिपोर्टस में अलग-अलग बातें कही जा रही हैं। सोशल मीडिया पर पहली बार Z साइन तब देखा गया जब 19 फरवरी को रूसी टैंक यूक्रेन की ओर बढ़ रहे थे और उन पर Z लिखा हुआ था। जेड अक्षर तब से यूक्रेन में रूस के युद्ध के लिए सार्वजनिक समर्थन का मुख्य प्रतीक बन गया है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि वास्तव में इसका इस्तेमाल किस दिन से शुरू हुआ।
शुरुआत में ऐसा माना गया कि Z संख्या 2 का प्रतीक था। ये उस दिन का प्रतीक था जब रूस ने यूक्रेन के दो अलगाववादी प्रांत दोनेस्तक और लुहान्स्क को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया था। ये तारीख थी साल 2022 के दूसरे महीने की 22 तारीख यानी 22 फरवरी।
जेलेंस्की के नाम से कोई संबंध तो नहीं?
जेड अक्षर के पीछे एक महत्वपूर्ण थ्योरी यह दी जा रही है कि जेड संभावित रूप से जापद (पश्चिम यानी पश्चिमी देशों) के लिए इस्तेमाल किया गया है। कई मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि कुछ क्रेमलिन समर्थक रूसी सैन्य विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया है कि Z अक्षर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के नाम का संकेत है। हालांकि रूसी रक्षा मंत्रालय ने किसी भी थ्योरी पर कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन धीरे-धीरे यह रूसी सेना के लिए समर्थन जुटाने का एक तरीका बन गया है।
रूसी राष्ट्रवादी कार्यकर्ता एंटोन डेमिडोव के बयान के मुताबिक ‘मुझे नहीं पता कि यह प्रतीक कहां से आया है। लेकिन क्रेमलिन समर्थकों ने इसे यूक्रेन में रूसी टैंकों पर देखा और फिर इसका इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है।’
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 24 फरवरी के बाद से रूसी सरकारी ब्रॉडकास्टर रूस टुडे Z अक्षर वाले टी-शर्ट्स बेच रही है। रक्षा मंत्रालय ने सोशल मीडिया पर कई ऐसे राष्ट्रवादी पोस्ट किए हैं जिसमें जेड अक्षर का इस्तेमाल किया गया है। बताया जाता है कि रूसी भाषा में ‘फॉर’ शब्द को ‘जा’ के रूप में लिखा जाता है।
Z अक्षर का झंडा लिए लोग पुतिन के समर्थन में उतरे
लोग जेड अक्षर का झंडा लिए रूस और राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के समर्थन में प्रदर्शन कर रहे हैं। रूस के दूसरे सबसे बड़े शहर सेंट पीटर्सबर्ग की एक सड़क पर ‘हम अपना नहीं छोड़ते’ हैशटैग के साथ Z दिखाते हुए एक बड़ा चिन्ह भी बनाया गया है।
सोशल मीडिया में आई एक तस्वीर के मुताबिक कजान शहर के एक कैंसर धर्मशाला के रोगी (जिनमें बच्चे भी शामिल थे) और कर्मचारी बर्फ में Z अक्षर बनाने के लिए लाइन में खड़े हैं। कई स्कूलों ने Z फॉर्मेशन में खड़े बच्चों की तस्वीरें भी पोस्ट की हैं।
युद्ध के लिए अपना समर्थन दिखाने के लिए उत्सुक अधिकारियों ने अपने क्षेत्र के नामों में इस अक्षर को शामिल करने का भी वादा किया है। केमेरोवो क्षेत्र के प्रमुख सर्गेई सिविलेव ने घोषणा की है कि उन्होंने इस क्षेत्र का नाम बदलने और क्षेत्र में Z अक्षर जोड़ने का फैसला किया है। वहीं रूस के इंटरनेट सेंसर बोर्ड रोसकोम्नाडजोर ने Z अक्षर पर जोर देने के लिए अपने टेलीग्राम चैनल का हैंडल बदल दिया है।
युद्ध के आलोचकों के खिलाफ भी इसका इस्तेमाल
मीडिया रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि रूस में जेड अक्षर का इस्तेमाल युद्ध के आलोचकों के लिए भी किया जा रहा है। उदाहरण के लिए फिल्म समीक्षक एंटोन डोलिन जिन्होंने एक फेसबुक पोस्ट में रूस के इस ‘हमले और युद्ध’ की आलोचना की थी और अब लातविया में रह रहे हैं, उन्होंने अपना घर छोड़ने से पहले देखा कि उनके अपार्टमेंट के दरवाजे को Z अक्षर से स्प्रे-पेंट किया गया था।
विस्तार
रूस और यूक्रेन के बीच लगातार 13वें दिन जंग जारी है। दोनों देश एक दूसरे के सामने झुकने के लिए तैयार नहीं हैं। रूस लगातार यूक्रेन के शहरों पर बमबारी कर रहा है। रूसी सेना ने अब तक रूस-यूक्रेन बॉर्डर के पास वाले कुछ इलाकों पर कब्जा कर लिया है। वहीं जंग के बीच रूस में बेहद प्रचलित हो चुके Z साइन की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है। रूस में इस अक्षर को रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन और रूसी सेना के समर्थक के प्रतीक के तौर पर देखा जा रहा है।
रूसी समर्थक सोशल मीडिया से लेकर अपनी कारों और होर्डिग्स में इसका खूब इस्तेमाल कर रहे हैं। जबकि यूक्रेन के रक्षा मंत्री ओलेक्सी रेजनिकोव ने Z साइन की तुलना नाजी जर्मनी के स्वास्तिक जैसे साइन से की है। उन्होंने एक ट्वीट में कहा है कि 1943 में कॉन्कैंप के पास साक्सेनहौसेन एक स्टेशन Z था जहां सामूहिक हत्याएं की गई थी।
Z साइन का इस्तेमाल कब से होने लगा?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 24 फरवरी को रूस ने यूक्रेन पर हमला किया। इसके बाद से पुतिन के समर्थकों ने जेड साइन का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है, जबकि रूसी वर्णमाला में ऐसा कोई अक्षर नहीं है। लेकिन रूस में इसे युद्ध में जीत और यूक्रेन में लड़ रही अपनी सेना के साथ एकजुटता दिखाने के प्रतीक के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है।
इसका मतलब क्या?
इसे लेकर मीडिया रिपोर्टस में अलग-अलग बातें कही जा रही हैं। सोशल मीडिया पर पहली बार Z साइन तब देखा गया जब 19 फरवरी को रूसी टैंक यूक्रेन की ओर बढ़ रहे थे और उन पर Z लिखा हुआ था। जेड अक्षर तब से यूक्रेन में रूस के युद्ध के लिए सार्वजनिक समर्थन का मुख्य प्रतीक बन गया है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि वास्तव में इसका इस्तेमाल किस दिन से शुरू हुआ।
शुरुआत में ऐसा माना गया कि Z संख्या 2 का प्रतीक था। ये उस दिन का प्रतीक था जब रूस ने यूक्रेन के दो अलगाववादी प्रांत दोनेस्तक और लुहान्स्क को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया था। ये तारीख थी साल 2022 के दूसरे महीने की 22 तारीख यानी 22 फरवरी।
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